फ़ारसी-अरबी लिपि
फ़ारसी-अरबी लिपि या सिर्फ़ फ़ारसी लिपि (الفبای فارسی, अलिफ़बाई फ़ारसी) अरबी लिपि पर आधारित एक लिपि है जिसका प्रयोग फ़ारसी, उर्दू, सिन्धी, पंजाबी और अन्य भाषाओँ को लिखने के लिए किया जाता है। इसका इजाद मुख्य रूप से इसलिए हुआ क्योंकि फ़ारसी में कुछ ध्वनियाँ हैं जो अरबी भाषा में नहीं हैं इसलिए उन्हें दर्शाने के लिए अरबी लिपि में कुछ नए अक्षरों को जोड़ना पड़ा।[1]
फ़ारसी की ध्वनियाँ
संपादित करेंअरबी भाषा में 'प', 'च', 'ग' और 'श़' की ध्वनियाँ नहीं मिलतीं जो फ़ारसी में मौजूद हैं। इनमें 'श़' के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह 'श', 'ज' और 'ज़' तीनों से अलग है (यह टेलिविश़न या अश़दहा के 'श़' की तरह है)। इनके लिए बिन्दुओं और छोटे चिन्हों के ज़रिये चार नए अक्षर जोड़े गए - پ (प), چ (च), گ (ग) और ژ (श़)।
उर्दू-हिंदी की ध्वनियाँ
संपादित करेंइन फ़ारसी ध्वनियों के अलावा उर्दू-हिंदी में भी कुछ अतिरिक्त ध्वनियाँ थी जिन्हें दर्शाने की ज़रुरत थी - 'ट', 'ड', 'ड़'। इनके लिए ٹ (ट), ڈ (ड) और ڑ (ड़) अक्षरों का इजाद किया गया।
पश्तो की ध्वनियाँ
संपादित करेंपश्तो में 'ष' की ध्वनी होती है जो इन अन्य भाषाओं में नहीं मिलती। ध्यान दीजिये कि पश्तो में 'ष' का उच्चारण वैसा होता है जैसा मूल संस्कृत में होता था और यह 'श' से भिन्न है। इसके लिए ښ (ष) अक्षर लिपि में जोड़ा गया।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Global communication without universal civilization Archived 2014-09-20 at the वेबैक मशीन, Guy Ankerl, INU PRESS, 2000, ISBN 978-2-88155-004-1, ... The influence of the Arabic script goes beyond the use of the Arabic language. For instance Persian, Pashto and Sindhi languages use this writing system in modified forms. Characteristically, Urdu, which belongs to the same ...