बिहार में इस से मिलते नाम के धार्मिक पर्वत के लिए गृद्धकूट पर्वत का लेख देखें

गृद्धराज पर्वत (Griddharaj Parvat) या गिद्धहा पहाड़, जिसका अर्थ गिद्धों का पर्वत है, भारत के मध्य प्रदेश के सतना ज़िले की रामनगर तहसील में स्थित एक पवित्र पर्वत है। यह धार्मिक, पुरातत्विक और पर्यावरणीय महत्व रखता है।[1][2]

गृद्धराज पर्वत
Griddharaj Parvat
गृद्धराज पर्वत is located in मध्य प्रदेश
गृद्धराज पर्वत
गृद्धराज पर्वत
उच्चतम बिंदु
ऊँचाई717.5 मी॰ (2,354 फीट)
निर्देशांक24°18′00″N 81°15′00″E / 24.30000°N 81.25000°E / 24.30000; 81.25000निर्देशांक: 24°18′00″N 81°15′00″E / 24.30000°N 81.25000°E / 24.30000; 81.25000
भूगोल
देश भारत
राज्यमध्य प्रदेश
जिलासतना ज़िला

यह सतना से ६५ किमी की दूरी पर स्थित है। इसके उत्तर में कैमूर शृंखला की पहाड़ियाँ हैं तथा दक्षिण में मैकाल पहाड़ियाँ। यह स्थान पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस पहाड़ी में चार गुफाएँ हैं जिनमें शिला चित्रण (रॉक पेंटिंग) तथा मुराल पेंटिंग देखे जा सकते हैं। हर वर्ष माघ महीने की वसन्त पंचमी के दिन यहाँ मेला लगता है। हजारों लोग मेले में आते हैं और स्थानीय गंगा (मानसी गंगा नदी) में स्नान करते हैं।

गिद्धों का वास

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इस पर्वत पर हज़ारों गिद्धों को पाया जाता है, जो इसकी चट्टानों में अपने बसेरे स्थापित करते हैं। यहाँ गिद्धों की दो जातियाँ - भारतीय गिद्ध और बंगाल का गिद्ध - पाई जाती हैं।

हिन्दू मान्यता

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रामायण के अनुसार गृद्धराज जटायु के भाई सम्पाती का जन्म इसी पर्वत पर हुआ था। महाकवि कालिदास ने इस पर्वत का बखान अपनी रचना "गृद्धराज महात्म्य" में करा। उन्होंने कहा कि यहाँ से उत्पन्न मानसी गंगा नदी में स्नान से शुद्धि प्राप्त होती है।

इन्हें भी देखें

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