प्रमुख जैन तीर्थ
भारत पर्यंत जैन धर्म के अनेकों तीर्थ क्षेत्र हैं। यहाँ प्रमुख तीर्थ क्षेत्रों की जानकारी दी गयी है। यह जानकारी प्रमुख तीर्थ क्षेत्रों वाले राज्यों के अनुसार दी गई है। भारत के प्रमुख जैन तीर्थ क्षेत्र इस प्रकार हैं -
बिहार
संपादित करेंपूर्वी रेलवे के पारसनाथ अथवा गिरीडीह स्टेशन से पहाड़ की तलहटी मधुवन तक क्रमशः 14 और 18 मील है। इस क्षेत्र से 20 तीर्थंकर
एवं असंख्य मुनि मोक्ष गए हैं। पहाड़ की चढ़ाई उतराई तथा यात्रा करीब 18 मील की है। पारसनाथ हिल और गिरीडीह से बस शिखरजी जाने के लिए मिलती है।
यह पहाड़ जंगल में है। गया से जाया जाता है। इसकी चढ़ाई 2 मील है। इस पहाड़ पर 10वें तीर्थंकर शीतलनाथजी ने तप करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया था।
पटना जिले के नवादा स्टेशन से डेढ़ मील। यहाँ से गौतम स्वामी मोक्ष गए हैं।
बिहार के स्टेशन बिहार शरीफ से 12 मील। नवादा से मोटर भी जाती है। यहाँ से महावीर स्वामी कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मोक्ष गए हैं। यहाँ का जल मंदिर दर्शनीय है। इसी जलमंदिर वाले स्थान पर भगवान महावीर का अग्नि संस्कार किया गया। उसी में भगवान महावीर स्वामी के चरणचिह्न स्थित हैं।
बिहार प्रांत में स्टेशन राजगिरि कुंड से 4 मील अथवा बिहार शरीफ से 24 मील। यहाँ विपुलाचल, सोनागिरि, रत्नागिरि, उदयगिरि, वैभारगिरि ये पंच पहाड़ियाँ प्रसिद्ध हैं। इन पर 23 तीर्थंकरों का समवशरण आया था तथा कई मुनि मोक्ष भी गए हैं। (यह राजा श्रेणिक की राजधानी थी)।
राजगृही के पास नालंदा स्टेशन से 3 मील। यह भगवान महावीर स्वामी का जन्म स्थान माना जाता है।
बिहार प्रांत में भागलपुर स्टेशन। यहाँ से वासूपूज्य स्वामी मोक्ष गए हैं।
- पटना
पटना सिटी में गुलजारबाग स्टेशन के पास एक छोटी सी टेकरी पर चरण पादुकाएँ स्थापित हैं। यहाँ से सेठ सुदर्शन ने मुक्ति लाभ किया है।
उड़ीसा
संपादित करें- खण्डगिरि
उड़ीसा में भुवनेश्वर स्टेशन से 4 मील पर खण्डगिरि और उदयगिरि नाम की दो पहाड़ियाँ हैं। यहीं से कलिंग देश से 500 मुनि मोक्ष गए हैं।
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़
संपादित करें- सोनागिरि
ग्वालियर झाँसी लाइन पर सोनागिरि स्टेशन से 2 मील श्रमणाचल पर्वत है। पहाड़ पर 77 श्वेतांबर जैन मंदिर हैं।
- पपौरा
ललितपुर से 36 मील और टीकमगढ़ से 3 मील है। चारों ओर कोट बना है। यहाँ लगभग 90 मंदिर हैं। कार्तिक सूदी 14 को मेला भरता है।
- चन्देरी
ललितपुर से 24 मील। वहाँ से मोटर जाती है। यहाँ की चौबीसी भारतवर्ष में प्रसिद्ध है।
कुंडलपुर (बड़े बाबा)
यह छेत्र दमोह जिले से 35 किलोमीटर पर कटनी रोड पर स्थित है।यह छेत्र सिद्ध एवं अतिशय दोनो है।
पचराई
संपादित करेंचन्देरी से 24 मील खनियाधाना स्थान है। वहाँ से 8 मील पर पचराई गाँव है। यहाँ पर 28 जिन मंदिर हैं।
- थूबौन
चन्देरी से आठ मील। यहाँ 25 मंदिर हैं। भगवान शांतिनाथ की 20 फुट उत्तुंग मूर्ति अपनी विशालता के लिए प्रसिद्ध है।
- अंतरिक्ष पार्श्वनाथ
सेंट्रल रेलवे के अकोला (बरार) स्टेशन से लगभग 40 मील पर शिवपुरी नाम का गाँव है। गाँव के मध्य धर्मशालाओं के बीच में एक बहुत बड़ा प्राचीन विशाल दुमंजिला जैन मंदिर है। नीचे की मंजिल में एक श्यामवर्ण ढाई फुट ऊँची पार्श्वनाथजी की प्राचीन प्रतिमा है। जो वेदी के ऊपर अधर में विराजमान है।
- खजुराहो
मध्यप्रदेश में छतरपुर से 7 मील। यह एक छोटा सा गाँव है। 31 मूल रूप मे श्वेतांबर जैन मंदिर जो अब दिगंबर मे परिवर्तित हैं। यहाँ के प्राचीन मंदिरों की निर्माण कला दर्शनीय है।
- द्रोणगिरि
मध्यप्रदेश में सेंधपा नामक गाँव है। निकटवर्ती स्टेशन गणेशगंज, सागर तथा लिधौरा हैं। यहाँ से गुरुदत्तादि मुनि मोक्ष गए हैं।
- नैनागिरि
सेंट्रल रेलवे के सागर स्टेशन से 30 मील। सागर से मोटर दलपतपुर जाती है, वहाँ से 7 मील है। यहाँ से वरदत्तादि मुनि मोक्ष गए हैं।
- कुण्डलपुर (बड़े बाबा)
सेंट्रल रेलवे की कटनी बीना लाइन पर दमोह स्टेशन से 24 मील। भगवान महावीर स्वामी की मनोज्ञ मूर्ति के माहात्म्य के संबंध में अनेक किंवदंतियाँ हैं। कुल 59 मंदिर हैं।
- मुक्तागिरि
मध्यप्रांत के एलिचपुर स्टेशन से 12 मील पहाड़ी जंगल में है। यहाँ से साढ़े तीन करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं।
- मक्सी पार्श्वनाथ
सेंट्रल रेलवे की भोपाल उज्जैन शाखा में इस नाम का स्टेशन है। यहाँ से 1 मील पर एक प्राचीन जैन मंदिर है। उसमें पार्श्वनाथ की बड़ी मनोज्ञ प्रतिमा है।
- सिद्धवरकूट
इंदौर से खंडवा लाइन पर मोरटक्का नामक स्टेशन से ओंकारेश्वर होते हुए अथवा सनावद से 6 मील पर है। यहाँ से दो चक्रवर्ती, 10 कामदेव एवं साढ़े तीन करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं।
- बड़वानी
बड़वानी स्टेशन से 5 मील पहाड़ पर यह क्षेत्र है। यहाँ के चूलगिरि पर्वत से इंद्रजीत और कुम्भकर्ण मुनि मोक्ष गए हैं।
- रामटेक
यह स्थान नागपुर से 24 मील पर है। यहाँ दिगंबर जैनों के आठ मंदिर हैं, जिनमें से एक प्राचीन मंदिर में सोलहवें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ स्वामी की 15 फुट ऊँची मनोज्ञ प्रतिमा है।
- खनियाधाना
मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में चन्देरी से ४० किलो मीटर दूर खनियाधाना है। यहाँ ४ मन्दिर है। चेतनबाग नामक स्थल पर नन्दीश्वर दीप की अदभुत रचना की गयी है। साथ ही पास मैं ही गोलाकोट नामक स्थल दर्शनीय है। वहाँ सैकडो साल पुरानी जैन मूर्तिया स्थापित है। १ किलो मीटर पहाड के ऊपर जिन मन्दिर देखने योग्य है।
बुंदेलखंड
संपादित करें- सर्वोदय तीर्थ
मुख्य रेल्वे स्टेशन से २५ km दूर
- चंद्रगिरी (डूंगरगढ़)
डूंगरगढ़ रेल्वे स्टेशन से 4 K.M. दूर
उत्तरप्रदेश
संपादित करें- वाराणसी
इस नगर में भदैनीघाट सातवें तीर्थंकर भगवान सुपार्श्वनाथ का जन्म स्थान है। भेलुपुर में तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की जन्मभूमि है। शहर में अन्य कई मंदिर दर्शनीय हैं।
- सिंहपुरी
बनारस से 7 मील। यहाँ श्रेयांसनाथ भगवान के गर्भ, जन्म, तप से तीन कल्याणक हुए।
- चंद्रपुरी
बनारस से 13 मील अथवा सारनाथ से 7 मील पर गंगा किनारे। यहाँ पर चंद्रप्रभु भगवान का जन्म हुआ था।
- प्रयाग
यहाँ त्रिवेणी संगम के पास एक पुराना किला है। किले के भीतर जमीन के अंदर एक अक्षय वट (बड़ का पेड़) है। कहते हैं कि श्री ऋषभदेव ने यहाँ तप किया था।
- अयोध्या
आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनन्दननाथ, सुमतिनाथ, अनन्तनाथ का जन्म स्थान।
- रत्नपुरी
फैजाबाद जिले में सोहावल स्टेशन से डेढ़ मील। धर्मनाथ स्वामी के चार कल्याणक हुए हैं।
- श्रावस्ती
बहराइच से 29 मील। यह भगवान संभवनाथ की पवित्र जन्मभूमि है और यहीं 4 कल्याणक हुए हैं।
- कौशाम्बी
प्रयाग से 32 मील पर फफौसा ग्राम के पास। यहाँ पर पद्मप्रभु स्वामी के चार कल्याणक हुए हैं।
- कम्पिला
कानपुर कासगंज लाइन पर। कायमगंज स्टेशन से 8 मील। यहाँ विमलनाथ स्वामी के चार कल्याणक हुए हैं।
- अहिक्षेत्र
बरेली-अलीगढ़ लाइन पर आमला स्टेशन से 8 मील रामनगर गाँव से लगा हुआ यह क्षेत्र है। इस क्षेत्र पर तपस्या करते हुए भगवान पार्श्वनाथ के ऊपर कमठ के जीव ने घोर उपसर्ग किया था और उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
- हस्तिनापुर
मेरठ से 22 मील। शांतिनाथ, कुन्थुनाथ और अरहनाथ तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म और तप कल्याणक हुए हैं।
- चौरासी
मथुरा शहर से डेढ़ मील। यहाँ से जम्बूस्वामी मोक्ष गए हैं।
- शौरीपुर
शिकोहाबाद से 10 मील बटेश्वर ग्राम है। यहाँ पर नेमिनाथ स्वामी के गर्भ और जन्म कल्याणक हुए हैं।
- देवगढ़
ललितपुर के निकट (जाखलौन स्टेशन से 8 मिल दूरी पर) है। भगवान शांतिनाथ की 12 फुट उत्तुंग विशाल प्रतिमा, 8 मानस्तम्भ हैं तथा कई कलापूर्ण सुंदर प्राचीन मंदिर हैं।
- आहार
ललितपुर स्टेशन से 36 मील टीकमगढ़ है, वहाँ से 12 मील पूर्व में यह क्षेत्र स्थित है। यहाँ पर 18 फुट उत्तुंग भगवान शांतिनाथ की सर्वोत्तम प्रतिमा तथा विशाल संग्रहालय है।
राजस्थान
संपादित करें- श्री महावीरजी
पश्चिम रेलवे की नागदा-मथुरा लाइन पर श्री महावीरजी स्टेशन है। यहाँ से 4 मील पर क्षेत्र है। भगवान महावीर की अतिमनोज्ञ प्रतिमा पास के ही एक टीले के अंदर से निकली थी। यहाँ पर जिनालय का निर्माण श्री जोधराज दीवान पल्लीवाल ने बनवाया।
- चाँदखेड़ी
कोटा के निकट खानपुर नाम का एक प्राचीन नगर है। खानपुर से 2 फर्लांग की दूरी पर चाँदखेड़ी नाम की पुरानी बस्ती है। यहाँ भूगर्भ में एक अतिविशाल जैन मंदिर है एवं अनेक विशाल जैन प्रतिमाएँ हैं।
- पद्मपुरी
स्टेशन श्योदापुर। भगवान पद्मप्रभु की अतिशयपूर्ण भव्य और मनोज्ञ प्रतिमा के अतिशय के कारण इस क्षेत्र का नाम पद्मपुरी पड़ा है।
- सांगानेर जैन मंदिर
श्री जैन श्वेतांबर आदिनाथ & चंद्रप्रभु प्राचीन जुड़वा मंदिर जयपुर का प्रथम शिखर वाला जिनालय, विशाल रंगमंडप मे संजीव मुद्रा मे यक्ष यक्षणीया विशाल परिसर, रात्रि मे देव देवियों का भगवान की भक्ति करना, यहां ऊपरवाले मंदिर के आदिनाथ भगवान को श्रद्धा से नारियल मनोकामना पूर्ण होती है।
यहां जैन संघीजी सांगानेर नाम से प्रसिद्ध एक जैन मंदिर है, जो मूल जैन श्वेतांबर का मंदिर था। वर्तमान मे दिगंबर के कब्जे मे है। यहांश्वेतांबर जैन आचार्य 1582 मे पधारे इसका यहां उल्लेख है, आज भी श्वेतांबर जैन मूर्तियां के चिन्हों को मिटाया जा रहा है।
- केसरियानाथ
उदयपुर स्टेशन से 40 मील पर। यहाँ ऋषभदेव स्वामी का विशाल मंदिर है। यहाँ भारत के सभी तीर्थों से अधिक केसर भगवान को चढ़ती है। इसी से इसका नाम केसरियानाथ है।
यह स्थापत्य कला की दृष्टि से एक भव्य जैन मन्दिर है। इसका निर्माण १९वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुआ।
- मोराझड़ी अतिशय जैन तीर्थ क्षेत्र ,
अजमेर से करीब 35 किलोमीटर दूर , नसीराबाद से रामसर होते हुए ग्राम मोराझड़ी में भगवान पार्श्वनाथ का अतिशयकारी जैन मंदिर है , इस मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की मनमोहक अतिशयकारी प्रतिमा है , जो बहुत सालों पहले धनोप नदी से निकली थी !
श्री श्वेतांबर जैन अतिक्षयश्रेत्र चन्द्रगिरी बैनाड (जयपुर) :जयपुर शहर से 15 किलोमीटर दूर (वाया झोटवाडा से बैनाड रेल्वे लाईन के साथ-साथ | पहाड़ी की तलहटी में अति प्राचीन चन्द्र प्रभु मंदिर,समोशरण मंदिर एवं नन्दीश्वरद्वीप मंदिर तथा पहाडी पर वर्तमान चौबीसी एवं बाहुबली मंदिर |रहने व खाने की समुचित व्यवस्था |
- सिरस जैन तीर्थ
भरतपुर जिला के वैर तहसील के सिरस ग्राम मे भूगर्भ से प्राप्त जटा सहित श्री महावीर स्वामी भगवान की प्राचीन अतिशयकारी जिन प्रतिमा है यहां चौबीसी और विशाल आवास स्थान भोजनशाला की सुंदर है NH–21 से छोकरवाड़ा होते हुए पहुंचा जा सकता है
गुजरात तथा दक्षिण
संपादित करें- खंभात
प्राचीन काल में त्रांबवती नगरी और स्तंभन तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध "खंभात" के 73 जिनालय जैन धर्म की यशोगाथा गाते हुए दीपामायन हो रहे हैं। जैन धर्म में गुजरात के सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत स्थान है खंभात । यहां "खाड़ी" और "बंदरगाह" होने के कारण देश-विदेश से यात्री तीर्थ स्पर्शना के लिए आते हैं और इस पावन भूमि पर विभिन्न गच्छों के आचार्यों का आगमन भी हुआ है। श्री विनयप्रभ म.सा. ने गौतम स्वामी रास की रचना यहाँ स्थंभन पार्श्वनाथ में ही की थी। दूसरी ओर खंभात प्राचीनतम ताडपत्री और ग्रन्थों भण्डारों की अमूल्य धरोहर भी है। खंभात की हलवासन और सुतारफेनी मिठाई भी विश्व प्रसिद्ध है।
यहां के 73 जिनालयों में से मुख्य जिनालय "श्री स्थंभन पार्श्वनाथ तीर्थ" है जो भारतवर्ष के 108 पार्श्वनाथों में एक है और इसके अतिरिक्त 108 पार्श्वनाथों में 4 पार्श्वनाथ तीर्थ भी यहीं स्थित हैं यथा- श्री भीड़भंजन (कंसारी) पार्श्वनाथ श्री सौम चिंतामणी पार्श्वनाथ श्री रत्न पार्श्वनाथ श्री नवखण्डा (भुवन) पार्श्वनाथ इस तरह यहां कुल पांच (5) पार्श्वनाथ तीर्थ और स्थित हैं। श्री स्थंभन पार्श्वनाथ भगवान की मनमोहक अतिप्रभावक प्रतिमा नीलम पत्थर से निर्मित है जिस पर वर्तमान में विलेपन किया हुआ है।
- तारंगा
गुजरात में स्टेशन तारंगाहिल से 3 मील दूर पहाड़ पर यह क्षेत्र है। यहाँ से वरदत्तादि साढ़े तीन करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं।
- गिरिनार
काठियावाड़ में जूनागढ़ स्टेशन से 4 5 मील की दूरी पर गिरिनार पर्वत की तलहटी है। पहाड़ पर 7000 सीढ़ियों का चढ़ाव है। यहाँ से नेमिनाथ स्वामी तथा 72 करोड़ 700 मुनि मोक्ष गए हैं।
- शत्रुंजय
पालीताना स्टेशन से 2 मील पर। यहाँ से युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन तथा 8 करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं।
- पावागढ़
बड़ौदा से 28 मील की दूरी पर यह क्षेत्र है। यहाँ से लव, कुश आदि पाँच करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं।
- माँगीतुंगी
मनमाड़ स्टेशन से 70 मील पर घने जंगल में पहाड़ पर यह क्षेत्र है। यहाँ से रामचंद्र, सुग्रीव, गवय, गवाक्ष, नील आदि 99 करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं।
- गजपन्था
नासिक रोड स्टेशन से 9 मील नसरुल ग्राम के पास। यहाँ से बलभद्र आदि आठ करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं।
- कुंथलगिरि
वार्सी टाउन रेलवे स्टेशन से 21 मील दूरी पर। यहाँ से देशभूषण, कुलभूषण मुनि मोक्ष गए हैं।
कर्नाटक
संपादित करें- मूडबिद्री
कारकल से दस मील पर यह एक अच्छा कस्बा है। यहाँ 18 मंदिर हैं। यहाँ के मंदिरों में हीरा, पन्ना, पुखराज, मूँगा, नीलम की मूर्तियाँ हैं।
भगवान बाहुबली (जिन्हें गोमतेश्वर भी कहा जाता है) की विशाल मूर्ति 45 फीट ऊंची है। इसका वजन 80 टन है। यह मूर्ति विजयनगर के शासकों के भैरासा सामंतो द्वारा 1432 ई. में स्थापित की गई थी।
हासन जिले के अंतर्गत यह क्षेत्र है। हासन से मोटर जाती है। श्रवणबेलगोला में चंद्रगिरि और विन्ध्यगिरि नाम की दो पहाड़ियाँ पास पास हैं। पहाड़ पर 57 फुट ऊँची बाहुबलि की प्रतिमा विराजमान है। हर 12 वर्ष बाद महामस्तकाभिषेक होता है।