जेजाकभुक्ति के चन्देल
मध्यकालीन भारतीय राजवंश
जेजाकभुक्ति के चन्देलों ने लगभग 9वीं से 15वीं शताब्दी तक वर्तमान भारत के मध्य भाग में वर्तमान बुंदेलखंड नामक भौगोलिक क्षेत्र एवं कुछ आसपास के क्षेत्रों पर शासन किया।[2] उनके द्वारा शासित क्षेत्र को जेजाकभुक्ति अथवा जिझौती या जुझौती के नाम से जाना जाता था। चन्देल राजपूतों का एक वंश अथवा कबीला है,[3] जिन्होंने अन्य कई भौगोलिक क्षेत्रों में शासन किया; हालाँकि, इनमें से जेजाकभुक्ति के चन्देल अधिक प्रभावशाली रहे।
जेजाकभुक्ति के चन्देल | |||||||||||
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ल. 831 – 1315 CE | |||||||||||
विद्याधर चन्देल के काल 1025 ई. में चन्देलों का राज्य-विस्तार[1] | |||||||||||
राजधानी | |||||||||||
धर्म | |||||||||||
सरकार | राजशाही | ||||||||||
ऐतिहासिक युग | मध्यकालीन भारत | ||||||||||
• स्थापित | ल. 831 | ||||||||||
• अंत | 1315 CE | ||||||||||
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अब जिस देश का हिस्सा है | बुन्देलखण्ड, भारत |
शासकों की सूची
- सामंत
- नन्नुक (831-845 ई.)
- वाक्पति (845-865 ई.)
- जयशक्ति एवं विजयशक्ति (865-885 ई.)
- राहिल (885-905 ई.)
- हर्ष (905-925 ई.)
- यशोवर्मन प्रथम (925-950 ई.)
- स्वतंत्र राजा
- धंग (950-999 ई.)
- गण्ड (999-1002 ई.)
- विद्याधर (1003-1035 ई.)
- विजयपाल (1035-1050 ई.)
- देववर्मन (c. 1050-1060 CE)
- कीर्तिवर्मन (1060-1100 ई.)
- सल्लक्षणवर्मन (1100-1110 ई.)
- जयवर्मन (1110-1120 ई.)
- पृथ्वीवर्मन (1120-1128 ई.)
- मदनवर्मन (1128-1164 ई.)
- यशोवर्मन द्वितीय (1164-65 ई.)
- परमर्दिदेव (1165-1203 ई.)
- त्रैलोक्यवर्मन (1203-1245 ई.)
- वीरवर्मन (1245-1285 ई.)
- भोजवर्मन (1285-1288 ई.)
- हम्मीरवर्मन (1288-1311 ई.)
सन्दर्भ
- ↑ Schwartzberg, Joseph E. (1978). A Historical Atlas of South Asia. Oxford University Press, Digital South Asia Library. पृ॰ 146, Map "j".
- ↑ Chandra, Satish (2007). History of Medieval India: 800-1700 (अंग्रेज़ी में). Orient BlackSwan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-250-3226-7.
- ↑ Majumdar 1977, पृ॰ 289.
स्रोत ग्रंथ
- Majumdar, R.C. (1977). Ancient India (अंग्रेज़ी में). मोतीलाल बनारसीदास. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-0436-4. अभिगमन तिथि 26 मार्च 2024.
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