प्रवेशद्वार:दर्शनशास्त्र/चयनित जीवनी/4
जॉन मिल्टन (John Milton) [1608-1674] पैराडाइज लॉस्ट नामक अमर महाकाव्य के रचयिता जॉन मिल्टन अंग्रेज़ी भाषा के सार्वकालिक महान् कवियों में परिगणित हैं। कलाप्रेमी पिता की संतान होने से आरंभ से ही सुसंस्कृत मिल्टन ने उच्च शिक्षा भी प्राप्त की। इसके साथ ही तीव्र अध्यवसाय की स्वाभाविक प्रवृत्ति ने उन्हें परम पांडित्य प्रदान किया, जिसका सहज प्रभाव उनके साहित्य पर भी पड़ा। राजनीतिक सक्रियता के बाद सत्ता में उच्च पद प्राप्त करने तथा उच्च वर्गीय महिला से विवाह करने के बावजूद दोनों ही स्थितियाँ मिल्टन के लिए अंततः अत्यधिक दुःखद सिद्ध हुई। पूर्णतः नेत्रहीन हो जाने तथा विविध कष्टों को झेलने के बावजूद उन्होंने अपने दुःख को भी रचनात्मकता का पाथेय बना डाला और इस तरह एक दुःखपूर्ण जीवन की परिणति दुःखान्त न होकर सुखान्त हो गयी। ये एक महान कवि है। इनकी निजी सोनेट ऑन हिज़ ब्लाइंडनेस (उनका अंधापन) है जो स्वयं के नेत्रहीन होने पर आधारित है।
जॉन मिल्टन का जन्म लंदन की चीपसाइड बस्ती ब्रेडस्ट्रीट में 9 दिसंबर 1608 ई० को हुआ था। उनके पिता कठोर प्यूरिटन होते हुए भी साहित्य एवं कला के प्रेमी थे, जिस कारण बालक मिल्टन को एक सुसंस्कृत परिवार के सभी लाभ प्राप्त हुए। मिल्टन की शिक्षा सेंट पॉल स्कूल तथा केंब्रिज विश्वविद्यालय के क्राइस्ट कॉलेज में हुई। क्राइस्ट कॉलेज में वे 7 वर्ष रहे। 1629 ई० में उन्होंने स्नातक पास किया और 1632 में स्नातकोत्तर। परंतु कॉलेज की पढ़ाई समाप्त होने के बाद भी उनका नियमित एवं सुनियोजित अध्ययन जारी रहा। उनके पिता की इच्छा थी कि वह चर्च में नौकरी करे अर्थात् पादरी बने, परंतु अपने अंतर्मन से मिल्टन कभी यह बात स्वीकार नहीं कर पाये। किसी अन्य व्यवसाय में जाने की भी उनकी रुचि नहीं थी। स्वाभाविक रूप से वे आत्मिक उन्नति की बात सोचते हुए काव्यरचना में लग गये। अधिक पढ़ें…