गुच्छी
गुच्छी (वानस्पतिक नाम : Morchella esculenta) एक कवक है जिसके फूलों या बीजकोश के गुच्छों की तरकारी बनती है। यह स्वाद में बेजोड़ और कई औषधियों गुणों से भरपूर है। भारत और नेपाल में स्थानीय भाषा में इसे 'गुच्छी', छतरी, टटमोर या डुंघरू कहा जाता है। गुच्छी चंबा, कुल्लू, शिमला, मनाली सहित हिमाचल प्रदेश के कई जिलों के जंगलों में पाई जाती है।
गुच्छी | |
---|---|
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | कवक (Fungus) |
विभाग: | Ascomycota |
उपविभाग: | Pezizomycotina |
वर्ग: | Pezizomycetes |
गण: | Pezizales |
कुल: | Morchellaceae |
वंश: | Morchella |
जाति: | M. esculenta |
द्विपद नाम | |
Morchella esculenta Fr. | |
Distribution map of Morchella esculenta | |
पर्यायवाची | |
गुच्छी ऊंचे पहाड़ी इलाके के घने जंगलों में कुदरती रूप से पाई जाती है। जंगलों के अंधाधुंध कटान के कारण यह अब काफी कम मात्रा में मिलती है। यह सबसे महंगी सब्जी है। इसका सेवन सब्जी के रूप में किया जाता है। हिमाचल से बड़े होटलों में ही इसकी सप्लाई होती है।
गुण
संपादित करेंचीन में इस मशरूम का इस्तेमाल सदियों से शारीरिक रोगों/क्षय को ठीक करने के लिए किया जा रहा है। गुच्छी मशरूम में 32.7 प्रतिशत प्रोटीन, 2 प्रतिशत फैट, 17.6 प्रतिशत फाइबर, 38 प्रतिशत कार्बोहायड्रेट पाया जाता है, इसीलिए यह काफी स्वास्थ्यवर्धक होता है। गुच्छी मशरूम से प्राप्त एक्सट्रैक्ट की तुलना डायक्लोफीनेक नामक आधुनिक सूजनरोधी दवा से की गई है। इसे भी सूजनरोधी प्रभावों से युक्त पाया गया है। इसके प्रायोगिक परिणाम ट्यूमर को बनने से रोकने और कीमोथेरेपी के रूप में प्रभावी हो सकते हैं। गठिया जैसी स्थितियों होने वाले सूजन को कम करने के लिए मोरेल मशरूम एक औषधीय एक रूप में काम करती है। ऐसा माना जाता है कि मोरेल मशरूम प्रोस्टेट व स्तन कैंसर की संभावना को कम कर सकता है।[1]