गिद्धौर
गिद्धौर (Gidhaur), जिसे पत्संदा के नाम से भी जाना जाता है, भारत के बिहार राज्य के जमुई ज़िले में स्थित एक छोटा नगर है। आरम्भिक काल में यह ज़मीनदारों के एक संगठन का केन्द्र था।[1][2]
गिद्धौर Gidhaur | |
---|---|
मिंटो टॉवर, गिद्धौर | |
निर्देशांक: 24°51′29″N 86°18′00″E / 24.858°N 86.300°Eनिर्देशांक: 24°51′29″N 86°18′00″E / 24.858°N 86.300°E | |
ज़िला | जमुई ज़िला |
प्रान्त | बिहार |
देश | भारत |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 9,353 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, अंगिका |
पिनकोड | 811305 |
टेलिफोन कोड | 06345 |
वाहन पंजीकरण | BR46 |
लिंगानुपात | 910/1000 ♂/♀ |
इतिहास
संपादित करें1947 में ब्रिटिश भारत के विभाजन से पहले गिद्धौर भारत की एक जमींदारी संपत्ति का केंद्र था। । चंदेल वंश के राजाओं ने छह शताब्दियों से अधिक समय तक पत्संदा पर शासन किया। राजा बीर विक्रम सिंह ने 1266 में इस रियासत की स्थापना की। जो सिंगरौली के बाड़ी के राजा के छोटे भाई थे। कहा जाता है कि वंश के 10th
भूगोल
संपादित करेंगिधौर, राज्य की राजधानी पटना से 167 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में उलाई नदी के तट पर स्थित है। यह ज़िला मुख्यालय जमुई से पूर्व की ओर 19 किलोमीटर दूर स्थित है। उलई एक मानसून नदी है जो शहर के समानांतर बहती है और दक्षिणी-पश्चिमी सीमा बनाती है। शहर के उत्तर और दक्षिण की दिशा में दो पहाड़ी सेवा-पहर और बांधोरा-पहाड़ हैं। आबादी मिंटो टॉवर के आसपास समान रूप से वितरित है। शहर को अलग-अलग स्थानों को वर्गीकृत करने के लिए पूर्वी भाग (झाझा पक्ष) और पश्चिमी पक्ष (जमुई पक्ष) में विभाजित किया जा सकता है।
जलवायु
संपादित करेंगिद्धौर में मार्च के अंत से लेकर जून की शुरुआत तक बेहद गर्म ग्रीष्मकाल के साथ आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय जलवायु होती है, जून के अंत से सितंबर तक मानसून का मौसम और नवंबर से फरवरी तक हल्की सर्दी होती है। गर्मियों में, तापमान 45°C तक बढ़ जाता है, और सर्दियों में यह 5°C से नीचे चला जाता है।
जनसांख्यिकी
संपादित करेंजनसंख्या जनगणना 2011 के अनुसार, पत्संदा की आबादी 9353 है, जिसमें से 4897 पुरुष और 4456 महिलाएं हैं। 2011 में, बिहार में 61.80% की तुलना में यहां साक्षरता दर 67.72% थी। जिसमें पुरुष साक्षरता 79.53% थी जबकि महिला साक्षरता दर 54.46% थी।
गिद्धौर ब्लॉक
संपादित करेंगिद्धौर ब्लॉक का भौगोलिक क्षेत्रफल 71.11 किमी 2 है। 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 60,670 थी। गिधौर ब्लॉक में बीस गाँव हैं।
|
|
|
|
परिवहन
संपादित करेंगिद्धौर दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेलमार्ग पर स्थित है। रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड GHR) शहर के केंद्र से 2 किलोमीटर दूर है। वर्तमान में, दस एक्सप्रेस ट्रेन और आठ पैसेंजर ट्रेन यहाँ रुकती हैं। रेलवे स्टेशन से ऑटो-रिक्शा और टमटम (घोड़ा-गाड़ी) द्वारा पहुंचा जा सकता है। झाझा, एक प्रमुख रेलवे स्टेशन, केवल 13 किमी दूर है, जो देशभर में गिद्धौर को जोड़ता है।
सड़क
संपादित करेंस्टेट हाईवे एसएच -18 गिद्धौर मुख्य बाजार से गुजरता है, जो इसे जिला मुख्यालय जमुई और पास के प्रमुख रेलवे स्टेशन से जोड़ता है। पिछले 5 वर्षों में सड़क की स्थिति में नाटकीय रूप से सुधार हुआ है।
संस्कृति
संपादित करेंसमारोह
संपादित करेंगिधौर की दुर्गा-पूजा बहुत प्रसिद्ध है। नवरात्रि में दुर्गा मंदिर में हजारों लोग आते हैं। इसके अलावा, होली, दिवाली, छठ पूजा, ईद, मुहर्रम, रामनवमी व्यापक रूप से मनाई जाती है।
भोजन
संपादित करेंगिद्धौर का तिलकुट बहुत प्रसिद्ध है। यह तिल और खोआ से तैयार किया जाता है। यह शरीर को गर्मी और ऊर्जा प्रदान करता है जो सर्दी जुकाम को मात देने में मदद करता है। यह डिश बहुत लोकप्रिय और स्वादिष्ट है।
गोलगप्पा
संपादित करेंगिद्धौर अपने लजीज फास्टफूड के लिए भी जाना जाता है जहा चाट, गोलगप्पा,झूलन भइया "jhulan Gupchupwala "सबसे पसंदीदा है वही दाल पकोड़ी, लहसुनिया, आलुचौप , ब्रेडचैप ,बर्गर सुभाष भइया "subhash chaat & Fast food cornor " का सबसे पसंदीदा है,
पर्यटक स्थल
संपादित करेंमिंटो टॉवर
संपादित करेंमिंटो टॉवर का निर्माण 1909 में गिद्धौर के महाराजा ने तत्कालीन ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड इरविन की गिद्धौर यात्रा के दौरान करवाया था। यह मुख्य जमुई-झाझा राज्य राजमार्ग पर गिद्धौर मार्केट के बीच में है। इसमें 12 बड़े स्तंभ हैं। चार बाहरी स्तंभों पर बड़े बैठे शेर रखे गए है। टॉवर में चार-घंटे की घंटी वाली घड़ी है। 2008-09 में 100 वीं वर्षगांठ के लिए टॉवर का नवीनीकरण किया गया था। टॉवर गिद्धौर का सबसे प्रमुख प्रतीक है।
महाराजा महल
संपादित करेंयह 14 वीं शताब्दी का एक महल है जो मुख्य बाज़ार के किनारे और उलई नदी के किनारे स्थित है। महल के प्रवेश द्वार पर दो बड़ी तोपें और चारदीवारी पर गार्ड की प्रतिमा पहली बार देखने वालों के लिए मुख्य आकर्षण हैं।
लालकोठी
संपादित करेंयह स्वर्गीय महाराजा रावणेश्वर प्रसाद सिंह द्वारा निर्मित और गिद्धौर के स्वर्गीय राजमाता (स्वर्गीय महाराजा बहादुर प्रताप सिंह पूर्व बांका के गिरिराज कुमारी माता) द्वारा स्वर्गीय सुरेन्द्र सिंह को दिया गया निजी घर है। इसके अंदर सुंदर बगीचा है। सभी इमारत की दीवारें बड़ी आयताकार लाल ईंटों से बनाई गई हैं और इस प्रकार इसका नाम अलाल-कोठी (लाल इमारत) पड गया।
कोकिलचंद बाबा मंदिर, गंगरा
संपादित करेंजमुई जिले में गंगरा एक गाँव है, जो बाबा कोकिलचंद के पैतृक निवास के लिए प्रसिद्ध है। कोकिलचंद बाबा मंदिर में चारों ओर से लोग पूजा करने आते हैं। यह 700 साल पुराना माना जाता है।
जीवन उन्नयन के लिऐ बाबा कोकिलचंद का त्रिसूत्रीय संदेश मूल मंत्र के समान है । ये त्रिसूत्र है -1* शराब से दूर रहना 2*नारी का सम्मान करना 3* अन्न की रक्षा करना जो आज भी प्रासंगिक है । बाबा कोकिलचंद धाम गंगरा सदियों से शराब मुक्त है ।
प्रसिद्ध लोग
संपादित करें- महाराजा बहादुर प्रताप सिंहजी (1935 - 2012) पूर्व संसद सदस्य, बांका (बिहार)
- दिग्विजय सिंह, (1955-2010) पूर्व केंद्रीय मंत्री
- पुतुल कुमारी, पूर्व सांसद बांका (डब्ल्यू / ओ दिग्विजय सिंह)
- श्रेयसी सिंह, भारतीय डबल ट्रैप शूटर, स्वर्ण पदक विजेता
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Bihar Tourism: Retrospect and Prospect," Udai Prakash Sinha and Swargesh Kumar, Concept Publishing Company, 2012, ISBN 9788180697999
- ↑ "Revenue Administration in India: A Case Study of Bihar," G. P. Singh, Mittal Publications, 1993, ISBN 9788170993810