गुलाम मुस्तफा खान
Gulam Mustafa Khan (Freedom Fighter) | |
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जन्म |
गुलाम मुस्तफा खान 1892 मालवीपुरा पिंपलगांव राजा, महाराष्ट्र, ब्रिटिश भारत |
मौत |
28 दिसम्बर 1970 मालवीपुरा पिंपलगांव राजा, महाराष्ट्र, भारत |
समाधि | मालवीपुरा क़ब्रिस्तान, पिंपलगांव राजा, बुलढाणा |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | बी. ए। एंग्लो-मुहम्मदन ओरिएंटल कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़ |
पेशा | भारत के स्वतंत्रता सेनानी, व्यवसायी और सदस्य बरार मुस्लिम शिक्षा समिति और कार्यकारी सदस्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
कार्यकाल | 1920–1970 |
प्रसिद्धि का कारण | 1920, 1922 और 1942 में स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू बारा बलूतेदार कराधान प्रणाली के खिलाफ किसानों को एकजुट करने और बरार के किसानों की क्रांति में सक्रिय भूमिका निभाई। |
अवधि | 1921–1922 |
राजनैतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
धर्म | मुसलमान |
संबंधी | पोता = खान याह्या अहमद |
मालवीपुरा क़ब्रिस्तान, पिंपलगांव राजा, बुलढाणा | |
पुरस्कार | भारत के स्वतंत्रता सेनानियों का प्रमाण पत्र, और, स्वतंत्रता संग्राम के लिए पदक |
गुलाम मुस्तफा खान गुलाम अहमद खान ( उर्दू : غلام مصطفے ان, हिंदी : गुलाम मुस्तफा खान; 1892-1970) गुलाम अहमद खान के पुत्र एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद थे। [1] उन्होंने शिक्षा और किसानों के माध्यम से लोगों को जागृत कर के भारतीय समाज में सामाजिक सुधार लाने की मांग की। [2] उनके पास गुलामी, सामाजिक असमानता और सांप्रदायिक वैमनस्य से मुक्त भारत की दृष्टि थी। [3] 1921 में गुलाम मुस्तफा खान गुलाम अहमद खान ने भारत के बरार प्रांत में ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू भारतीय किसानों पर बारा बलुतेदार कराधान का विरोध किया। इन क्रांति के लिए उन्हें जेल हुई और 1500 जुर्माना हुआ और उन्हें 15 अगस्त 1966 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में सम्मानित किया गया [4]
जीवनी
संपादित करेंस्वतंत्रता सेनानी श्री गुलाम मुस्तफा खान गुलाम अहमद खान का जन्म 1892 में मालवीपुरा पिंपलगांव राजा, जिला बुलढाना, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्हें अपने पिता गुलाम अहमद खान चंद खान से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने का उपहार मिला। [5] उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पिंपलगांव राजा के एक मराठी स्कूल में की। आगे की शिक्षा उन्होंने अमरावती के मोहमदान हाई स्कूल में की। माध्यमिक शिक्षा के बाद उन्होंने एंग्लो मोहम्मडन ओरिएंटल कॉलेज अलीगढ़ में उच्च शिक्षा में प्रवेश लिया। 1916 में उन्होंने कला स्नातक (बीए) में स्नातक डिग्री पूरी की।डिग्री पूरी कर जब वापस लौटे तो ग्रामीणों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया। [6] चूँकि वे उस समय उच्च शिक्षित थे, इसलिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कलेक्टर का आदेश दिया। लेकिन उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी को स्वीकार नहीं किया क्योंकि उन्हें यह पसंद नहीं था। उन्होंने फिर से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। वर्ष 1920 में, उन्होंने नागपुर में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में भाग लिया। [7] वर्ष 1921 में बालूता प्रणाली के अनुसार किसान से अतिरिक्त कर वसूल किया जाता था। चूंकि वे इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सके, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया। इसलिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और ब्रिटिश कांस्टेबल द्वारा सजा सुनाई गई और 1500 / - रुपये का जुर्माना लगाया गया। 1939 में खामगाँव में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आगमन होवा । गुलाम मुस्तफा खान ने उनका भव्य स्वागत किया और उन्होंने एक परिचयात्मक भाषण भी दिया। इसलिए उनका नाम हर जगह प्रसिद्ध हुआ। 15 अगस्त 1966 को, महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मान्यता दी और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भागीदारी के लिए उन्हें सम्मान का प्रमाण पत्र दिया और उन्हें 250/- रुपये के साथ संबोधित किया। उन्होंने मानदेय दिया और अंग्रेजी भाषा में उत्कृष्ट भाषण दिया, इसलिए लोगों ने उन्हें टाइम्स ऑफ इंडिया का नाम दिया। 28 दिसंबर 1970 को स्वतंत्रता सेनानी गुलाम मुस्तफा का निधन होवा , लोगों को एहसास हुआ कि एक देश प्रेमी इस दुनिया में नहीं रहा।
संदर्भ
संपादित करें- ↑ "Three Generation In Freedom Struggle Gulam Mustafa Khan Lokmat Hello Khamgaon".
- ↑ Mohammad Waliuddin. Tazkira-e-Mashaheer-e-Barar: Correspondence and Select documents Volume 1. Qazi Alauddin Aijaz Printing Press Hydrabad Publication. पृ॰ 317 to 320.
- ↑ Somnaath Deshkar. "Role Of Muslim Freedom Struggle Of India". मूल से 8 सितंबर 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2022.
- ↑ Buldhan District Administration. "List Of Pensioners Sanctioned To Freedom Fighters In Buldhana District".
- ↑ Somnath Deshkar. Svatantryaladhyatil Muslim Manche Yogdan. Sandesh Library Pune. पृ॰ 290,296.
- ↑ Mewa Ram Gupt Satoria. Hindustan ki Jang e Azadi ke Musalman mujahideen. Sana Publishing House Mumbai. पृ॰ 151 to 152.
- ↑ "Role Of Muslim Freedom Struggle Of India". मूल से 8 सितंबर 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2022.