द्विराष्ट्र सिद्धांत

द्विराष्ट्र सिद्धांत या दो क़ौमी नज़रिया भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों के हिन्दुओं से अलग पहचान का सिद्धांत है।

बर्तानवी-भारतीय साम्राज्य में धार्मिक बहुमत और अल्पमत का नक़्शा, 1909

परिचयसंपादित करें

1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दस साल बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मुख्य संस्थापक सय्यद अहमद ख़ान ने हिन्दी–उर्दू विवाद के कारण 1867 में एक द्विराष्ट्र सिद्धांत को पेश किया था। इस सिद्धांत की सरल परिभाषा के अनुसार न केवल भारतीय उपमहाद्वीप की संयुक्त राष्ट्रीयता के सिद्धांत को अप्रतिष्ठित किया गया बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के हिन्दूओं और मुस्लमानों को दो विभिन्न राष्ट्र क़रार दिया गया।is shiddant ke karan hi bad mai pakistan barat se alag rashtr ban paya

मुस्लिम नेतृत्व और द्विराष्ट्र सिद्धांतसंपादित करें

अलीगढ़संपादित करें

मुहम्मद इक़बालसंपादित करें

यूरोप में अध्ययन और मस्जिद कॉर्डोबा में अज़ान देने के बाद मुहम्मद इक़बाल ने व्यावहारिक राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू किया। तो यह राजनीतिक विचारधारा सामने आए। 1930 में इलाहाबाद में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के इक्कीसवीं वार्षिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने न केवल द्विराष्ट्र सिद्धांत खुलकर समझाया बल्कि इसी सिद्धांत के आधार पर उन्होंने हिन्दुस्तान में एक मुस्लिम राज्य की स्थापना की भविष्यवाणी भी की थी।

मुहम्मद अली जिन्नाहसंपादित करें

इन्होंने द्विराष्ट्र सिद्धांत के बारे में कहा था -हिन्दू मुस्लिम एक राष्ट्र नहीं बल्कि दो राष्ट्र हैं।

सन्दर्भसंपादित करें

बाहरी कड़ियाँसंपादित करें