गौरा देवी (अंग्रेजी : Gaura Devi) जिनका जन्म १९२५ में उत्तराखंड के लाता गाॅंव में हुआ था। इन्हें चिपको आन्दोलन की जननी माना जाता है। उस वक़्त गाॅंव में काफी बड़े-बड़े पेड़ -पौधे थे जो कि पूरे क्षेत्र को घेरे हुए थे। इनकी शादी मात्र १२ वर्ष की उम्र में मेहरबान सिंह के साथ कर दी थीं , जो कि नज़दीकी गांव रेणी के निवासी थे। मेहरबान सिंह किसान को बहुत सारे कोड़ों की मार झेलनी पड़ी शादी के १० वर्ष उपरांत [1] मेहरबान की मृत्यु हो जाने के कारण गौरा देवी को अपने बच्चे का लालन - पालन करने में काफी दिक्कतें आई थीं।

कुछ समय बाद गौरा महिला मण्डल की अध्यक्ष भी बन गई थी।

अलाकांडा में चंडी प्रसाद भट्ट तथा गोविंद सिंह रावत नामक लोगों ने अभियान चलाते हुए सन् १९७४ में २५०० देवदार वृक्षों को काटने के लिए चिन्हित किया गया था [2] लेकिन गौरा देवी ने इनका विरोध किया और पेड़ों की रक्षा करने का अभियान चलाया, इसी कारण गौरा देवी चिपको वूमन के नाम से जानी जाती है।

दस साल बाद देवी ने एक साक्षात्कार में कहा था की भाइयों [3] ये जंगल हमारा माता का घर जैसा है यहां से हमें फल ,फूल ,सब्जियां मिलती अगर यहां के पेड़ - पौधे काटोगे तो निश्चित ही बाढ़ आएगी।

गौरा देवी अपने जीवन काल में कभी विद्यालय नहीं जा सकी थीं। [4]

चिपको वूमन के नाम से जाने वाली गौरा देवी का निधन ६६ वर्ष की उम्र में ०४ जुलाई १९९१ में हो गया था। गोरा देवी को

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "डेली पायोनियर" Remembering Gaura Devi Chipkos Jhansi ki Rani Archived 2016-08-11 at the वेबैक मशीन अभिगमन तिथि :१२ जून २०१६
  2. "मार्कशेप" "Hug the Trees!" (Chipko Movement, Gaura Devi, Chandi Prasad) Archived 2016-06-18 at the वेबैक मशीन अभिगमन तिथि :१२ जून २०१६
  3. "द हिन्दू "Gaura Devi is uneducated Archived 2016-06-13 at archive.today अभिगमन तिथि :१२ जून २०१६
  4. "स्पीकिंगट्री" Gaura Devi's heroin of Chipko Movement Archived 2016-05-15 at the वेबैक मशीन अभिगमन तिथि :१२ जून २०१६