गोडावण

भारत के पश्चिमी प्रान्त राजस्थान तथा सीमावर्ती पाकिस्तान में पाया जाने वाल बड़ा पक्षी

'गोडावण या बड़ा भारतीय तिलोर (Great Indian bustard), जिसे गुरायिन, माल मोरड़ी , हुकना पक्षी ,सोहन चिड़िया " भी कहते हैं और जिसका वैज्ञानिक नाम क्रायोटिस नाइग्रिसेप्स है, भारत की शुष्क घास भूमियों और भारत से सटे सीमावर्ती पाकिस्तान के चंद क्षेत्रों में मिलने वाली तिलोर (सोहन चिड़िया) की एक जीववैज्ञानिक जाति है। उड़ने वाले पक्षियों में यह सबसे अधिक वजनी पक्षी है। बड़े आकार के कारण यह शुतुरमुर्ग जैसा प्रतीत होता है। यह राजस्थान का राज्य पक्षी है।(स्रोत - हिंदी ग्रन्थ अकादमी )[2][3][4][5]

गोडावण
Great Indian bustard
बड़ा भारतीय तिलोर
गोडावण
पक्षीगान
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी (Chordata)
वर्ग: पक्षी (Aves)
गण: नवीन चर्खिया (Otidiformes)
कुल: ओटिडिडाए (Otididae)
वंश: कार्टियोसिस (Ardeotis)
जाति: ए. नवीन (A. nigriceps)
द्विपद नाम
Ardeotis nigriceps
विगर्स, 1831
भौगोलिक विस्तार

यह पक्षी भारत और पाकिस्तान के शुष्क एवं अर्ध-शुष्क घास के मैदानों में पाया जाता है। पहले यह पक्षी भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा एवं तमिलनाडु राज्यों के घास के मैदानों में व्यापक रूप से पाया जाता था। किंतु अब यह पक्षी कम जनसंख्या के साथ राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और संभवतः मध्य प्रदेश राज्यों में पाया जाता है। IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों पर प्रकाशित होने वाली लाल डाटा पुस्तिका में इसे 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' श्रेणी में तथा भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में रखा गया है। इस विशाल पक्षी को बचाने के लिए राजस्थान सरकार ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट का विज्ञापन "मेरी उड़ान न रोकें" जैसे मार्मिक वाक्यांश से किया गया है। भारत सरकार के वन्यजीव निवास के समन्वित विकास के तहत किये जा रहे 'प्रजाति रिकवरी कार्यक्रम (Species Recovery Programme)' के अंतर्गत चयनित 17 प्रजातियों में गोडावण भी सम्मिलित है।

यह जैसलमेर के मरू उद्यान, सोरसन (बारां) व अजमेर के शोकलिया क्षेत्र में पाया जाता है। यह पक्षी अत्यंत ही शर्मिला है और सघन घास में रहना इसका स्वभाव है। यह पक्षी 'सोन चिरैया', 'सोहन चिडिया' तथा 'शर्मिला पक्षी' के उपनामों से भी प्रसिद्ध है। गोडावण का अस्तित्व वर्तमान में खतरे में है तथा इसकी बहुत ही कम संख्या बची हुई है अर्थात यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर है। राजस्थान में अवस्थित राष्ट्रीय मरु उद्यान में गोडावण की घटती संख्या को बढ़ाने के लिये आगामी प्रजनन काल में सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए गए हैं। राष्ट्रीय मरु उद्यान (डेज़र्ट नेशनल पार्क) 3162 वर्ग किमी. में फैले इस पार्क में बाड़मेर के 53 और जैसलमेर के 35 गाँव शामिल हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह राजस्थान का सबसे बड़ा अभयारण्य है। इसकी स्थापना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अर्न्तगत वर्ष 1980-81 में की गई थी। राजस्थान में सर्वाधिक संख्या में गोडावण पक्षी इसी उद्यान में पाए जाते हैं। इसलिये इस अभयारण्य क्षेत्र को गोडावण की शरणस्थली भी कहा जाता है।

यह सर्वाहारी पक्षी है। इसकी खाद्य आदतों में गेहूँ, ज्वार, बाजरा आदि अनाजों का भक्षण करना शामिल है किंतु इसका प्रमुख खाद्य टिड्डे आदि कीट है। यह साँप, छिपकली, बिच्छू आदि भी खाता है। यह पक्षी बेर के फल भी पसंद करता है।

इन्हें भी देखें

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बाहरी जोड़

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  1. BirdLife International (2018). "Ardeotis nigriceps". 2018: e.T22691932A134188105. डीओआइ:10.2305/IUCN.UK.2018-2.RLTS.T22691932A134188105.en. Cite journal requires |journal= (मदद)
  2. Bota, Gerard, et al. Ecology and conservation of Steppe-Land birds. International Symposium on Ecology and Conservation of Steppe-land birds. Lynx Edicions 2005. 343 pages. ISBN 84-87334-99-7.
  3. Knox, Alan G.; Martin Collinson; Andreas J. Helbig; David T. Parkin; George Sangster (October 2002). "Taxonomic recommendations for British birds". Ibis. 144 (4): 707–710. doi:10.1046/j.1474-919X.2002.00110.x.
  4. Sibley, Charles G.; Jon E. Ahlquist (1990). Phylogeny and Classification of the Birds: A Study in Molecular Evolution. New Haven: Yale University Press. ISBN 978-0-300-04085-2.
  5. "व्यावहारिक राजभाषा कोश," डॉ दिनेश चमोला, आत्माराम एण्ड संस, 2004, आई एस बी एन 81-7043-392-4.