हनुमान जयंती
हनुमान जयंती एक हिन्दू पर्व है जो हिंदू देवता हनुमान के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह भारत के विभिन्न भागों में परंपरानुसार अलग-अलग समय एवं तिथियों को मनाया जाता है; उत्तरी भारत के अधिकाँश क्षेत्रों में यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।[1] इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था यह माना जाता है।[2]
हनुमान जयंती | |
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![]() पंचमुखी हनुमान जी | |
आधिकारिक नाम | हनुमान जयंती |
अन्य नाम | बजरंगबली जन्मोत्सव |
अनुयायी | हिन्दू |
प्रकार | धार्मिक |
उत्सव | 1 दिन |
अनुष्ठान | मंदिर दर्शन, हनुमान चालीसा का पाठ, रामायण का पाठ, व्रत, भंडारा, चोला चढ़ाना |
आरम्भ | चैत्र पूर्णिमा |
समापन | चैत्र पूर्णिमा |
2025 date | 12 अप्रैल 2025 |
आवृत्ति | वार्षिक |
समान पर्व | राम नवमी, चैत्र नवरात्रि |
विष्णु जी के राम अवतार के बाद रावण को दिव्य शक्ति प्रदान हो गई। जिससे रावण ने अपनी मोक्ष प्राप्ति हेतु शिवजी से वरदान माँगा की उन्हें मोक्ष प्रदान करने हेतु कोई उपाय बताए। तब शिवजी ने राम के हाथों मोक्ष प्रदान करने के लिए लीला रचि। शिवजी की लीला के अनुसार उन्होंने हनुमान के रूप में जन्म लिया ताकि रावण को मोक्ष दिलवा सके। इस कार्य में रामजी का साथ देने हेतु स्वयं शिवजी के अवतार हनुमान जी आये थे, जो की सदा के लिए अमर हो गए। रावण के वरदान के अनुसार उन्हे मृत्यु के साथ साथ उसे मोक्ष भी दिलवाया।
कार्यक्रम
संपादित करेंहनुमान जयन्ती को लोग हनुमान मन्दिर में दर्शन हेतु जाते है। कुछ लोग व्रत भी धारण कर बड़ी उत्सुकता और ऊर्जा के साथ समर्पित होकर इनकी पूजा करते है। यतः यह कहा जाता है कि ये बाल ब्रह्मचारी थे अतः इन्हे जनेऊ भी पहनाई जाती है। हनुमानजी की मूर्तियों पर सिन्दूर और चाँदी का वर्क चढ़ाने की परम्परा[3] है। कहा जाता है राम की लम्बी आयु के लिए एक बार हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर चढ़ा लिया था और इसी कारण उन्हें और उनके भक्तो को सिन्दूर चढ़ाना बहुत अच्छा लगता है जिसे चोला कहते है। संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर मन्त्र जाप करने को अत्यन्त महत्त्व दिया जाता है। हनुमान जयन्ती पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड पाठ को पढना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है। सभी मन्दिरो में इस दिन तुलसीदास कृत रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा[4] का पाठ होता है। स्थान स्थान पर भण्डारे आयोजित किये जाते है। तमिलानाडु व केरल में हनुमान जयन्ती मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती है। वहीं कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख महीने के 10वें दिन तक यह त्योहार मनाया जाता है।[5]
गुरु
संपादित करेंभगवान् हनुमान के गुरु इनकी माता, भगवान् शंकर, भगवान् सूर्य और ऋषि मातंग थे। [6]
हनुमान का नामकरण
संपादित करेंइन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अतिरिक्त ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अञ्जनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शङ्कर सुवन आदि।[7]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंविकिमीडिया कॉमन्स पर हनुमान जी से सम्बन्धित मीडिया है। |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Google Books". Google. 2021-09-29. Retrieved 2025-04-11.
- ↑ "हनुमान जयंती पुस्तक". Archived from the original on 11 अप्रैल 2017. Retrieved 11 अप्रैल 2017.
- ↑ "हनुमान जयंती कब है, जानिए कैसे मनाएं यह पर्व?". Archived from the original on 11 अप्रैल 2017. Retrieved 11 अप्रैल 2017.
- ↑ "हनुमान चालीसा". Archived from the original on 21 जनवरी 2021.
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(help) - ↑ "हनुमान जयंती को कब और कैसे मनाते हैं". Archived from the original on 11 अप्रैल 2017. Retrieved 11 अप्रैल 2017.
- ↑ "guru of hanuman | हनुमानजी के गुरु कौन थे?". hindi.webdunia.com. Retrieved 2023-04-25.
- ↑ "हनुमान जी के 12 नाम". आज तक. Archived from the original on 6 अक्तूबर 2017.
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