दतिया
दतिया (Datia) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के दतिया ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। भौगोलिक रूप से यह बुंदेलखंड क्षेत्र में है।[1][2] यह नगर यदुवंशी क्षत्रिय बाहुल्य है। दतिया को लघु वृदांवन भी कहा जाता है | यह पुराना शहर एक पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें सुंदर महल और उद्यान हैं। वीर सिंह देव का 17वीं शताब्दी का महल उत्तर भारत की हिंदू वास्तुकला का एक उल्लेखनीय उदाहरण है।[3]
दतिया Datia | |
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दतिया शहर के ऊपर राजगढ़ दुर्ग | |
निर्देशांक: 25°40′N 78°28′E / 25.67°N 78.47°Eनिर्देशांक: 25°40′N 78°28′E / 25.67°N 78.47°E | |
ज़िला | दतिया ज़िला |
प्रान्त | मध्य प्रदेश |
देश | भारत |
ऊँचाई | 420 मी (1,380 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,00,284 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी, बुंदेली |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 475661 |
दूरभाषकूट | 917522 |
वाहन पंजीकरण | MP-32 |
वेबसाइट | http://datia.nic.in |
विवरण
संपादित करेंदतिया नगर को 16 वी सदी में बुन्देलखण्ड के प्रतापी बुन्देला राजा वीर सिंह जू देव ने बसाया था। ग्वालियर के निकट उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित दतिया मध्य प्रदेश का लोकप्रिय तीर्थस्थल है। पहले यह मध्यप्रेदश राज्य में देशी रियासत थी पर अब यह स्वतंत्र जिला है। यह उत्तर में भिंड, एवं जालौन, दक्षिण में शिवपुरी एवं झाँसी, पूर्व में समथर एवं झाँसी तथा पश्चिम में ग्वालियर से घिरा है। सिंध एवं पहूज जिले की प्रमुख नदियाँ हैं। यहाँ की अधिकांश मिट्टी अनुपजाऊ है। दलहन, गेहूँ, ज्वार, कपास आदि की यहाँ कृषि की जाती है।
दतिया नगर झाँसी से 16 मील दूर, झाँसी-ग्वालियर सड़क पर स्थित है। पुराने समय से ही यहाँ के क्षत्रिय प्रसिद्ध रहे हैं। यहाँ कई प्राचीन महल, डाक बँगला, अस्पताल, कारागृह एवं अनेक शिक्षा संस्थाएँ हैं। दतिया का पुराना कस्बा चारों ओर से पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें बहुत से महल और उद्यान बने हुए हैं। 17वीं शताब्दी में बना बीर सिंह महल उत्तर भारत के सबसे बेहतरीन इमारतों में माना जाता है। यहां का पीताम्बरा देवी शक्तिपीठ भारत के श्रेष्ठतम और महत्वपूर्ण शक्तिपीठों में एक है। प्रतिवर्ष यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आवागमन लगा रहता है।
मुख्य आकर्षण
संपादित करेंसोनगिरी के जैन मंदिर
संपादित करेंसोनगिरी के मंदिर जैन धर्म के दिगंबर सम्प्रदाय का पवित्र तीर्थस्थल है। इसी स्थान पर राजा नंगनाग ने अपने 15 मिलियन अनुयायियों के साथ मोक्ष प्राप्त किया था। भक्तगणों और संतों के बीच यहां के मंदिर बहुत लोकप्रिय है। वे यहां आकर मोक्ष प्राप्ति और आत्मानुशासन का अभ्यास करते हैं। सोनगिरी के पहाड़ी पर 77 मंदिर और पास के गांव में 26 जैन मंदिर हैं। पहाड़ी पर बना 57 नंबर का मंदिर यहां का मुख्य मंदिर है। इस मंदिर में भगवान चन्द्रप्रभु की 11 फीट ऊंची आकर्षक प्रतिमा स्थापित है। यहां भगवान शीलतनाथ और पार्श्वनाथ की भी सुंदर प्रतिमाएं स्थापित हैं। सोनगिरी दतिया से 15 किलोमीटर की दूरी पर है
गोविन्द महल
संपादित करेंसात खंड का यह पूरा महल पत्थरों से बना हुआ है। गोविन्द महल को 1614 ई. में राजा बीर सिंह देव ने बनवाया था। बुन्देला शासकों द्वारा बनवाए गए सबसे बेहतरीन इमारतों में इसकी गणना की जाती है। महल में आकर्षक भित्तिचित्र बने हुए हैं। महल में कुछ सुंदर मूर्तियों भी स्थापित की गई हैं और महल के ऊपरी मंजिल से आसपास के क्षेत्र का सुंदर नजारा देखा जा सकता है।राजकुमार
बालाजी सूर्य मंदिर
संपादित करेंउनाव दतिया मुख्यालय से 17 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां का बालाजी मंदिर अति प्राचीन माना जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर प्रागैतिहासिक काल का है। तीर्थस्थल होने की वजह से दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के निकट ही पवित्र जल का एक टैंक है। कहा जाता है कि इस जल से स्नान करने पर तमाम दुख दर्द मिट जाते हैं। इस स्थान को बालाजी धाम के नाम से भी जाना जाता है।
राजगढ़ महल और संग्रहालय
संपादित करेंपीताम्बरा पीठ के निकट बना राजगढ़ महल राजा शत्रुजीत बुन्देला द्वारा बनवाया गया था। यह महल बुन्देली भवन निर्माण शैली में बना है। इस स्थान पर ही एक संग्रहालय भी है जहां भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व की अनेक वस्तुओं का संग्रह रखा गया है।
बडोनी
संपादित करेंयह स्थान छोटी बडोनी के नाम जाना जाता है जो दतिया से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यंहा पर बहुत ही प्रसिद्ध हवेली है जंहा बुन्देलखण्ड के प्रतापी राजा वीर सिंह जू देव का राज्याभिषेक हुया था यहां बौद्ध और जैन धर्म से संबंधित गुप्तकालीन मंदिर बने हुए हैं। साथ ही यह स्थान बुन्देली शैली में बने किले और हवेलियों के लिए भी काफी लोकप्रिय है। और यहीं पर गुप्त काल का एक मन्दिर भी है।
सनकुआ
संपादित करेंदतिया से 70 किलोमीटर दूर यह स्थान सिंध नदी पर बने जलप्रपात के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा कान्हागढ़ किला और नन्दनन्दन महल भी लोगों को आकर्षिक करने में कामयाब होता है। सिओंधा से 15 किलोमीटर की दूरी पर रतनगढ़ माता का लोकप्रिय मंदिर है जो एक घने जंगल के भीतर स्थित है।
भांडेर
संपादित करेंभंडेर दतिया से 30 किलोमीटर दूर है। हाल ही में इसे दतिया की तीसरी तहसील के रूप शामिल किया गया है। महाभारत काल में इस स्थान का नाम भंडकपुर था। यह स्थान सोन तलैया, लक्ष्मण मंदिर और प्राचीन किले के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर
संपादित करेंलघु वृंदावन नाम से मशहूर दतिया शहर में अनेक खूबसूरत मंदिर बने हुए हैं। अवध बिहारी मंदिर, शिवगिर मंदिर, विजय राघव मंदिर, गोविन्द मंदिर और बिहारीजी मंदिर यहां के लोकप्रिय मंदिर हैं। श्रद्धालुओं का यहां हमेशा हुजूम लगा रहता है।
आवागमन
संपादित करें- वायु मार्ग - ग्वालियर दतिया का निकटतम एयरपोर्ट है ग्वालियर पहुंचकर बस या टैक्सी के माध्यम से आसानी से दतिया पहुंचा जा सकता है। अथवा दतिया में मध्यप्रदेश शासन द्वारा हवाई पट्टी बनबाई गयी है जिस पर आप शासन की इजाजत से अपना प्राइवेट जेट भी उतार सकते है तथा भोपाल एवं इंदौर से यहां प्राइवेट फ्लाइट्स भी आती है।
- रेल मार्ग - दतिया रेलवे स्टेशन दिल्ली-मुम्बई मुख्य रेल लाइन पर पड़ता है। दिल्ली, आगरा, मथुरा, ग्वालियर, झांसी, भोपाल आदि शहरों से अनेक रेलगाड़ियां दतिया से होकर जाती है। दतिया शहर से यह रेलवे स्टेशन करीब 3 किलोमीटर दूर है।
- सड़क मार्ग - दतिया उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। दोनों राज्यों के अनेक शहरों से यहां के लिए नियमित बसों की व्यवस्था है। झांसी, ग्वालियर, मथुरा, डबरा, आगरा, ओरक्षा आदि शहरों से यहां के लिए राज्य परिवहन निगम की नियमित बसें चलती रहती हैं।
जनसंख्या
संपादित करें2024 में दतिया शहर की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 140,000 है | भारत की जनगणना की अनंतिम रिपोर्ट के अनुसार, 2011 में दतिया की जनसंख्या 100,284 है। [4]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293
- ↑ "About District".
- ↑ "Datia Population 2024".