घातक (1996 फ़िल्म)
घातक वर्ष 1996 में बनी निर्देशक राजकुमार संतोषी की एक्शन-ड्रामा आधारित हिन्दी भाषा की फिल्म है।[1] फिल्म की मुख्य भूमिकाओं में सनी देओल, मीनाक्षी शेषाद्री, अमरीश पुरी एवं डैनी डेन्जोंगपा ने अभिनय किया है। अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्री की यह अंतिम फिल्म है।
घातक | |
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घातक का पोस्टर | |
निर्देशक | राजकुमार संतोषी |
लेखक |
राजकुमार संतोषी श्याम गुप्ता |
निर्माता | राजकुमार संतोषी |
अभिनेता |
सनी देओल, मीनाक्षी शेषाद्रि, अमरीश पुरी, डैनी डेन्जोंगपा |
संगीतकार |
आर॰ डी॰ बर्मन अनु मलिक |
प्रदर्शन तिथियाँ |
15 नवंबर, 1996 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंकाशी नाथ (सनी देओल) बनारस के रहने वाला दयालु पहलवान और शंभू नाथ (अमरीश पुरी) का कर्तव्यनिष्ठ दत्तक पुत्र है। शंभू नाथ पूर्व स्वतंत्रता सेनानी होने के नाते शहर में एक सम्मानित व्यक्ति हैं। काशी, शंभू के इलाज के लिए मुंबई आता है और अपने भाई शिव नाथ के साथ रहता है। उसे पता चलता है कि कॉलोनी को अत्याचारी गैंगस्टर, कात्या (डैनी डेन्जोंगपा) और उसके छह भाइयों द्वारा आतंकित किया जा रहा है। काशी के आगमन से पहले, सचदेव (ओम पुरी) नामक एक निवासी ने कात्या के खिलाफ विद्रोह शुरू करने की कोशिश की थी। लेकिन उसने उसे बेरहमी से मार डाला, जिससे सचदेव की पत्नी मालती पागल हो गई। कात्या और उसके भाई काशी के दुश्मन बन जाते हैं। बाद में शंभू को गले के कैंसर का पता चलता है और उसके पास जीने के लिए केवल कुछ ही दिन बचे हैं। जब काशी ने कात्या के गिरोह में शामिल होने से इंकार कर दिया, तो कात्या ने शंभू को कुत्ते की तरह भौंकने पर मजबूर करके पूरी कॉलोनी के सामने उसे अपमानित किया। नाटकीय घटनाओं की एक श्रृंखला के बाद, कात्या के भाइयों में से एक, जीना ने शिव को पीट-पीटकर मार डाला। प्रतिशोध में, काशी ने कात्या के भाइयों में से एक अंत्या को मार डाला और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
इस बीच, शंभू की मृत्यु हो गई। जब काशी पुलिस के साथ घाट पर अपने पिता की राख को बिखेरने की कोशिश करता है, तो पुलिस वैन पर कात्या के भाइयों और गुंडों द्वारा हमला किया जाता है। काशी ने कात्या के तीन भाइयों सहित सभी को मार डाला। अब वह कात्या के घर पहुँचता है। हालाँकि, काशी को इस प्रक्रिया में कैद कर लिया जाता है। जैसा कि कात्या ने शंभू को कुत्ते की तरह भौंकने पर मजबूर किया था। उसी प्रकार उसने अपना वर्चस्व फिर से स्थापित करने के लिए काशी को कॉलोनी के सामने बैल की तरह चलने के लिए मजबूर करने की कोशिश की। हालाँकि, गौरी (मीनाक्षी शेषाद्रि) उन लोगों के सामने खड़ी हो जाती है जिससे दर्शक भी हमला करने के लिए उत्तेजित हो जाते हैं। काशी खुद को बंधनों से मुक्त कर लेता है। कात्या के पूरे गिरोह पर मोहल्ले के निवासी हमला करते हैं। कात्या के छठे और आखिरी बचे भाई भीकू को भीड़ मार डालती है। प्रतिशोध के लिए, काशी शंभू की तरह कात्या को कुत्ते की तरह भौंकने पर मजबूर करता है। फिर वह निवासियों के सामने उसे मार डालता है। उसके बाद उसका भतीजा शंभू के दाह संस्कार के लिए उनकी राख लेकर आता है, जिससे वह वापस होश में आ जाता है। अंत अटपटा सा होता है, जहां काशी अपने सभी प्रियजनों को खो देता है। लेकिन अंततः कॉलोनी को अपनी आजादी मिल जाती है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- सनी देओल — काशीनाथ, मुख्य नायक
- मीनाक्षी शेषाद्रि — गौरी, काशीनाथ की प्रेयसी
- डैनी डेन्जोंगपा — कात्या, मुख्य खलनायक
- अमरीश पुरी — शंभुनाथ, पूर्व स्वंत्रता-सेनानी
- मुकेश ऋषि — चीना
- अंजान श्रीवास्तव — धामू काका
- टीनू आनंद — पुलिस अफसर
- केके रैना — शिव नाथ
- विजू खोटे — पिंटो
- हरीश पटेल — कात्या का जीजा
- रोहिणी हट्टंगड़ी — सावित्री
- ओम पुरी — सचदेव नाम के विशेष चरित्र भूमिका में
- ईला अरुण — मालती
- ममता कुलकर्णी — गीत "कोई आए तो ले जाए" के मुख्य नृतक
- गणेश आचार्य — गीत "कोई आए तो ले जाए" के मुख्य नृतक
संगीत
संपादित करेंक्र॰ | शीर्षक | गीतकार | संगीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "कोई जाए तो ले आये" | राहत इन्दौरी | अनु मलिक | शंकर महादेवन, अलका यागनिक, अनु मलिक | 6:44 |
2. | "निगाहों ने छेड़ा है" | मजरुह सुल्तानपुरी | आर॰ डी॰ बर्मन | सुरेश वाडकर, साधना सरगम | 6:23 |
3. | "एक दिल की दीवानी" | मजरुह सुल्तानपुरी | आर॰ डी॰ बर्मन | सुरेश वाडकर, साधना सरगम | 7:27 |
4. | "अक्की नाकी" | मजरुह सुल्तानपुरी | आर॰ डी॰ बर्मन | आशा भोंसले | 8:53 |
5. | "बदन में चाँदनी" | मजरुह सुल्तानपुरी | आर॰ डी॰ बर्मन | कविता कृष्णमूर्ति | 5:53 |
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंवर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1997 | राजकुमार संतोषी | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार | नामित |
सनी देओल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
अमरीश पुरी | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार | जीत | |
राजकुमार संतोषी | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पटकथा पुरस्कार | जीत | |
डैनी डेन्जोंगपा | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार | नामित | |
वी. एन. मयेकर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सम्पादक पुरस्कार | जीत |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Sunny Deol Movies: सनी देओल के करियर की जान हैं ये 15 फिल्में, दो के लिए जीते नेशनल अवॉर्ड". अभिगमन तिथि 11 फरवरी 2024.