निर्झर प्रतापगढ़ी (जन्म: १९६०) अवधी के प्रसिद्द हास्य कवि[1]पुरातत्वविद हैं। वें उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद से हैं।[2] इनका वास्तविक नाम राजेश पांडे हैं।[3] वें देश के प्रथम ग्रामीण पुरातत्व संग्रहालय अर्थात अजगरा संग्रहालय के संस्थापक हैं।[4]

निर्झर प्रतापगढ़ी
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

जब से ये नेता खाइ के मोटाइ लगे हैं,
तब से बेचारे कुकुरै कमजोराय लगे हैं।
गाँधी, सुभाष, लोहिया, कांशीराम के चेले,
चौराहे पे चवन्नी मा बिकाय लगे हैं।

निर्झर प्रतापगढ़ी का एक व्यंग्य काव्य अवधी में

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "उत्तर प्रदेश के रचनाकार". हिंदुस्तान मीडिया. मूल (एच.टी.एम.एल.) से 16 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 जुलाई 2014. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)
  2. "निर्झर के सम्मान से बढ़ा बेल्हा का मान" (एच.टी.एम्.एल.). जागरण न्यूज. मूल से 24 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 जुलाई 2014. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)
  3. "'पिया मेहंदी मंगाय द मोती झील से...'" (पी.एच.पी). रेनावो न्यूज. मूल से 25 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 जुलाई 2014. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)
  4. "देश का पहला ग्रामीण पुरातत्व संग्रहालय हैं अजगरा". मूल से 11 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 जुलाई 2014. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)