एन्टिओक का कब्जा, प्रथम क्रूसयुद्ध के समय के मध्ययुगीय चित्रकर्म से लिया गया
एन्टिओक का कब्जा, प्रथम क्रूसयुद्ध के समय के मध्ययुगीय चित्रकर्म से लिया गया

यूरोप के ईसाइयों ने 1095 और 1291 के बीच अपने धर्म की पवित्र भूमि फिलिस्तीन और उसकी राजधानी जेरूसलम में स्थित यीशु की समाधि का गिरजाघर मुसलमानों से छीनने और अपने अधिकार में करने के प्रयास में जो युद्ध किए उनको सलीबी युद्ध, ईसाई धर्मयुद्ध, क्रूसेड अथवा क्रूश युद्ध कहा जाता है। इतिहासकार ऐसे सात क्रूश युद्ध मानते हैं।

ईसाई मतावलंबियों की पवित्र भूमि और उसके मुख्य स्थान साथ के मानचित्र में दिखाए गए हैं। यात्रा की प्रमुख मंजिल जेरूसलम नगर में वह बड़ा गिरजाघर था जिसे रोम के प्रथम ईसाई सम्राट् कोंस्टेंटैन की माँ ने ईसा की समाधि के पास चौथी सदी में बनवाया था। यह क्षेत्र रोम के साम्राज्य का अंग था जिसके शासक चौथी सदी से ईसाई मतावलंबी हो गए थे। सातवीं सदी में इस्लाम का प्रचार बड़ी तीव्र गति से हुआ और पैग़ंबर के उत्तराधिकारी ख़लीफ़ाओं ने निकट और दूर के देशों पर अपना शासन स्थापित कर लिया। फ़िलिस्तीन तो पैगंबर की मृत्यु के 10 वर्ष के भीतर ही उनके अधीन हो गया था। मुसलमान ईसा को भी ईश्वर का पैगंबर मानते हैं। साथ ही, अरब जाति में सहिष्णुता भी थी, इससे यहूदियों को अपनी पवित्र भूमि के स्थलों की यात्रा में कोई बाधा या कठिनाई नहीं हुई।

11वीं सदी में यह स्थिति बदल गई। मध्य एशियाई तुर्क जाति की इतनी जनवृद्धि हुई कि वह और फैली तथा इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया। ख़ासकर इस समय सल्जूक तुर्कों ने (जो अपने एक सरदार सेल्जुक के नाम से प्रसिद्ध है) कैस्पियन सागर से जेरुशलम तक अपनी शक्ति बहुत बढ़ा ली। उधर पूर्व में तुर्कों की एक दूसरी शाखा ने सुलतान महमूद के नेतृत्व में भारत पर आक्रमण किया और उसका पश्चिमोत्तर भाग दबा लिया। सल्जूकों ने कई देशों के अनंतर फिलिस्तीन पर भी कब्जा किया और जेरूसलम तथा वहाँ के पवित्र स्थान 1071 ई. उसके अधीन हो गए। इस समय से ईसाइयों की यात्रा कठिन और आशंकापूर्ण हो गई। अधिक पढ़ें…