चीन-पाकिस्तान सम्बन्ध

चीनी जनवादी गणराज्य तथा पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य के बीच के द्विपक्षीय सम्बन्धों को चीन-पाकिस्तान सम्बन्ध (चीनी भाषा: 中国-巴基斯坦关系 च्रुङ्ग¹क्वो²-पा¹ची¹सी¹था³न क्वाङ्¹शी² Zhōngguó-bājīsītǎn guānxì  ; उर्दू: پاک چین تَعَلُّقات पाक चीन तआ़लुक़ात) कहते हैं। इन दोनों देशों ने 1950 में औपचारिक सम्बन्ध स्थापित किये। पाकिस्तान अधिराज्य ने चीन गणराज्य (ताइवान) के साथ राजनयिक सम्बन्धों को समाप्त करने वाले पहले देशों में से एक था। जो मुख्य भूमि चीन पर पीपुल्स रिपब्लिक् (जनवादी गणराज्य) की सम्प्रभु वैधता को मान्यता देने के पक्ष में था। तब से दोनों देशों ने अपने बीच सम्बन्धों को "विशेष सम्बन्ध" का दर्जा दिया है, और दोनों देशों के बीच नियमित रूप से उच्च स्तरीय राजनेताओं तथा मन्त्रियों की यात्राओं होती रहती हैं। चीन ने पाकिस्तान को आर्थिक, तकनीकी और सैन्य सहायता प्रदान की है। दोनों पक्ष एक-दूसरे को महत्त्वपूर्ण रणनीतिक संमित्र मानते हैं।

चीन-पाकिस्तान सम्बन्ध

पाकिस्तान

चीन
चीन (नारङ्गी) और पाकिस्तान अवैध अधिकृत कश्मीर (POK) के साथ पाकिस्तान (हरा)


पाकिस्तान के चीन के साथ पुराने और प्रगाढ सम्बन्ध हैं। दोनों देशों के बीच लम्बे समय से चले आ रहे सम्बन्ध परस्पर लाभकारी रहे हैं। पारस्परिक हितों की घनिष्ठता द्विपक्षीय सम्बन्धों का केन्द्र-बिन्दु बनी हुई है। 1962 के चीन-भारतीय युद्ध के बाद से पाकिस्तान ने सभी विषयों पर चीन का समर्थन किया है। ताइवान, शिञ्जियाङ्ग् और तिब्बत से सम्बन्धित और मानवाधिकार जैसे अन्य संवेदनशील विषयों पर पाकिस्तान ने सदैव चीन का समर्थन किया है।

पाकिस्तान और चीनी जनवादी गणराज्य के आधुनिक राज्यों की स्थापना से पहले के सम्बन्ध

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जो आज का खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र है, प्राचीन काल में उसी क्षेत्र से एक बौद्ध भिक्षु ने चीन के हान राजवंश के रेशम मार्ग से बौद्ध धर्म का प्रासार में शामिल था। हान राजवंश के पश्चिमी संरक्षित क्षेत्र कुषाण साम्राज्य की सीमा से लगते थे। फैक्सियन ने जिस क्षेत्र की यात्रा की थी वह आज का पाकिस्तान है।

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