द्रव्यगुण विज्ञान
पोषण, स्वास्थ्य एवं व्याधिप्रतिकार हेतु आहार एवं औषध के रूप में प्रयुक्त होने वाले सभी द्रव्यों की पहचान, गुण, कर्म एवं प्रयोग का जिस शास्त्र में विवेचन हो उसे द्रव्यगुणशास्त्र कहते हैं। द्रव्यगुणविज्ञान आयुर्वेद का मूल विषय है। इसे आयुर्वेद का 'मैटेरिया मेडिका' कह सकते हैं। इस विज्ञान में भेषजगुण विज्ञान (फर्माकोलॉजी), भेषज-अभिज्ञान (pharmacognosy) तथा पादपों के चिकित्सीय उपयोग शामिल है।
'द्रव्यगुण' दो शब्दों से मिलकर बना है - 'द्रव्य' (matter) तथा 'गुण' (properties)। द्रव्य के अन्तर्गत जीवित और निर्जीव दोनो वस्तुएँ आ जाती हैं।
द्रव्यगुण विज्ञान के छः अंग हैं (षडङ्ग्ं द्रव्यगुणम्)-
- (१) नामरूपज्ञान (Pharmacognosy),
- (२) गुणज्ञान (Study of Properties),
- (३) कर्मज्ञान (Pharmacology ) ,
- (४) प्रयोगज्ञान (Clinical Pharmacology) ,
- (५) योगज्ञान (Study of formulation),
- (६) कल्पज्ञान (Pharmaceutics) ।
चरक का कहना है कि कुछ भी ऐसा नहीं है जो 'औषधि' न हो। आयुर्वेद का मत है कि किसी औषधि का प्रभाव उसके किसी एक घटक के अकेले के प्रभाव से प्रायः भिन्न होता है। आयुर्वेद में वनस्पतियों के गुणागुणों को पाँच भागों में बांटा गया है-
- रस (taste), गुण (properties), वीर्य (biological properties), विपाक (attributes of drug assimilation) और शक्ति (Energy)।
औषधियों के कार्य और प्रभाव को जानने के लिये उनके रस, गुण, वीर्य, विपाक, और शक्ति का ज्ञान अति आवश्यक है।
महत्व
संपादित करेंचिकित्साशास्त्र का महत्त्वपूर्ण, अत्यधिक उपयोगी और मुख्य अङ्गभूत विषय होने के कारण द्रव्यगुणशास्त्र का महत्त्व विशेष रूप से है। कहा गया है कि-
- निघण्टुना विना वैद्यो विद्वान् व्याकरणं विना।
- अनभ्यासेन धानुष्कस्त्रयो हास्यस्य भाजनम्॥ (राजनिघण्टु १/९)
- (निघण्टु (द्रव्यगुणशास्त्र) के बिना वैद्य, व्याकरण के बिना विद्वान, तथा अभ्यास के बिना धानुष्क - ये तीनों ही समानरूप से हास्य (उपहास) के पात्र होते हैं।)
ये भी कहा है कि,
- यथा विषं यथा शस्त्रं यथाग्निरशनिर्यथा ।
- तथौषधमविज्ञातं विज्ञातममृतं यथा' ॥ (चरकसंहिता सूत्रस्थान १:१२५)
- (जिस प्रकार विष, शस्त्र, अग्नि या इन्द्र का वज्र प्राण हर लेते हैं उसी प्रकार अविज्ञात (न जानी हुई) औषधि प्राणघातक होती है
और विज्ञात (जानी हुई) औषधि अमृत के समान प्राणरक्षक होती है ।)
- (जिस प्रकार विष, शस्त्र, अग्नि या इन्द्र का वज्र प्राण हर लेते हैं उसी प्रकार अविज्ञात (न जानी हुई) औषधि प्राणघातक होती है
द्रव्य भी साधन होने के कारण शस्त्र के समान है। औषध का अज्ञानपूर्वक प्रयोग सामाजिक तथा नैतिक दृष्टि से महान् अपराध है।
ये भी कहा गया है कि वैद्य को द्रव्यों का गुण और अगुण पहले से ही मालूम होना चाहिए।
- वैद्येन पूर्वं ज्ञातव्यो द्रव्याणामगुणाः गुणाः।
- यदायत्तं हि भैषज्यं यज्ज्ञाने जात क्रिया क्रमः॥
आयुर्वेद में 600 से भी अधिक औषधीय पादपों को औषध के रूप में उपयोग में लाया जाता है। इन्हें अकेले या दूसरों साथ मिलाकर रोगों से मुक्ति पाया जाता है। औषधीय पादप अलग-अलग तरह के कृषि-जलवायीय क्षेत्रों (जंगल, अनूप, साधारण देश) में पैदा होते हैं। वर्तमान समय में औषधीय पादपों को 'प्राकृतिक औषध' के रूप में प्रयोग करने का चलन बढ़ा है। इस कारण इस विषय का महत्व और भी बढ़ गया है।
इतिहास
संपादित करेंअष्टाङ्ग आयुर्वेद में द्रव्यगुणविज्ञान को स्थान प्राप्त नहीं है। इस हेतु इस शास्त्र (द्रव्यगुणशास्त्र) की व्यापकता की युक्ति दी जाती है। सूत्रस्थान ३०वें अध्याय में चरक ने यहाँ तक कहा है कि सम्पूर्ण तन्त्र में जहाँ-तहाँ आयुष्यकर एवं अनायुष्यकर द्रव्य, गुण एवं कर्मों का ही उपदेश किया गया है।
वैदिक वाङ्मय में आयुर्वेद सम्बन्धी अनेक तथ्य दृष्टिगत होते हैं जिसमें अनेक ओषधियों का भी उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद का ओषधि-सूक्त इस प्रसंग में अवलोकनीय है जिसमें ओषधिविज्ञान के बीज निहित हैं। वहीं अश्वावती, सोमवती, ऊर्जयन्ती और उदोजस - इन चार चमत्कारी रसायन ओषधियों का निर्देश है। क्रमशः इनकी संख्या बढ़ती गयी और अथर्ववेद में शताधिक ओषधियों का विस्तृत वर्णन मिलता है। ओषधियों के अतिरिक्त द्रव्यगुण के मौलिक सिद्धान्तों का निर्देश भी वैदिक वाङ्मय में उपलब्ध है।
वस्तुतः आयुर्वेद का वैज्ञानिक आधार उत्तरवैदिक काल में स्थापित हुआ जिसका विवरण हम आयुर्वेदीय संहिताओं में पाते हैं। इसी काल में ही द्रव्यगुण का भी वैज्ञानिक स्वरूप मौलिक सिद्धान्तों के साथ प्रस्फुटित हुआ।
प्राचीन आयुर्वेदीय संहिताओं में चरकसंहिता और सुश्रुतसंहिता प्रमुख हैं। चरक ने युक्ति प्रमाण को स्थापित कर आयुर्वेद को वैज्ञानिक रूप दिया। औषध द्रव्यों का अनेक प्रकार से वर्गीकरण किया। पचास महाकषायों में कर्मानुसार औषधों को व्यवस्थित किया। मौलिक सिद्धान्तों का स्वरूप भी स्पष्ट किया। द्रव्यों की कार्मुकता में रस, गुण, वीर्य, विपाक और प्रभाव का लक्षण एवं महत्व पहली बार स्थापित किया गया।
सुश्रुत ने द्रव्यगुण को और आगे बढ़ाया। द्रव्यों के वर्गीकरण, सिद्धान्त और द्रव्य–विवरण के विकास की स्पष्ट रेखा देखी जा सकती है। चरक के त्रिसूत्र के स्थान पर सुश्रुत ने चतुःसूत्र (पुरुष, व्याधि, औषध और क्रियाकाल) की स्थापना की और इसे चिकित्साशास्त्र का बीज बतलाया। वानस्पतिक द्रव्यों को चरक ने औद्भिद गण में रखा है जबकि सुश्रुत ने इस गण को 'स्थावर' संज्ञा दी। वर्गीकरण में भी स्पष्ट अन्तर देखा जा सकता है। चरक के महाकषायों में पार्थिव द्रव्यों का कोई गण नहीं है किन्तु सुश्रुत ने ऐसे दो गणों (त्रप्वादि एवं ऊषकादि) का निर्धारण किया। पारद का भी सर्वप्रथम प्रयोग सुश्रुतसंहिता में ही मिलता है। सुश्रुत ने शक्तिरूप होने के कारण प्रभाव को वीर्य के अन्तर्गत रखा। सुश्रुतसंहिता सूत्रस्थान के सात अध्यायों (३८-४२, ४५-४६) में द्रव्यगुण की चर्चा विशेष रूप से है।
इतना महत्वपूर्ण होने पर भी अष्टाङ्ग आयुर्वेद में द्रव्यगुणविज्ञान को स्थान प्राप्त नहीं है और द्रव्यगुणविज्ञान को किसी अंगविशेष तक सीमित रखने में इस शास्त्र की व्यापकता को आघात पहुँचता है तथापि अध्ययन की सुविधा के लिए, व्यावहारिक धरातल पर लाने हेतु एवं शास्त्र की प्रगति हेतु इसे एक स्वतंत्र अंग के रूप में विस्तारित करना आवश्यक था। इस कार्य को ११वीं शती में चक्रपाणि ने द्रव्यगुणसंग्रह नामक ग्रन्थ का निर्माण कर आरम्भ किया एवं द्रव्यगुणशास्त्र को एक स्वतन्त्र शास्त्र के रूप में आयुर्वेदजगत् के सामने लाने का प्रथम प्रयास किया।
चक्रपाणि के इस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए २०वीं शती के उत्तरार्द्ध में इस प्रकार के और भी दुर्लक्षित तथा पराधीन शास्त्रों को संयुक्त कर तथा प्राचीन अष्टाङ्ग आयुर्वेद के कुछ कालबाह्य अंगों को घटाकर आचार्य प्रियव्रत शर्मा द्वारा षोडशाङ्गहृदयम् का सजृन होकर द्रव्यगुणविज्ञान सहित कुछ शास्त्रों को स्वतन्त्र अंगों के रूप में आयुर्वेदजगत् में सर्वमान्य करने के प्रयास को आगे बढ़ाया गया। उन्होने आयुर्वेद को षोडशांग बना दिया-
- मौलिकसिद्धान्ताः, शारीरं, द्रव्यगुणं, भेषजकल्पना, रसशास्त्र, निदान, कायचिकित्सा, स्वस्थवृत्तं, मानसरोगः, रसायनं, वाजीकरणं, अगदतन्त्रं, शल्यं, शालाक्य, कौमारभृत्य, प्रसूतितन्त्रञ्चेति।" (द्रव्यगुणसूत्रम् १/३, ४.)
आयुर्वेद के उपर्युक्त षोडश अंगों में द्रव्यगुणविज्ञान प्रधानतम है क्योंकि स्वास्थ्यरक्षण एवं रोगप्रशमन की सभी क्रियायें द्रव्य के ही आश्रित हैं। गुण, कर्म, द्रव्याश्रित हैं तथा आयुर्वेद के सभी अंग द्रव्यगुण के आश्रित हैं।
कुछ प्रमुख औषधीय पादपों के द्रव्यगुण
संपादित करेंक्रमांक | हिन्दी नाम | प्रमुख कर्म | परिवार | लैटिन नाम | पर्याय | अंग्रेजी नाम | रूप | रासायनिक संघटन | गुण | रस | विपाक | वीर्य | आमयिक प्रयोग | प्रयोज्यांग | खुराक | विशिष्ट योग |
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1 | अगरु | शीतप्रशमन | Thymelaeaceae | Aquilaria agallocha | लोह, कृमिज, कृमिजग्ध, अगर | Aloe/ eagle wood | वृक्ष | Sesquiterpene | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | त्वच्य, कर्णनेत्ररोगहर, कफ़हर, वातरक्त, आमवात, श्वास, वाजिकारक | काण्डसार, तैल | 1-3 gm | अगुर्वादि तैल |
2 | अग्निमन्थ | शोथहर | Verbaenaceae | Premna mucronata | जय, श्रीपर्ण, गणिकारिका, वातघ्नी, | 0 | वृक्ष 25 फीट | 0 | रूक्ष, लघु | तिक्त, कटु, कषाय, मधुर | कटु | उष्ण | मंदाग्नि, शोथ, पाण्डु, रसायन, आमवत, प्रमेह | पत्र, मूल त्वक | 1-3 gm | दशमूलारिष्ट |
3 | अतिबला | बल्य | Malvaceae | Abutilon indicum | कंकतिका, कंघी | Country mallow | गुल्म | Asparegin | लघु, स्निग्ध, पिच्छिल | मधुर | मधुर | शीत | वातहर, रसायन, मूत्रजनन, वाजीकर, प्रदरहर, बल्य | मूल, बीज | 3-6 Gm | |
4 | अतिविषा | दीपन | Ranunculaceae | Aconitum heterophyllum | भंगुरा, शुक्ल्कन्दा, घुणवल्लभा, काश्मीरा, शिशुभैषज्या | Indian Atees | क्षुप 3 फीट | Atisine, hetisine | लघु, रूक्ष | तिक्त, कटु | कटु | उष्ण | पाचक, अग्निदीपक, ग्राही, ज्वरहर, संग्रहणी, विष, कृमि, वमन | मूल, कन्द | 1-3 gm | अतिविषादि चूर्ण, बालचतुर्भद्रा |
5 | अपामार्ग | यकॄत्य | Amaranthaceae | Achyranthes aspera | शिखरी, अधशल्य, मयूरक, खरमंजरी, प्रत्यकपुष्पा, आघाट, चिङचिङा, लटजीरा | Prickly chalff flower | क्षुप 2 फीट | Potass | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | सारक, वमन, कफ़, मेद, वायु, ह्रद्रोग, अर्श, कण्डु, उदर, अपची | मूल, पत्र, तण्डुल, पंचांग | 1-2 gm | अपामार्गक्षार -तैल |
6 | अर्क | तीक्ष्णविरेचन | Asclepidaceae | Calotropis procera | तूलफल, क्षीरपर्ण, आस्फोट, मदार | Madar | गुल्म | Tripsin, Uscarine, Calotropin | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | संग्राही, गुल्म, शोथ, आमवात, उदररोग, श्वास, कास, यकृत, अर्बुद | क्षीर, मूल, काण्ड, पत्र, पुष्प | 0.5-1gm | अर्कलवण, अर्कतैल, अर्केश्वर |
7 | अर्जुन | हॄद्य | Combretaceae | Terminalia arjuna | धवल, ककुभ, वीरवृक्ष, नदीसर्ज, इन्द्र्दु | Arjuna | वृक्ष 60 फीट | Arjunetin, Tannin | लघु, रूक्ष | कषाय | कटु | शीत | हृद्य, क्षत, क्षय, मेद, प्रमेह, व्रण, प्रमेह पिडिका, कफपित्तहर | त्वक | 3-6 Gm | अर्जुनारिष्ट-घृत |
8 | अशोक | आर्तवसंग्रहणीय | Caesalpiniodae | Saraca asoca | हेमपुष्प, ताम्रपल्ल्व | वृक्ष | Haematoxylin, Tannin | लघु, रूक्ष | कषाय, तिक्त | कटु | शीत | ग्राही, वृर्ण्य, कृष्टार्तव, श्वेत-रक्तप्रदर, रक्तातिसार, गर्भाशयशिथिलताहर | त्वक, बीज, पुष्प | 3-6 Gm | अशोकारिष्ट | |
9 | अश्वगन्धा | रसायन | Solanaceae | Withania somnifera | वराहकर्णी | क्षुप 5 फीट | Cuseohygrine, withanaloids | लघु, स्निग्ध | तिक्त, कटु, मधुर | मधुर | उष्ण | बल्य, शुक्रल, रसायन, वात, कफ, श्वित्र, शोथ, क्षयहर | मूल | 3-6 gm | अश्वगन्धा-रिष्ट-चूर्ण-घृत-रसायान | |
10 | अश्वगोल | मॄदुविरेचन | Plantaginaceae | Plantago ovata | ईषद् गोल, अश्वकर्णबीज, शीतबीज | Spogel seeds | क्षुप | Mucilage | गुरु, स्निग्ध, पिच्छिल | मधुर | मधुर | शीत | आतिसार, प्रवाहिका, शुष्ककास, तृषा, विबन्ध, अल्सर, अम्लपित्त | बीज, त्वक | 5-10 gm | |
11 | अहिफ़ेन | मदकारी | Papaveraceae | Papaver somniferum | आफ़ूफ, ओपियम | Opium | क्षुप | Morhhine, Codeine | लघु, रूक्ष, सुक्ष्म, व्यवायी, विकासी | तिक्त, कषाय | कटु | उष्ण | कासहर, धातुशोषक, स्तंभन, पुरुषत्वनाशक | निर्यास | 30-125 mg | कपूररस, अहिफेनासव |
12 | आमलकी | रसायन | Euphorbiaceae | Emblica officinalis | धात्री | Emblic myrobalan | वृक्ष | Vit C high, galic acid, Ca | गुरु, रूक्ष, शीत | पंचरस लवणवर्जित अम्लप्रधान | मधुर | शीत | रक्तपित, प्रमेह, वृष्य, रसायन, त्रिदोषहर, विबन्धहर | फल | 3-6 gm | च्यवन्प्राश, ब्रह्मरसायन, धात्रीलौह |
13 | आरग्वध | कुष्ठघ्न | Leguminosae | Cassia fistula | राजवृक्ष, शम्पाक, कृतमाल, चतुरगुंल, दीर्घफल, स्वर्णभूषण | Purging nut | वृक्ष | Sugar, pectine, gultine | गुरु, मृदु, स्निग्ध | मधुर | मधुर | शीत | ज्वर, ह्रद्रोग, रक्तपित, उदावर्त, विबन्ध, कुष्ठ | फलमज्जा | 5-10 gm | आरग्यवधादि-तैल-लेह-अरिष्ट |
14 | आर्द्रक/शुण्ठी | तॄप्तिघ्न | Zingiberaceae | Zingiber officinale | नागर, महौषध, विश्वभेषज, श्रृंगवेर, आर्द्रक | Dry Ginger | क्षुप | Zingirol | लघु, स्निग्ध (शुण्ठी) गुरु, रूक्ष, तीक्ष्ण, (आर्दक) | कटु | मधुर (शुण्ठी) कटु (आर्द्रक) | उष्ण | मदांग्नि, जिह्वाकण्ठविशोधन, कुष्ठ, पाण्डु, शीतपित्त, श्वास, कास | कन्द | 1-2 gm | सौभाग्यशुण्ठी पाक |
15 | उशीर | स्वेदापनयन | Graminae | Vetiveria zizanoides | नलद, अमृणाल, खस, समगन्धक | Khaskhas grass | तृण | Volatile oil | रूक्ष, लघु | तिक्त, मधुर | कटु | शीत | स्तंभन, ज्वर, वमन, दाह, अम्ल्पित्त, तृषा, विसर्प, मूत्रकृच्छ्र, विष, रक्तविकारहर | मूल | 3-6 Gm | उशीरासव, षडंगपानीय |
15 | एरण्ड | वेदनास्थापन | Euphorbiaceae | Ricinus communis | गन्घर्वहस्त, व्याघ्रपुच्छ, पंचागुल, | Castor | वृक्षक | Ricine (Poisonus) | स्निग्ध, तीक्ष्ण, सुक्ष्म | मधुर, कटु, कषाय | मधुर | उष्ण | वातघ्न, कफ, कृमि, मुत्रकृच्छ्र, गुल्मबस्तिशूलहरं, यकृत, प्लीहा, उदर, अर्श, विबन्ध, आमवातहर | मूल, पत्र, बीज | 20 gm | एरण्ड-पाक-तैल |
16 | एला | दाहप्रशमन | Zingiberaceae | Elettaria cardamomum | त्रिपुटा, त्रुटि, द्रावङी, सूक्ष्मैला, इलायची | Lesser cardamom | क्षुप | K, Mn | लघु, रूक्ष | कटु, मधुर | मधुर | शीत | कफ, श्वास, कास, अर्श, मूत्रकृच्छ्र, मुखगन्धहर | बीज | .5-1 gm | एलादि चूर्ण-गुटिका-मोदक-क्वाथ-रिष्ट |
17 | कंकुम | वर्ण्य | Iridaceae | Crocus sativus | घुसण, रक्त, वाह्लीक, काश्मीर | Saffron | क्षुप | Volatile oil, Crocin | स्निग्ध | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | वर्ण्य, शिरोरोग, कृमि, वमन, व्यंग(झांई), त्रिदोषहर | केशर | 250-500 mg | कुंकुमादि-घृत-तैल |
18 | कटुका | पित्तविरेचन | Scrophulariaceae | Picrorhiza kurroa | तिक्ता, कटुरोहणी, काण्डरुहा, मत्स्यशकला, चक्रांगी, कृष्णभेदा, शतपर्वा, कुटकी | Picrorhiza | क्षुप | Picrorhizine, Kutkine | रूक्ष, लघु | तिक्त | कटु | शीत | भेदनी, दीपनी, हृद्य, कफपित्तज्वरहर, प्रमेह, श्वास, कास, दाह, कृमि, कुष्ठहर | मूल, भौमिक काण्ड | 0.5-1 gm | आरोग्यवर्धिनी, तिक्तादि क्वाथ |
19 | कण्टकारी | कासहर | Solanaceae | Solanum surattense | दुस्पर्शा, क्षुद्रा, व्याघ्री, निदिग्धिका | Yellow berried night shade | प्रसरी क्षुप | Diosgenin, kno3 | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | तिक्त, कटु | कटु | उष्ण | पाचन, कास, ज्वर, कफवातशामक, पीनस, पार्श्वपीङा, कृमि, हृद्रोग, मूत्रल | पंचांग | 40-80 ml | कण्टकारी घृत, व्याघ्रीहरीतकी |
20 | कपिकच्छु | वॄष्य | Leguminosae | Mucuna prurita | आत्मगुप्ता, मर्कटी, कण्डुरा, शूकशिम्बी, केवांच | Cowhage | लता | Pruriyenine | गुरु, स्निग्ध | मधुर, तिक्त | मधुर | उष्ण | पाचन, कास, ज्वर, कफवातशामक, पीनस, पार्श्वपीङा, कृमि, हृद्रोग, मूत्रल | बीज, रोम, मूल | 3-6 gm | वानरी गुटिका, माषबलादि पाचन |
21 | कम्पिलक | कॄमिघ्न | Euphorbiaceae | Mallotus philippinesis | कर्कश, रक्तांग, रेचन, कबीला | Kamala tree | वृक्ष 30 फीट | Rottlerin | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु | कटु | उष्ण | कफपित्तहर, रक्त, कृमि, गुल्म, उदर, व्रण, रेचक, प्रमेह, विष, अश्मरीहर | फलरज | 1-3 gm | क्रिमिघातनी वटी |
22 | कर्कट्श्रंगी | कासहर | Anacardiaceae | Pistacia integerrima | अजश्रृंगी, कुलीरविषाणिका, वक्रा, | 0 | वृक्ष 40 फीट | Tannin, Vol oil | लघु, रूक्ष | कषाय, तिक्त | कटु | उष्ण | कफवातहर, क्षय, ज्वर, श्वास, उर्ध्ववात, तृष्णा, कास, हिक्का, अरुचि, वमनहर | कोष | 1-3 Gm | श्रृंग्यादि चूर्ण, बालचतुर्भद्रा |
23 | कर्पूर | हॄद्य | Lauraceae | Cinnamomum camphora | घनसार, चन्द्र, हिमाह्व | Camphor | वृक्ष 100 फीट | Camphor oil | लघु, तीक्ष्ण | तिक्त, कटु, मधुर | कटु | शीत | शीतल, चक्षुष्य, लेखन, कफपित्तविषहर, दाह, तृष्णा, मुखमेदगन्धहर, सुगन्धि | सत्व | 125-375 mg | कर्पूररस-आसव-अर्क |
24 | काञ्चनार | गण्डमालानाशन | Leguminosae | Bauhinia veriegata | गण्डारि, चमरिक, युग्मपत्रक, कर्बुदार, स्वल्पकेशरी | 0 | वृक्ष | Tannin | रूक्ष, लघु | कषाय | कटु | शीत | शीत, ग्राही, कफपित्तहर, कृमि, कुष्ठ, गुदभृंश, गण्डमाला, व्रण, प्रदर, क्षय, कासहर | त्वक, पुष्प | 3-6 gm | काञ्चनार गुग्गुलू |
24 | कालमेघ/भूनिम्ब | यकॄत्य | Acanthaceae | Andrographis paniculata | कालमेघ, यवतिक्ता, | Kalmegh | क्षुप 2 फीट | Kalmeghin, Andrographolid | लघु, रूक्ष | तिक्त | कटु | उष्ण | यकृतविकार, ज्वर, आम, पैत्त्तिकविकार, कृमि, दाह, अम्लपित्त, व्रण | पंचांग | 1-3 gm | कालमेघ-तरल-सत्व |
25 | किराततिक्त | ज्वरघ्न | Gentianaceae | Swertia chirayata | किरात, चिरायता | Chiretta | क्षुप | Mengigerin, Gentianine | लघु, रूक्ष | तिक्त | कटु | उष्ण | सारक, शीतल, ज्वरघ्न, सन्निपातज्वर, श्वास, कफपित्त, कास, शोथ, कुष्ठ, व्रण, कृमिहर | पंचांग | 1-3 gm | सुदर्शन चूर्ण, किरातादि क्वाथ |
26 | कुटज | उपशोषक | Apocynaceae | Holarrhena antidysenterica | गिरीमल्लिका, वत्सक, कलिंग, इन्द्रवृक्ष, कुङा | Kurchi | वृक्ष 40 फीट | Conessin | लघु, रूक्ष | तिक्त, कषाय | कटु | शीत | अर्श, अतिसार, पित्तरक्त, कफ, तृष्णा, आम, कुष्ठहर | त्वक, बीज | 3-6 gm | कुटजा-रिष्ट-अवलेह-सुरा |
27 | कुपीलू | आक्षेपजनन | Loganiaceae | Strychnos nuxvomica | विषतिन्दुक, काकतिन्दुक, कुचला | Nuxvomica | वृक्ष 50 फीट | Strychanine | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | तिक्त, कटु | कटु | उष्ण | मदकारक, कफपित्तहर, व्यथाहर(वेदना), ग्राही, पक्षाघात, वाजीकर, आमवात | बीज मज्जा | 60-250 mg | विषतिन्दुक वटी, नवजीवन रस |
28 | कुमारी | पित्तविरेचन | Liliaceae | Aloe vera | गृहकन्या, घृतकुमारी, ग्वारपाठा, | Indian aloe | क्षुप 2 फीट | Aloin | गुरु, स्निग्ध, पिच्छिल | तिक्त | कटु | उष्ण | बल्य, वातविषहर, वृष्य, चक्षुष्य, रसायन, गुल्म, प्लीहा, यकृत, ग्रन्थि, अग्निदग्ध, रेचनी, अनार्तव | पत्र, एलुवा | 0.1-0.2 gm | कुमार्यासव, कुमारिकावटी, रजःप्रवर्तनीवटी, कुमारिकापाक |
29 | कूष्माण्ड | मेध्य | Cucurbitaceae | Benincasa hispida | पुष्पफल, वल्लीफल, बृहतफल | White guard melon | लता | Cucurbitine | लघु, स्निग्ध | मधुर | मधुर | शीत | बल्य, बस्तिशोधक, मेध्य, अम्लपित्तहर, पित्तशामक, वृष्य, त्रिदोषहर | बीज, तैल, फल | 10-20 Gm | कूष्माण्ड-घृत |
30 | कॄष्णजीरक | दीपन | Umbelliferare | Carum Blubocastanum | काश्मीरजीरक | Black Caraway | क्षुप | Vol.oil | लघु, रूक्ष | कटु | कटु | उष्ण | अर्श, आनाह, टी.बी.हर, वातानुलोमन, स्तन्यजनन, अपचन | बीज | 1-3 gm | |
31 | खदिर | कुष्ठघ्न | Leguminosae | Acacia catachu | रक्तसार, दन्तधावन, बालपत्र, कण्टकी | Cutch tree | वृक्ष | Catechin, tannin | लघु, रूक्ष | तिक्त, कषाय | कटु | शीत | शीतल, श्वास, कफपित्त, कास, कुष्ठ, व्रण, प्रमेह, श्वित्र, ज्वरघ्न, रक्तपित्तहर | त्वक, सार | 1-3 Gm | खदिरादि-वटी-चूर्ण-रिष्ट-क्वाथ |
32 | गम्भारी | शोथहर | Verbaenaceae | Gmelina arboria | श्रीपर्णी, मधुपर्णिका, काश्मरी, पीतरोहणी | 0 | वृक्ष 60 फीट | Resin | गुरु | तिक्त, कषाय, मधुर | कटु | उष्ण | दीपन, पाचन, मेध्य, भेदनी, भ्रम, शोष, तृष्णा, शूल, अर्श, विष, दाह, ज्वरहर, फल-केश्य, रसायन, रक्तपित्तहर | मूल त्वक, फल | 50-100 ml | दशमूलारिष्ट |
33 | गुग्गुलू | वेदनास्थापन | Burseraceae | Commiphora mukul | देवधूप, माहिषाक्ष, पंलकषा, पुर | Indian bedellium | गुल्म | Gum, vol.oil | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण, विशद, सुक्ष्म, सर, सुगन्धि | तिक्त, कटु | कटु | उष्ण | त्रिदोषहर, रसायन, मेह, कास, प्रमेह, कामला, कुष्ठ, क्रिमि, हृद्रोग, वातरक्तहर | निर्यास | 2-4gm | चन्द्रप्रभा वटी, योगराज गुग्गुलू |
34 | गुडूची | रसायन | Menispermaceae | Tinospora cardifolia | मधुपर्णी, अमृता, छिन्नरुहा, वत्सादनी, तन्त्रिका, कुण्डलनी, चक्रलक्षणिका, गिलोय | लता | Giloin, Berberine | गुरु, स्निग्ध | तिक्त, कषाय | मधुर | उष्ण | भग्नसंधान, वृष्य, स्वर्य, रसायन, आमवातग्रन्थिहर, कफव्रण अपचीहर, पुराण मेदोहर | काण्ड | 3-6 gm | अमृतारिष्ट, गुडूच्यादि-चूर्ण-सत्व-क्वाथ-लौह-तैल | |
35 | गोक्षुर | मूत्रविरेचनीय | Zygophyllaceae | Tribulus terrestris | स्वादुकण्टक, श्वदंष्ट्रा, त्रिकण्टक, चणद्रुम, वनश्रृंगाट, इक्षुगन्धिका, गोखरु | Puncture vine | प्रसरी क्षुप | Harman, No3 | गुरु, स्निग्ध | मधुर | मधुर | शीत | बस्तिशोधन, वृष्य, अश्मरीहर, प्रमेह, श्वास, कास, अर्श, मूत्रकृच्छ्र, हृद्रोग, स्वप्नदोष वातहर | फल | 1-3 gm | गोक्षुरादि-चूर्ण-अवलेह-गुग्गुलू-क्वाथ-दशमूलारिष्ट |
36 | चन्दन | दाहप्रशमन | Santalaceae | Santalum album | श्रीखण्ड, गन्धसार, मलयज | Sandal wood | वृक्ष | Santalol | लघु, रूक्ष | तिक्त, मधुर | कटु | शीत | आह्लादितकर, शोष, विष, श्लेष्मा, पित्त, रक्त, दाहहर | काण्डसार, निर्यास | 3-6 Gm | चन्दनादि-चूर्ण-वटी-चन्दनासव |
37 | चित्रक | दीपन | Plumbaginaceae | Plumbago zeylanica | अग्नि | Leadwort | क्षुप 4 फीट | Plumbagine | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु | कटु | उष्ण | ग्राही, ग्रहणी, मन्दाग्नि, कुष्ठ, शोथ, अर्श, कृमि, कास, वातकफहर, आमवात | मूलत्वक | 1-2 gm | चित्रकादि वटी, चित्रकहरीतकी |
38 | जटामांसी | संज्ञास्थापन | Valerianaceae | Nordostachys jatamansi | भूतजटा, तपस्वनी, सुलोमशा | Spikenard | क्षुप | Volatile oil | लघु, स्निग्ध | तिक्त, कषाय, मधुर | कटु | शीत | मेध्य, वर्ण्य, बल्य, त्रिदोषहर, दाह, विसर्प, कुष्ठनाशक, रक्तप्रवाह सन्तुलित | मूल | 2-4 Gm | मांस्यादि क्वाथ |
39 | जम्बू | मूत्रसंग्रहणीय | Myrtaceae | Syzygium cumini | महाफला, फलेन्द्रा, जामुन | Jaman | वृक्ष | Jamboline, Strach, Tannin | लघु, रूक्ष | कषाय, तिक्त, मधुर | कटु | शीत | व्रण, प्रमेह, भग्न, अतिसार, अत्यार्तव, वमन, रक्तातिसार | फल, फलअस्थि, पत्र, त्वक~ | 3-6 gm | जम्ब्वाद्य तैल, पंचपल्लव योग |
40 | जातिफल | ग्राही | Myrtaceae | Myristica fragrans | जातिकोष, मालतीफल, जायफल | Nutmeg tree | वृक्ष 40 फीट | Vol oil, Myritic acid | लघु, तीक्ष्ण | तिक्त, कटु | कटु | उष्ण | दीपन, ग्राही, स्वर्य, वातकफहर, मुखवैरस्यहर, कृमि, कास, श्वास, हृद्रोग, कण्ठ्य | बीज, कोष | 0.5-1 gm | जातिफलादि चूर्ण, जातिफलादि वटी |
41 | जीरक | दीपन | Umbelliferare | Cuminum cyminum | जरण, अजाजी, दीर्घजीरक | Cummin seed | क्षुप | Cumaldehyde | लघु, रूक्ष | कटु | कटु | उष्ण | आनाह, वातानुलोमन, स्तन्यजनन, अपचन, अतिसार, अग्निमांद्यहर, ग्राही | बीज | 3-6 gm | जीरकाद्य-चूर्ण-तैल-रिष्ट-मोदक |
42 | ज्योतिषमति | मेध्य | Celastraceae | Celastrus panniculatis | पारावतपदी, काकाण्डी, पीततैला | Staff tree | लता | Celastrine, Panniculatine | तीक्ष्ण, | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | अति उष्ण, वामक, मेधा-जठराग्नि-स्मरणशक्ति वर्धक, वातविकार, आमवात, माईग्रेन | बीज, तैल | 5-10 drop | ज्योतिषमति तैल |
43 | तालीस | छेदन | Pinaceae | Abies webbiana | पत्राढ्य, धात्रीपत्र, शुकोदर | Fir | वृक्ष 150 फीट | Vol oil | लघु, तीक्ष्ण | तिक्त, मधुर | कटु | उष्ण | श्वास, कास, कफ़वात, अरुचि, गुल्म, आम, अग्निमांद्य, क्षयरोगहर | पत्र | 2-5 gm | तालिसादि चूर्ण-वटी |
44 | तिल | केश्य | Pedaliaceae | Sesamum indicum | तिल | Seasamum | क्षुप | Vit A-B-C, Ca, Fat | गुरु, स्निग्ध | मधुर, कषाय, तिक्त | मधुर | उष्ण | बल्य, केश्य, त्वच्य, दन्त्य, ग्राही, अग्निमतिप्रद, अल्पमूत्रकर, कृष्णतिल श्रेष्ठ, वीर्यप्रद | बीज, तैल | 3-6 Gm | तिलादि गुटिका |
45 | तुलसी | विषमज्वरघ्न | Labiatae | Ocimum sanctum | सुरसा, अपेतराक्षसी, भूतघ्नी, बहुमंजरी, देवदुन्दुभी, सुलभा, ग्राम्या | Holy basil | क्षुप 4 फीट | Vol oil, phenol, Ascarbic acid | लघु, रूक्ष | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | ह्रद्य, अग्निदीपक, कुष्ठ, पार्श्वशूलहर, वातकफ़हर, श्वास, कास, मूल-वीर्यस्तम्भक | पत्र, पुष्प, बीज, मूल | 1-3 gm | |
45 | त्रिवॄत | सुखविरेचन | Convolvulaceace | Operculina terpethum | त्रिभण्डी, सरला, रेचनी, सुवहा, निशोथ् | Indian jalap | लता | Terpethine | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | तिक्त, कटु | कटु | उष्ण | रेचन, वातहर, पित्तज्वर, कफ़, पित्त, शोथ, उदररोगहर, कामला, अर्शहर | मूलत्वक | 1-3 gm | त्रिवृत-चूर्ण-गुटिका-क्वाथ-घृत |
46 | त्वक | छेदन | Lauraceae | Cinnamomum zeylanicum | उत्कट, दारुसिता, दालचीनी | Cinnamon | वृक्ष 25 फीट | Eugenol, Cinnamaldehyde | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु, तिक्त, मधुर | कटु | उष्ण | स्वादिष्ट, तिक्त, वातपित्तहर, सुगन्धि, शुक्रल, बल्य, मुख-शोष-तृष-कैन्सरहर | त्वक, तैल, पत्र | 1-3 Gm | सितोपलादि चूर्ण |
47 | दन्ती | तीक्ष्णविरेचन | Euphorbiaceae | Baliospermum montanum | उदुम्बरपर्णी, एरण्डफला, शीघ्रा, निकुम्भ, प्रत्येकश्रेणी | 0 | गुल्म/ क्षुप | Oil | गुरु, तीक्ष्ण | कटु | कटु | उष्ण | शोथघ्न, रेचन, उदर, जलोदर, कामला, यकृतविकार, गुल्म, ज्वर, विबन्ध | मूल, बीज, पत्र | 1-3 gm | दन्त्यारिष्ट, दन्त्यादिचूर्ण, दन्तीहरीतकी |
48 | दाङिम | रोचन | Punicaecae | Punica granatum | दन्तबीज, लोहितपुष्पक, अनार | Pomergaranate | वृक्ष | Pelletierine | लघु, स्निग्ध | मधुर, कषाय, अम्ल | मधुर | अनुष्ण | सन्तर्पक, शुक्रजनक, ग्राही, मेधाग्निबलवर्धक, हृद्य, कण्ठ, मुखरोगहर, कृमिनाशक स्फीतकृमि | फल, फलत्वक, मूलत्वक | 20-50 ml | दाङिम-चतुसम-आष्टक-आद्यघृत-तैल |
49 | दारूहल्दी | यकॄत्य | Berberidaceae | Berberis aristata | दार्वी, कंटकटेरी, पचंमपचा, दारुहल्दी | Indian berberry | गुल्म 6&18 फीट | Berberine | लघु, रूक्ष | तिक्त, कषाय | कटु | उष्ण | नेत्र-कर्णरोगहर, दीपन, पाचन, ग्राही, गण्डमाला, प्रदर, यकृतप्लीहारोग, कामला, सर्पदंश, | मूल, काण्ड, फल | 1-3 gm | दार्व्यादि-क्वाथ-लेह-तैल |
50 | दूर्वा | प्रजास्थापन | Graminae | Cynodon dactylon | दूब, शतपर्वा | Conch grass | क्षुप | Protine | लघु | कषाय, मधुर | मधुर | शीत | कफपित्तहर, तृष्णा, दाह, रक्तपित्त, त्वकरोगहर, अश्मरी | पंचांग | 10-20 ml | दूर्वादि क्वाथ-घृत-तैल |
51 | देवदारु | वेदनास्थापन | Pinaceae | Cedrus deodara | भद्रदारू, सुरभूरूह | Deodar | महावृक्ष | Sesquiterpene | लघु, स्निग्ध | तिक्त | कटु | उष्ण | विबन्ध, आध्मान, शोथ, तन्द्रा, हिक्का, ज्वर, प्रमेह, पीनस, कास, कण्डू, वात, वेदनाहर | काण्ड, सार, तैल | 3-6 Gm | देवदार्वादि-क्वाथ-तैल |
52 | द्राक्षा | स्नेहोपग | Vitaceae | Vitis vinefera | मृदीका, गोस्तनी, दाख | Grape | लता | Glucose | मृदु, गुरु, स्निग्ध | मधुर | मधुर | शीत | चक्षुष्या, बृंहण, स्वर्या, श्वास, कास, वातरक्त, कामला, शोष, मदात्यहर, सृष्टमूत्रविट | फल | द्राक्षा-रिष्ट-घृत-क्वाथ-लेह | |
53 | धातकी | स्तम्भन | Lythraceae | Woodfordia fruticosa | धातुपुष्पी, वह्निज्वाला, धाय, | Fire flame bush | गुल्म 10 फीट | Lawsone, Tannin | लघु, रूक्ष | कषाय | कटु | शीत | तृष्णा, कृमि, पित्तनाशक, अतिसार, प्रदर, प्रवाहिका, आसवारिष्ट में किण्वोत्पति | पुष्प | 1-3 gm | धातक्यादि चूर्ण, धातक्यादि तैल |
54 | धान्यक | तॄष्णानिग्रहण | Umbelliferare | Coriandrum sativum | छत्रा, कुस्तुम्बरु, वितुन्नक, | Coriander | क्षुप | Coriandrol | लघु, स्निग्ध | कषाय, तिक्त, मधुर, कटु | मधुर | उष्ण | ज्वरघ्न, तृष्णा, दाह, वमन, कास, कृमि, त्रिदोषहर, मुत्रल, आर्द्र पित्तनाशक, | फल, पंचांग | 3-6 gm | धान्यपंचक क्वाथ |
55 | नागकेशर | रक्तस्तम्भन | Guttiferae | Mesua ferrea | नागपुष्प, चाम्पेय, नागचम्पा, पीलानागकेशर | Mesua | वृक्ष मध्यम | Mesuol, oil | लघु, रूक्ष | कषाय, तिक्त | कटु | कोष्ण | आमपाचन, ज्वर, कण्डू, स्वेद, छर्दि, ह्रल्लास, दुर्गन्ध, कुष्ठ, वीसर्प, पित्त, विष, रक्तपित्त-प्रदर-अतिसार-अर्श | पुंकेशर | 1-3 Gm | नागकेशरचूर्ण, पुष्यानुग चूर्ण |
56 | निम्ब | कण्डूघ्न | Meliaceae | Azadiracta indica | पिचुमर्द, अरिष्ट, हिंगुनिर्यास | Margosa tree | वृक्ष | Nimbine, tannine | लघु | तिक्त, कषाय | कटु | शीत | चक्षुष्य, कृमि, विष, अरोचक, कुष्ठ, गुल्म, मेह, भेदन, ज्वर, व्रण, अहृद्य | त्वक, पत्र, बीज, फल, मूल | 1-3 Gm | निम्बादि-तैल-चूर्ण-रिष्ट |
57 | निर्गुण्डी | वेदनास्थापन | Verbaenaceae | Vitex nigundo | सम्हालू, सिन्दुवार, हरेणुका | Five leaved chaste | गुल्म | Volatile oil | लघु, रूक्ष | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | केश्य, नेत्रहित, शूल, शोथ, आमवात, कृमि, कुष्ठ, अरुचि, ज्वर | मूल, पत्र, बीज | 1-3 Gm | निर्गुण्डी-कल्क-तैल |
58 | पटोल | ज्वरघ्न | Cucurbitaceae | Trichosanthes dioica | कुलक, कर्कशच्छद, राजीफल, बीजगर्भ, परवल | Pointed Gourd | लता | Carbohadrate, 29% seed oil | लघु, रूक्ष | तिक्त | कटु | उष्ण | पाचन, हृद्य, वृष्य, अग्निदीपन, कास, ज्वर, त्रिदोष, कृमिहर | पत्र, मूल | 10-20 ml | पटोलादि क्वाथ-चूर्ण |
59 | पलाण्डु | वेदनास्थापन | Liliaceae | Allium cepa | दुर्गन्ध, यवनेष्ठ, मूखदूषक | Onion | क्षुप | Allyl-propyl disulphide | गुरु, तीक्ष्ण, स्निग्ध | मधुर, तिक्त | मधुर | कोष्ण | कफकारक, वातहर, बलवीर्यवर्धक, रात्र्यन्धता | बीज, कन्द | 1-3gm seed | |
60 | पलाश | कॄमिघ्न | Leguminosae | Butea monosperma | किंशुक, रक्तपुष्प, क्षारश्रेष्ठ, ब्रह्मवृक्ष, समिद्वर, टेसू | वृक्ष 40 फीट | Kinotanic acid, palasonin | लघु, रूक्ष | कटु, तिक्त, कषाय | कटु | उष्ण | दीपन, भग्नसंधानकर, ग्रहणी, अर्श, कृमि, वृष्य, पुष्प-तृड्दाह, वातरक्त, कुष्ठ, फल-प्रमेह, अर्श, कृमि | पुष्प, बीज, त्वक, निर्यास | 3-6 gm | पलाशक्षारघृत | |
61 | पाटला | शोथहर | Bignoniaceae | Stereospermum suaveolens | मधुदूती, अतिवल्ल्भा, ताम्रपुष्पी, कृष्णवृन्ता, कुबेराक्षी, कुम्भीपुष्पी, अमोघा, अम्बुवासनी | 0 | वृक्ष 60 फीट | Gum | लघु, रूक्ष | तिक्त, कषाय | कटु | उष्ण | त्रिदोषहर, अरुचि, श्वास, शोथ, रक्त, छर्दि, हिक्का, तृषाहर, पुष्प-हृद्य, कण्ठ्य | मूल त्वक | 50-100 ml | दशमूलारिष्ट |
62 | पाषाण भेद | अश्मरी भेदन | Saxifragaceae | Bergenia ligulata | अश्मघ्न | क्षुप | Tannic acid | लघु, स्निग्ध, तीक्ष्ण | कषाय, तिक्त | कटु | शीत | बस्तिशोधक, भेदक, गुल्म, पथरी, हृद्रोग, योनिरोग, प्रमेह, प्लीहा, शूल, व्रण | मूल | 3-6 gm | पाषाणभेदादि क्वाथ-चूर्ण | |
63 | पिप्पली | कासहर | Piperaceae | Piper longum | मागधी, वैदही, कृष्णा, कणा, चपला, तीक्ष्णतण्डुला, उषणा, शोण्डी, कोला | Long pepper | लता | Piperine, Vol oil | लघु, स्निग्ध, तीक्ष्ण | कटु | मधुर | अनुष्णशीत | श्वास, कास, कुष्ठ, गुल्म, अर्श, मेदकफहर, वृष्य, मेध्य, गुङयुक्त-अग्निवर्धक, जीर्णज्वर, | फल, मूल | 1.5-1gm | गुङपिप्पली, पिप्पल्यासव |
64 | पुनर्नवा | मूत्रविरेचनीय | Nyctagiinaceae | Boerhavia diffusa | पुनर्नवा, शोथघ्नी, वर्षाभू, गदहपुरना | Spreding Hogweed | प्रसरी क्षुप | K, No3, Sulphate | लघु, रूक्ष | मधुर, तिक्त, कषाय | मधुर | उष्ण | संग्राही, रक्तवर्धक, उदररोग, विष, अग्निदीपक, ब्रघ्न, शोथ, पाण्डुहर | मूल, बीज, पंचांग | 1-3 gm | पुनर्नवा-ष्टक-आसव-दिमण्डूर |
65 | बला | बल्य | Malvaceae | Sida cordifolia | वाट्यालिका, खरयष्टिका, बरियार, खिरैंटी, बीजबन्द | Country mallow | क्षुप | Ephedrine, Steroid, mucin, KNO3 | लघु, स्निग्ध, पिच्छिल | मधुर | मधुर | शीत | रसायन, मूत्रजनन, वाजीकर, प्रदरहर, बल्य, क्षय, श्वासहर | मूल, बीज | 3-6 Gm | बलाद्य-घृत-रिष्ट-चन्दनबलालाक्षादि तैल |
66 | बाकुची | कुष्ठघ्न | Leguminosae | Psoralia corylifolia | कृष्णफला, कुष्ठघ्नी, पूतिफली | Psoralea seed | क्षुप | psoralin, Fixed oil | लघु, रूक्ष | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | कृमिघ्न, त्वकदोषहर, व्रणरोपण, श्वित्र, कुष्ठ, सोरायसिस, विबन्धहर | बीज, तैल | 1-3 Gm | बाकुची-चूर्ण-तैल |
67 | बिभीतक | छेदन | Combretaceae | Terminalia bellirica | कर्षफल, अक्ष, कलिद्रुम, बहेङा | Belliric Myrobalan | वृक्ष 60 फीट | Tannin | रूक्ष, लघु | कषाय | मधुर | उष्ण | भेदन, कास, नेत्ररोग, केश्य, कृमि, स्वरभेद, मदकारी | फल | 3-6 Gm | तालिसादि चूर्ण, लंवगादि वटी |
68 | बिल्व | ग्राही | Rutaceae | Aegle marmelos | श्रीफल, शोण्डिल्य, शैलूष, मालूर, गन्धगर्भ, सदाफल, महाकपित्थ, ग्रन्थिल, बेल | Bael | वृक्ष 25 फीट | Micilage, Pectine, Sugarm Mermelosine | लघु, रूक्ष | कषाय, तिक्त | कटु | उष्ण | अपक्व-ग्राही, अग्निवर्धक, पित्तकारक, कफनाशक, बलकारक, आन्त्रबलकारक | मूल, त्वक, फल, पत्र | 3-6 gm | बिल्वपंचक क्वाथ, बिल्वादि चूर्ण, बिल्वतैल |
69 | बीजक | मूत्रसंग्रहणीय | Papilionatae | Pterocarpus marsupium | असन, पीतशाल, विजयसार, | Kino tree | वृक्ष | Kinotanic acid | लघु, रूक्ष | कषाय, तिक्त | कटु | शीत | कुष्ठ, विसर्प, प्रमेह, श्वित्र, रक्तपित्त, केश्य, त्वक विकारहर, रसायन, अतिसार | काण्डसार, निर्यास | 50-100 ml | |
70 | बृहती | कासहर | Solanaceae | Solanum indicum | क्षुद्रभण्टाकी, सिंही, | 0 | क्षुप | Soanine, Solanidine | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | संग्राही, कण्ठ्य, पाचक, अरुचिहर, ज्वर, श्वास, कास, मन्दाग्निहर | मूल, फल | 40-80 ml | दशमूलारिष्ट |
71 | ब्राह्मी | मेध्य | Scrophulariaceae | Bacopa monnieri | ऎन्द्री, जलनीम | Indian pennywort | प्रसरी क्षुप | Brhamine | लघु | तिक्त | कटु | उष्ण | आयुष्या, रसायनी, स्वर्या, स्मृतिप्रदा, कुष्ठ, पाण्डु, मेह, रक्त, कास, विष, ज्वरहर | पंचांग | 10-20 ml | ब्राह्मी पानक |
72 | भल्लातक | कुष्ठघ्न | Anacardiaceae | Semicarpus anacardium | अरुष्कर, अग्नि, शोफकृत, अग्निमुख | Marking nut | वृक्ष | Semicarpol, Bhilawanol | लघु, स्निग्ध, तीक्ष्ण | कटु, तिक्त, कषाय | मधुर | उष्ण | शुक्रल, उदररोग, कुष्ठ, ग्रहणी, श्वित्र, अग्निमांद्य, कृमि, व्रण, अर्श, वातकफहर, विबन्ध | फल, बीज | 3-6 Gm | अमृतभल्लातक, तिलारुष्करयोग |
73 | भांरगी | श्वासहर | Verbaenaceae | Clerodendrum serratum | ब्राह्मणष्ठिका, खरशाक, पद्मा, | 0 | क्षुप 8 फीट | Saponin antihistamine | लघु, रूक्ष | तिक्त, कटु | कटु | उष्ण | गुल्म, रक्तदोष, शोथ, कास, श्वास, पीनस, ज्वर, अग्निमांद्यहर | मूल | 3-6 Gm | भारंग्यादि क्वाथ |
74 | भृंगराज | केश्य | Compositae | Eclipta alba | मार्कव, केशराज, केशरंजन | 0 | क्षुप | Ecliptine, | रूक्ष, लघु | कटु, तिक्त | कटु | शीत | केश्य, रसायन, त्वच्य, कृमि, कास, शोथ, पाण्डु, दन्तरोग, बल्य, कुष्ठ, शिरोरोगहर | पंचांग | 5-10 ml | भृंगराज तैल, षडबिन्दु तैल |
75 | मंजिष्ठा | रक्तप्रसाधन | Rubiaceae | Rubia cordifolia | विकसा, योजनवल्ली, मंजीठ | Indian madder | लता | Manjistine | गुरु, रूक्ष | तिक्त, कषाय, मधुर | कटु | उष्ण | स्वरवर्णकर, विष, कफ, शोथ, योनिरोग, कर्णरोग, रक्तदोष, विसर्प, व्रण, प्रमेहहर | मूल | 1-3 Gm | मंजिष्ठादि-चूर्ण-क्वाथ |
76 | मदनफल | वमन | Rubiaceae | Randia Spinosa | छर्दन, पिण्डी, शल्यक, विषपुष्पक, मैनफल | Emetic nut | वृक्ष 25 फीट | Saponin | लघु, रूक्ष | कषाय, मधुर, तिक्त, कटु | कटु | उष्ण | लेखन, वामक, विद्रधिहर, प्रतिश्याय, व्रण, कुष्ठ, कफ, आनाह, गुल्म | फल | 1-2 gm | १३३ योग च०क० १ |
77 | मरिच | दीपन | Piperaceae | Piper nigrum | वेल्लज, कृष्ण, उषण, सुवृत | Black pepper | लता | Piperine, Vol oil | लघु, तीक्ष्ण | कटु | कटु | उष्ण | दीपन, कफवात, श्वास, शूल, कृमि, | फल | 0.5-1 gm | त्रिकटु, मरिच्यादि वटी-तैल-चूर्ण |
78 | मार्कण्डिका | सुखविरेचन | Caesalpiniodae | Cassia angustifolia | सनाय, मार्कण्डिका, स्वर्णपत्री | Indian senna | गुल्म | Sennodiside | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु, तिक्त, मधुर, कषाय | कटु | उष्ण | मृदुरेचनी, कुष्ठ, उभयतोभागहर, विष, दुर्गन्ध, कासहर, गुल्म, उदर | पत्र, फल | .5-2 gm | पञ्चसकार चूर्ण |
79 | मुशली | वॄष्य | Liliaceae | Asparagus adscendens | सफ़ेद मूसली | क्षुप | Asparegin | गुरु, स्निग्ध | मधुर | मधुर | शीत | वृष्य, बृंहण, रसायन, गुरुपाकी, अर्श, वातशामक | कन्द | 3-6 Gm | मुसली पाक | |
80 | मुस्तक | दीपन | Cyperceae | Cyperus rotundus | वारिद, मोथा | Nut grass | क्षुप | Vol.oil | लघु, रूक्ष | तिक्त, कटु, कषाय | कटु | शीत | ग्राही, दीपन, पाचन, कफ, पित्त, तृष्णा, अरुचि, ज्वर, अतिसार, ग्रहणी | कन्द | 3-6 gm | मुस्तकादि क्वाथ-रिष्ट-चूर्ण |
81 | यवानी | शूलप्रशमन | Umbelliferare | Trachyspermum ammi | यवानी, अजमोदिका, दीप्यका, अजवायन | Ajowan | क्षुप 3 फीट | Thymol, carvacrol | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | दीपन, पाचन, रुच्य, पित्तकर, शुक्रशूलहर, वातकफ़-उदर-आनाह-गुल्म-प्लीहा-कृमिहर | फल | 1-3 gm | यवानिकाचूर्ण, यवानीषाडव, यवान्यार्क |
82 | यष्टीमधु | छेदन | Papilionatae | Glycyrrhiza glabra | मधुक, क्लीतक, मधुयष्ठी | Liquorice | गुल्म | Glycyrrhizin | गुरु, स्निग्ध | मधुर | मधुर | शीत | चक्षुष्य, बलवर्णकर, शुक्रल, केश्य, स्वर्या, पित्तवातरक्तजित, व्रण, शोथ, विष, छर्दि, अम्लक्षयहर | मूल | 3-6 Gm | यष्ट्यादि-चूर्ण-क्वाथ |
83 | रक्तचन्दन | दाहप्रशमन | Papilionatae | Pterocarpus santalinus | लालचन्दन | Red sanders | वृक्ष | Pterocarpin, Santalin | गुरु, रूक्ष | तिक्त, मधुर | कटु | शीत | तृष्णा, नेत्ररोग, वृष्य, व्रण, वमन, विष, रक्तपित्त, ज्वरहर | काण्डसार | 3-6 Gm | |
84 | रसोन | वेदनास्थापन | Liliaceae | Allium sativum | उग्रगन्ध, यवनेष्ठ, | Garlic | क्षुप | Allyl-propyl sulphide | स्निग्ध, तीक्ष्ण, गुरु, पिच्छिल, सर | पंचरस अम्लरहित | कटु | उष्ण | बृंहण, पाचन, सर, सन्धानकर, कन्ठ्य, बलवर्णकर, मेध्य, रसायन, चक्षुष्य, हृद्रोग, ज्वर, कुक्षिशूल, गुल्म, अर्श, वातकफहर | कन्द, तैल | ||
85 | रास्ना | वेदनास्थापन | Compositae | Pluchea lanceolata | युक्ता, एलापर्णी, सुरभी | 0 | क्षुप | Quersitine, Puchine | गुरु | तिक्त | कटु | उष्ण | उदररोग, विष, ८० विकार वातनाशक, कास, शोथ, ज्वर, वातरक्त, सिध्महर | पत्र | 100 ml | रास्नादि-क्वाथ-घृत-तैल |
86 | लवंग | छेदन | Myrtaceae | Syzygium aromaticum | देवकुसम, श्रीप्रसून, चन्दनपुष्पक, वारिज | Clove | वृक्ष 30 फीट | Vit. & Vol oil | लघु, स्निग्ध | तिक्त, कटु | कटु | शीत | चक्षुष्य, कफपित्तशामक, तृष्णा, छर्दि, आध्मान, शूलहर, कास, श्वास, हिक्का, क्षय, अम्लपित्तहर, दन्तपीङाहर | पुष्पकलिका | 1 gm | अविपत्तिकर चूर्ण |
87 | लोध्र | आर्तवसंग्रहणीय | Symplocaceae | Symplocos recemosa | स्थूल्वल्कल | वृक्ष | Loturine | लघु, रूक्ष | कषाय | कटु | शीत | ग्राही, चक्षुष्य, कफपित्तहर, रक्तपित्त, रक्तप्रदर, अतिसार, प्रवाहिका, श्लीपद, शोथहर, | त्वक | 1-3 Gm | लोध्रासव | |
88 | वचा | संज्ञास्थापन | Araceae | Acorus calamus | षडग्रन्था, गोलोमी, उग्रगन्धा | Sweet flag | क्षुप | A & b -Asarone | लघु, तीक्ष्ण | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | वामक, अग्निवर्धक, विबन्धहर, आध्मान, शूल, उन्माद, कृमिहर, वचनशक्तिवर्धक, | मूल, काण्ड | 125-500 mg | सारस्वत चूर्ण |
89 | वट | मूत्रसंग्रहणीय | Moraceae | Ficus bangalensis | न्यग्रोध, बहुपाद, बङ | Banyan | वृक्ष | Tannin | गुरु, रूक्ष | कषाय | कटु | शीत | ग्राही, व्रणहर, वर्ण्य, दाहग्न, प्रमेह, व्यंग, योनिदोषहर, | फल, क्षीर, प्ररोह, पत्र, त्वक~ | 3-6 gm | न्योग्राधादि-चूर्ण-घृत |
90 | वत्सनाभ | स्वेद जनन | Ranunculaceae | Aconitum ferox | अमृत, विष, मीठाविष | Monk's hood | क्षुप | Aconitine, PsudoAco.. | रूक्ष, तीक्ष्ण, लघु, व्यवायी, विकासी | मधुर | मधुर | उष्ण | ज्वरघ्न, स्वेदजनन, हृदयोत्तेजक, पीङाशामक, शोथहर, कफवातहर, बल्य, अग्निमांद्य, ग्रहणी, अतिसारहर | मूल | 15 mg | आनन्दभैरव रस, रामबाण, कफकेतु |
91 | वरूण | अश्मरी भेदन | Capparidaceae | Crataeva nurvala | तिक्तशाक, बरना | Three leaved caper | वृक्ष | Saponin, Tannin | लघु, रूक्ष | तिक्त, कषाय | कटु | उष्ण | भेदन, मूत्रकृच्छृहर, अश्मरीभेदन, गुल्म, वातरक्तहर, अग्नि-पित्तवर्धक, पत्र-मेदहर | त्वक | 50-100 ml | वरुणादि क्वाथ |
92 | वासा | छेदन | Acanthaceae | Adhatoda vasica | सिंहास्य, वाजिदन्त, आटरुषक | Malabar Nut | क्षुप | Adhatodic acid | रूक्ष, लघु | तिक्त, कषाय | कटु | शीत | हृद्य, कास, श्वास, रक्तपित्त, ज्वर, प्रमेह, कुष्ठ, क्षयहर, कृमिघ्न | पत्र, मूल, पुष्प | 10-20 gm | वासारिष्ट |
93 | विडंग | कॄमिघ्न | Myrsinaceae | Embelia ribes | कृमिघ्न, चित्रतण्डुल, वायविडंग | गुल्म | Embelin, christembine | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु, कषाय | कटु | उष्ण | अग्निमांद्य-शूल-आध्मान-उदर-कृमि-वात-विबन्धहर | फल | 5-10 gm | विडंगादि-चूर्ण-लौह-तैल | |
94 | विदारी | बल्य | Leguminosae | Pueraria tuberosa | स्वादुकन्दा, इक्षुकन्दा, गजवाजिप्रिया, कन्दपलाश, भूमिकुष्माण्ड, विदारीकन्द, पतालकोहङा | Indian kudju | लता | carbohydrate 64% | गुरु, स्निग्ध | मधुर | मधुर | शीत | बृंहण, स्तन्यशुक्रबलवर्णकर, स्वर्य, मूत्रल, पित्तरक्तवातदाहहर, रसायन | कन्द | 3-6 Gm | |
95 | शंखपुष्पी | मेध्य | Convolvulaceace | Convolvulus pluriculis | क्षीरपुष्पी, मांगल्यकुसमा | 0 | बहुवर्षायु क्षुप | Shankhpuspine | स्निग्ध, पिच्छिल | तिक्त | मधुर | शीत | सर, मेध्य, वृष्य, रसायन, मानसरोगहर, अपस्मार, विष, कुष्ठहर, स्मृति, कान्तिप्रद | पंचांग | 10-20 ml | शंखपुष्पी पानक, मेध्यकषाय |
96 | शतपुष्पा | वातानुलोमन | Umbelliferare | Anethum sowa | छत्रा, सोया | Dill | क्षुप | Vol oil | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | अग्निदीपक, तीक्ष्ण, वातानुलोमन, व्रण, शूल, नेत्ररोगहर | अर्क, तैल | 1-3 Gm | शतपुष्पार्क |
97 | शतावरी | वॄष्य | Liliaceae | Asparagus racemosus | बहुशुता, शतवीर्या, शतमूली, अतिरसा | लता | Saponin | गुरु, स्निग्ध | मधुर, तिक्त | मधुर | शीत | रसायन, मेध्य, अग्निवर्धक, पुष्टिदायक, स्तन्यवर्धक, शुक्रवर्धक, चक्षुष्य, वातपित्तहर, शोथहर | कन्द | 3-6 Gm | शतावरीघृत, नारायणतैल, विष्णुतैल | |
98 | शल्लकी | पुरीषविरजनीय | Burseraceae | Boswellia serrata | सुस्रवा, गजभक्ष्या, सलई, कुन्दुरू | Indian olibanum tree | वृक्ष | oleo resin gum, Boswellia oil | लघु, रूक्ष | कषाय, तिक्त, मधुर | कटु | शीत | पित्त, श्लेष्म, अतिसारहर, रक्तपित्त, व्रणहर, पुष्टिकर, अर्शहर | निर्यास | 1-3 gm | |
99 | शालपर्णी | अंगमर्द प्रशमन | Leguminosae | Desmodium gangeticum | विदारीगन्धा, अंशुमती, सरिवन | क्षुप 4 फीट | Resin | गुरु, स्निग्ध | मधुर, तिक्त | मधुर | उष्ण | वमन, ज्वर, श्वास, अतिसार, शोष, त्रिदोषनाशक, रसायन, विष, कृमिहर | पंचांग | 50-100 ml | शालपर्ण्यादि क्वाथ, दशमूलारिष्ट | |
100 | शाल्मली | पुरीषविरजनीय | Bombacaceae | Salmalia malabarica | मोचा, पिच्छिल, रक्तपुष्प, स्थिरायु, कंटकाढ्य, तुलिनी, सेमल | Silk cottan tree | वृक्ष 125 फीट | Tannic acid, Gallic acid | लघु, स्निग्ध, पिच्छिल | मधुर | मधुर | शीत | शीतल, रसायन, वातरक्त, रक्तपित्त, संग्राही, वृष्य, पौष्टिक, युवानपिडिकाहर | मूल, पुष्प, फल, निर्यास | 3-6 gm | शाल्मलिघृत |
101 | शिरीष | विषघ्न | Mimosoideae | Albizzia lebbeck | शुकतरु, कपितन, भन्डीर, शुकप्रिय | वृक्ष | Tannin, Saponin | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कषाय, तिक्त, मधुर | कटु | कोष्ण | वातहर, शुक्रस्तम्भन, शोथ, विसर्प, विष, कास, गन्डमालाहर | त्वक, पत्र, बीज, पुष्प | 3-6 gm | महाशिरीष अगद, शिरीषारिष्ट | |
102 | शोभान्जन | स्वेदोपग | Moringaceae | Moringa oleifera | शिग्रु, तीक्ष्णगन्धा, मोचक, अक्षीव | Drumastic plant | वृक्ष | Moringine, Pterygospermine | लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण | कटु, तिक्त | कटु | उष्ण | अग्निदीपक, तीक्ष्ण, चक्षुष्य, शोथ, कृमि, मेदोरोग, अपची, विष, गलगन्ड, व्रणहर, पत्र-वेदनाहर | बीज, मूलत्वक | 1-3 Gm | शोभाञ्जनादि लेप |
103 | श्योनाक | उपशोषक | Bignoniaceae | Oroxylum indicum | टुण्टुक, कुटन्नट, भल्लूक, पृथुशिम्ब, सोनापाठा | वृक्ष 40 फीट | Oroxylin, Baicalein | लघु, रूक्ष | मधुर, तिक्त, कषाय | कटु | उष्ण | अग्निदीपक, मलसंग्राहक, शोथ, अतिसार, आमातिसार, संग्रहणी, कर्णस्राव-शूलहर | मूलत्वक | 3-6 Gm | बृहत्पञ्चमूल क्वाथ | |
104 | सप्तपर्ण | विषमज्वरघ्न | Apocynaceae | Alstonia scholaris | विशालत्वक, शारद, विषम्च्छद, छितवन | Dita | वृक्ष | Ditamine | लघु, स्निग्ध | तिक्त, कषाय | कटु | उष्ण | व्रण, वातकफहर, कुष्ठ, जन्तुघ्न, दीपन, गुल्महर, श्वास, विषमज्वरहर | त्वक | 50-100 ml | सप्तच्छ्दादि-क्वाथ-वटी-तैल |
105 | सर्पगंधा | निद्राजनन | Apocynaceae | Rauwolfia serpentina | चन्द्रमार, धवलविटप | 0 | क्षुप | Reserpine | रूक्ष | तिक्त | कटु | उष्ण | शामक, उच्चरक्तचाप, उन्माद, अनिद्रा, अपस्मारहर, मानसिकव्याधिहर | मूल | 1-2Gm | सर्पगन्धाघन वटी |
106 | सारिवा | रक्तप्रसाधन | Asclepidaceae | Hemidesmus indicus | उत्पलसारिवा, गोपवल्ली, अनन्तमूल, कपूरी | Indian sarsaparilla | लता | Methoxy salicylic aldehyde | गुरु, स्निग्ध | मधुर, तिक्त | मधुर | शीत | शुक्रकर, अग्निमांद्य, अरुचि, श्वास, कास, आम, विषनाशन, त्रिदोषहर, रक्तप्रदरहर | मूल | 5-10 gm | सारिवादि-क्वाथ-वटी-अवलेह-आसव |
107 | सैरेयक | कुष्ठघ्न | Acanthaceae | Barleria prionitis | सहचर, झिण्टी, पियाबासा | 0 | गुल्म | 0 | लघु | तिक्त, मधुर | कटु | उष्ण | कुष्ठ, वातरक्त, कण्डु, विषहर, केशरंजक | पंचांग | 10-20 ml | |
108 | हरिद्रा | कुष्ठघ्न | Zingiberaceae | Curcuma longa | कांचनी, कृमिघ्ना, निशा, गौरी, योषितप्रिया, | Turmeric | क्षुप | Curcumine, Vit. A | रूक्ष, लघु | तिक्त, कटु | कटु | उष्ण | वर्ण्या, त्वग्दोष, मेह, रक्तविकार, शोथ, पाण्डू, व्रण, शीतपित्त, कास, अस्थिभग्न | कन्द | हरिद्राखण्ड | |
109 | हरीतकी | रसायन | Combretaceae | Terminalia chebula | अभया, पथ्या, हरङ | Chebulic myrobalan | वृक्ष | chubulic acid | लघु, रूक्ष | पंचरस लवणवर्जित कषायप्रधान | मधुर | शीत | त्रिदोषहर, मलशोधक, संग्राही, रसायन, पाण्डू, नेत्ररोग, उदर, प्रमेह, अर्श, कास, व्रण | फल | 3-6 gm | अभयारिष्ट, अगस्त्यहरीतकी |
110 | हिंगु | दीपन | Umbelliferare | Ferula narthex | सहस्त्रवेधि, जतुक, बाह्लीक, रामठ | Asafoetida | क्षुप 6 फीट | V.oil, Asaresinotannol | लघु, स्निग्ध, तीक्ष्ण | कटु | कटु | उष्ण | पाचक, रूचिकारक, वातकफहर, शूल, गुल्म, उदर, आनाह, कृमि, आर्तवजनन | निर्यास | 125-500 mg | रजप्रवर्तनी वटी, हिंगुकर्पुर वटी |
सन्दर्भ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करें- औषध-प्रभाव-विज्ञान (PHARMACOLOGY)
- मान्य औषधकोश या 'मैटेरिया मेडिका'
- पदार्थ विज्ञान (material science)
- पंचमहाभूत
- भैषज्यकल्पना
- रस शास्त्र
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Dravyaguna Database - A Tribute to the Indian Medical Heritage
- औषधीय पादपों के संस्कृत एवं वैज्ञानिक नाम
- THE AYURVEDIC PHARMACOPOEIA OF INDIA, PART-I VOLUME – I
- Dravyaguna Vijnan
- Pandanus Project : database of Indian plant names (616 plants)
- Table of Ayurvedic Plants and Minerals with Sanskrit (and Synonyms), Common, and Botanical Names
- स्वास्थ्य रक्षक सखा (हिन्दी ब्लॉग)
- Medicinal plants (Dravyaguna)
- Ayurvedic Pharmaceutical Sciences-Challenges Ahead
- Single Ayurvedic Herbs : My Experience