बदलते रिश्ते (1978 फ़िल्म)
बदलते रिश्ते, 1978 में रघुनाथ झालानी द्वारा निर्देशित एक हिन्दी फिल्म है। पारिवारिक रिश्तों पर आधारित इस फिल्म के मुख्य कलाकार जितेन्द्र, ऋषि कपूर व रीना रॉय हैं। असरानी व ए के हंगल सहायक भूमिकाओं में है, और फिल्म के संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल हैं।
बदलते रिश्ते | |
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निर्देशक | रघुनाथ झालानी |
लेखक | मदन जोशी (संवाद) |
पटकथा | फणी मजूमदार |
कहानी | महेंद्र सरल |
निर्माता |
सुदेश कुमार विजया पिक्चर्स विजयश्री पिक्चर्स |
अभिनेता |
जितेन्द्र, ऋषि कपूर, रीना रॉय, असरानी, ए के हंगल, दीना पाठक |
कथावाचक | गोविंदराम आहूजा |
छायाकार | प्रवीण भट |
संपादक | बी प्रसाद |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
वितरक |
अल्ट्रा डिसट्रीब्यूटर्स (2006, भारत, विडियो) |
प्रदर्शन तिथि |
11 मार्च 1978 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंसावित्री (रीना रॉय) एक संगीत शिक्षिका है जो बच्चों को संगीत सिखाती है। वह अपनी माँ (दीना पाठक) व रंगाई ठेकेदार भाई चंदर (असरानी) के साथ रहती है। एक दिन वह मनोहर धनी (ऋषि कपूर) से मिलती है और दोनों में प्रेम हो जाता है। इधर सागर सिंह (जितेन्द्र) नामक व्यापारी अमेरिका से लौटता है। उसकी बहन सावित्री से संगीत सीखती है, जिसका गाना सुन कर सागर उस पर मोहित हो जाता है।
एक दिन चंदर का एक मित्र अपने ज्योतिषी पिता प्रोफ़ेसर (ए के हंगल) के साथ आता है। प्रोफ़ेसर चंदर को आनेवाले अच्छे समय, उसकी माँ के कठिन समय के बारे में बताता है, परन्तु सावित्री के विषय में कुछ भी बताना, टाल जाता हैं। चंदर से पुरानी मित्रता के कारण सागर उसकी मदद करने के साथ उसकी बहन से विवाह करना चाहता है। इस बीच सागर सावित्री को एक चिट्ठी भेजता है जिसे पढ़ वह भभक उठती है। सागर की भाभी उससे विवाह करने की सागर का विचार बताती है। सागर का परिवार सावित्री के घर उसके सावित्री से विवाह का प्रस्ताव भेजता है जिसे सावित्री की माँ स्वीकार कर लेती है। सावित्री इस विवाह प्रस्ताव को नकार देती है। इस बीच चंदर एक दुर्घटना में घायल हो जाता है और अस्पताल में भर्ती होता है। अपनी बीमार माँ की बात को मान कर सावित्री, सागर से विवाह कर लेती है जिसमे उसकी सहेली प्रोफ़ेसर की बात उसे बताती है।
सावित्री सागर को प्रोफ़ेसर की बात बताने पर भी वह उससे विवाह करता है। इधर सावित्री सारी बात मनोहर को पत्र में बताती है। कुछ दिन बात मनोहर चंदर के विवाह में सावित्री से मिल प्रोफ़ेसर के बात की आड़ में सागर को मारने की बात बताता है जिसपर वह मनोहर से द्वेष करने लगती है। कुछ दिनों में मनोहर सागर से मित्रता किए घर आने पर सावित्री उसे निकाल देती है। सावित्री सागर को मनोहर के विचार बताने पर वह मनोहर से लड़ पड़ता है। मनोहर तमंचे से सागर पर गोली चलाने पर सावित्री उसे बचाए मनोहर को वहां से जाने कहती है। बाद में चंदर अपनी पत्नी को समझाता है के सागर के प्रति सावित्री के प्रेम के लिए मनोहर ने अपने रिश्ते बदले।
चरित्र
संपादित करेंमुख्य कलाकार
संपादित करें- जितेंद्र - सागर सिंह
- ऋषि कपूर - मनोहर धनी
- रीना रॉय - सावित्री देवी
- असरानी - अनूपचंद्र ठाकुर
- दीना पाठक - श्रीमती ठाकुर
- पिंचू कपूर - कर्नल
- ए के हंगल - प्रोफेसर
- उर्मिला भट - श्रीमती रघुवीर सिंह
- शुभा खोटे - उर्मिला बिपिन सिंह
- मास्टर राजू - किशन सिंह
- रचना भट - प्रेमा सिंह
- राजा दुग्गल - अमृतलाल का आदमी
- शशिबाला सक्सेना - चंपा
- चंदर धनी
- खेवरा
- मखीजा
- मदन जोशी
- एच एल परदेसी
- कौशल
- ओमकार
- चंद्रप्रभा
- माखन सिंह
दल
संपादित करें- निर्देशक - रघुनाथ झालानी
- निर्माता - सुदेश कुमार
- निर्माण संस्था - विजया पिक्चर्स, विजयश्री पिक्चर्स
- कथा - महेंद्र सरल
- पटकथा - फणी मजूमदार
- संवाद - मदन जोशी
- संपादक - बी प्रसाद
- कला निर्देशक - आर वर्मन शेट्टी
- छायांकन - प्रवीण भट
- प्रस्तुतकर्ता - गोविंदराम अहूजा
संगीत
संपादित करें- गीत "ये दुनिया के बदलते रिश्ते" बिनाका गीत माला की 1979 वार्षिक सूची में 4थीं पायदान पर रही।
सभी गीत अंजान द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
गने | |||
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क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
1. | "गुमसुम सी खोई खोई" | किशोर कुमार, अनुराधा पौडवाल | 7:40 |
2. | "तुम चाहे हमको पसंद न करो" | किशोर कुमार, सुमन कल्याणपुर | 3:35 |
3. | "मेरी सांसोंको जो महका रही है" (लोकप्रिय गीत) | महेंद्र कपूर, लता मंगेशकर | 6:15 |
4. | "ये दुनिया के बदलते रिश्ते" (लोकप्रिय गीत) | किशोर कुमार, मोहम्मद रफ़ी, सुमन कल्याणपुर | 5:30 |
5. | "वो वो न रहे" | मोहम्मद रफ़ी | 6:00 |
रोचक तथ्य
संपादित करेंपरिणाम
संपादित करेंबौक्स ऑफिस
संपादित करेंसमीक्षाएँ
संपादित करेंनामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंवर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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१९७९ (1979) |
बी प्रसाद | फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ट संपादक पुरस्कार | जीत |