नृसिंह (जन्म लगभग 1586 ई०) भारत के गोलग्राम के निवासी एक खगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे। वह कृष्ण दैवज्ञ के पुत्र थे। उनका वंश गोलग्राम के खगोलविदों और गणितज्ञों का वंश था। नृसिंह सूर्यसिद्धान्त पर सौरभाष्य नामक एक टीका लिखने के कारण प्रसिद्ध हैं। उन्होंने भास्कर द्वितीय के सिद्धान्तशिरोमणि-वासनाभाष्य के गणिताध्याय और गोलाध्याय पर सिद्धान्तशिरोमणि-वासनावार्त्तिक नामक एक टीका भी लिखी।

नृसिंह के चार पुत्र हुए : दिवाकर (जन्म 1606), कमलाकर, गोपीनाथ और रंगनाथ।

नृसिंह ने खगोल विज्ञान से संबंधित कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं: