ग्वाला
गौपालक समुदाय
ग्वाला गोप या ग्वालवंशी भारत में हिंदुओं की उपजाति है जो वर्तमान में वृहद अहीर जाति की एक खाँप के रूप में विद्यमान है।[1]
बिहार में ग्वाला व अहीर शब्द गौ पालन वर्ग के पर्याय माने जाते हैं, अहीरों मे प्रमुखतय तीन वर्ग है- ग्वाला वंश, यदु वंश तथा नन्द वंश।[2] विभिन्न ग्रन्थों में भगवान कृष्ण को भी गोपाल या ग्वाला कहा जाता है।[3] अर्थशास्त्र के अनुसार जनपद के चतुर्थ भाग के अधिकारी को गोप कहा जाता था।[4]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Varmā, Ratanalāla (1987). Bhāratīya saṃskr̥ti ke rakshaka. Bhāratīya Gurjara Parishad.
- ↑ Shyam Singh Shashi, Siddalingaswami Gurulingashastrigalu Hiremath,, Lākhana Siṃha (1993). Sāmājika vijñāna Hindī viśvakośa, Volume 1. Kitāba Ghara. पृ॰ 309.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link) सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
- ↑ Swami Krishnanandji Maharaj. Kahai Kabir Kuchh Udyam Keejai. Prabhat Prakashan. पृ॰ 9. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789351865667.
- ↑ Kauṭalya (1983). Kauṭilīyam Arthaśāstram, Volume 1. Kr̥ṣṇadāsa Akādamī. अभिगमन तिथि 28 फरवरी 2016.