यह एक श्री बलराम और आल्हा ऊदल[1] के वंशजो[2] का समूह है जिसे दाऊ, दौवा, दौआ या दऊआ यादव (अहीर)[2] के नाम से जाना जाता है, इनका बुंदेलखंड में बहुत ही गौरवपूर्ण इतिहास रहा है[3][4] और आज भी इनकी बहुत अच्छी स्थिति है और इन्हे दाऊ साहब और ठाकुर साहब कहकर लोग सम्मान देते हैं। दाऊवंशी यादव बुंदेलो से बहुत पहले ही राज्य स्थापित कर चुके थे। चंदेलराज परमाल के अहीर सेनापति आल्हाऊदल के साथ युद्घ करने वाले डोगरसिंह दौवा[5] और उनके भाई दलसिंह दौवा[5] भी दाऊवंशी यादव (अहीर) थे।[1]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Chandbardai (1913). Prithviraj Raso Vol. - Vi.
  2. Singh, Mahendra Pratap (2001). Shivaji, Bhakha Sources and Nationalism (अंग्रेज़ी में). Books India International.
  3. Bihārī, Śyāma (1993). Bundelakhaṇḍa ke rasokāvya. Ārādhanā Bradarsa.
  4. Sharma, Rambilas; Śarmā, Rāmavilāsa (1996). Apanī dharatī apane loga: Mun̐ḍera para Sūraja. Kitāba Ghara. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7016-305-3.
  5. "महोबा का विजयपर्व है कजली महोत्सव" जाँचें |url= मान (मदद). India Water Portal Hindi. अभिगमन तिथि 2023-10-29.[मृत कड़ियाँ]