परशुराम कल्पसूत्र[1] एक शाक्त आगम है, जो कौल परंपरा से संबंधित श्री विद्या प्रथाओं पर एक हिंदू पाठ है। पाठ के रचयिता का श्रेय पारंपरिक रूप से श्री हरि विष्णु के छठे अवतार और दत्तात्रेय के शिष्य परशुराम को दिया जाता है।[2]यह देवी ललिता के श्री विद्या उपासकों के लिए एक पवित्र पाठ है, जिन्हें देवी आदि पराशक्ति का स्वरूप माना जाता है। इस पाठ का उपयोग गणेश, बाला त्रिपुरसुंदरी, मातंगी और वाराही की पूजा में भी किया जाता है। इस पाठ की उत्पत्ति दत्तात्रेय संहिता में हुई है और इसे दत्तात्रेय के शिष्य सुमेधा ने संकलित किया था।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Wilke, Annette (2011), "Negotiating Tantra and Veda in the Paraśurāma-Kalpa Tradition", Negotiating Rites, New York: Oxford University Press, पपृ॰ 133–159, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-981229-5, डीओआइ:10.1093/acprof:oso/9780199812295.003.0007
  2. Sastri, Mahadeva (1923). Paraśurāmakalpasūtra with Rameswaras Commentary (संस्कृत, हिन्दी, और अंग्रेज़ी में). Madras: Gaekwad's Oriental Series.