बया गोरैया की तरह के पक्षियों की एक प्रजाति है जो गोरैया की तरह मनुष्य के घरों में न रहकर पेड़ की टहनियों में लटकता हुआ सुन्दर घोंसला बनाकर रहती है। यह समूह में रहना पसन्द करती है क्योंकि इसकी वजह से इसके बच्चों को परभक्षियों से सुरक्षा प्रदान होती है। यह अपने घोंसले बस्ती के रूप में बनाती हैं और प्रजनन काल में एक ही वृक्ष में या आस-पास के वृक्षों में कई घोंसले एक साथ देखने को मिलते हैं। इस व्यवहार का सम्बन्ध 'संख्या में सुरक्षा' से है।[2][3]

बया
फ़िलिपिनस उपजाति का नर
फ़िलिपिनस उपजाति की मादा
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जन्तु
संघ: रज्जुकी
वर्ग: पक्षी
गण: पॅसरिफ़ॉर्मीस
कुल: प्लोसीडी
वंश: प्लोसिअस
जाति: पी. फ़िलिपिनस
द्विपद नाम
प्लोसिअस फ़िलिपिनस
(लिनेअस,१७६६)
उपजाति

प्लोसिअस फ़िलिपिनस
प्लोसिअस बरमॅनिकस
प्लोसिअस ट्रॅवनकोरऍनसिस

आवास क्षेत्र

व्यवहार और पर्यावरण

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बया के घोंसले
 
बया का झुण्ड

बया पक्षी-समूह में रहना पसन्द करती है और काफ़ी शोरगुल करती है। यह अपने घोंसले पानी के निकट बनाती है या फिर उन टहनियों में बनाती है जो पानी के ऊपर हों। अमूमन कांटेदार या ताड़ के वृक्षों में यह अपना घोंसला बनाना पसन्द करती है क्योंकि इसकी वजह से इसके बच्चों को परभक्षियों से सुरक्षा प्रदान होती है। यह अपने घोंसले बस्ती के रूप में बनाती हैं और प्रजनन काल में एक ही वृक्ष में या आस-पास के वृक्षों में कई घोंसले एक साथ देखने को मिलते हैं। इस व्यवहार का सम्बन्ध 'संख्या में सुरक्षा' से है।

बया बीजों की तलाश में पक्षी-समूह में निकलती है और पौधों तथा ज़मीन से बीज चुगती है। पक्षी-समूह विभिन्न संरचनाओं में उड़ते हुए जटिल पैंतरे करते हैं। वह धान तथा अन्य अन्न के खेतों में जाकर चुगती हैं और कभी-कभी पकती हुई फ़सल को नुकसान भी पहुँचाती हैं, जिसकी वजह से यह किसान की दुश्मन बन जाती हैं।[4]

यह पानी के पास के सरकंडों में अपना डेरा जमाती है। यह खाने और घोंसला बनाने की सामग्री के लिए घास तथा फ़सलों, जैसे धान, पर निर्भर करती है। फ़सलों के बीज यह रोपण के समय और परिपक्व होने के समय, दोनों ही परिस्थितियों में चट कर जाती है और किसानों का क्रोध मोल लेती है।[5] इसके आहार में कुछ कीट, जैसे तितली भी होते हैं[6] और इनको छोटे मेढक[7] तथा सीप, घोंघा इत्यादि भी (खासकर अपने बच्चों को खिलाने के लिए) ले जाते देखा गया है।[8] इसके मौसमी प्रवास भोजन की उपलब्धता पर निर्भर करते हैं। इसका कलरव छोटी-छोटी "चीं-चीं" की ध्वनि होता है। जब प्रजनन काल न हो तो यह मंद आवाज़ में ध्वनि करते हैं।[9]

बया पक्षियों का कलरव

इन्हें भी देखें

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  1. BirdLife International (2012). "Ploceus philippinus". IUCN Red List of Threatened Species. Version 2012.1. International Union for Conservation of Nature. अभिगमन तिथि 5 अक्टूबर 2012.
  2. Salim, Ali (2002). The Book of Indian Birds, Third Edition. Oxford University Press. पपृ॰ 64, 283. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-19-566523-6.
  3. Compilers: Stuart Butchart, Jonathan Ekstrom (2008). "Baya Weaver-Fact Sheet". Evaluators: Jeremy Bird, Stuart Butchart. BirdLife International . अभिगमन तिथि ०५/१०/२०१२. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link)[मृत कड़ियाँ]
  4. Sengupta,S (1974). "The Common Baya (Ploceus philippinus) - a serious pest of agriculture". Current Science. 43 (4): 24–125. मूल से 16 सितंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 अक्तूबर 2012.
  5. Ali, Mir Hamid; Singh, T.G. Manmohan; Banu, Aziz; Rao, M. Anand; Janak, A.T. Sainath (1978). "Observations on the food and feeding habits of Baya Weaver Ploceus philippinus". J. Bombay Nat. Hist. Soc. 75: 1198–1204.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  6. Ambedkar, V. C. (1972). "The Baya [Ploceus philippinus (Linn.)] feeding nestlings with butterflies". J. Bombay Nat. Hist. Soc. 69 (3): 653–654.
  7. George, N.J. (1973). "Baya (Ploceus philippinus) feeding on frogs". J. Bombay Nat. Hist. Soc. (2): 381–382.
  8. Mukherjee, A.K.; Saha, B.C. (1974). "Study on the stomach contents of Common Baya, Ploceus philippinus (Linnaeus)". J. Bombay Nat. Hist. Soc. 71 (2): 308.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  9. Ali S & S D Ripley (1999). Handbook of the birds of India and Pakistan. 10 (2 संस्करण). Oxford University Press. पपृ॰ 92–97. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-19-562063-1.