नगरवधू
प्राचीन भारत के कुछ भागों में एक रूपवती-गुणवती स्त्री को नगरवधु (शाब्दिक अर्थ : पूरे नगर की पत्नी) चुना जाता था। समाज में नगरवधू का सम्मान रानी और देवी जैसा था। इसलिए नगरवधू बनने के लिए कड़ी स्पर्धा होती थी। लोग उसके नृत्य-संगीत का आनन्द उठाते थे। एक रात के नृत्य का आनन्द उठाने के लिए भारी मूल्य देना पड़ता था। इसलिए नगरवधू के सामीप्य का आनन्द सम्पन्न लोग, जैसे राजा, राजकुमार और धनाढ्य लोग ही उठा पाते थे।
प्रसिद्ध नगरवधुएँ
संपादित करें- आम्रपाली : आचार्य चतुरसेन द्वारा वैशाली की नगरवधू वर्णित नगरवधू , बुद्ध की शिष्या
- वसन्तसेना : 2री शताब्दी ई.पू. में शूद्रक द्वारा रचित मृच्छकटिकम् की नायिका
- माधवी : तमिल कहानी शिलप्पादिकारम की नायिका