बालमणि अम्मा का रचनात्मक योगदान अत्यंत व्यापक है। जिसमें गद्य, पद्य, अनुवाद और बाल साहित्य सभी समाए हुए हैं। उनका रचनाकाल भी 50 से अधिक वर्षों तक फैला हुआ है और वे अपने अंतिम समय तक कुछ न कुछ रचती ही रहीं। इस लेख में उनकी लगभग समस्त रचनाओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है।
अम्मा का विवाह वर्ष 1928 में वी॰ एम॰ नायर के साथ हुआ और वे उनके साथ कलकत्ता में रहने लगीं। कलकत्ता- वास के अनुभवों ने उनकी काव्य चेतना को प्रभावित किया। अपनी प्रथम प्रकाशित और चर्चित कविता 'कलकत्ते का काला कुटिया'उन्होने अपने पतिदेव के अनुरोध पर लिखी थी, जबकि अंतररतमा की प्रेरणा से लिखी गई उनकी पहली कविता 'मातृचुंबन' है। उनकी प्रारंभिक कविताओं में से एक 'गौरैया' शीर्षक कविता उस दौर में अत्यंत लोकप्रिय हुई। इसे केरल राज्य की पाठ्य-पुस्तकों में सम्मिलित किया गया। बाद में उन्होने गर्भधारण, प्रसव और शिशु पोषण के स्त्रीजनित अनुभवों को अपनी कविताओं में पिरोया। उन्होंने छोटी अवस्था से ही कविताएँ लिखना शुरू कर दिया था। उनकी पहला कविता संग्रह "कूप्पुकई" 1930 में प्रकाशित हुआ था। उन्हें सर्वप्रथम कोचीनब्रिटिश राज के पूर्व शासक राम वर्मा परीक्षित थंपूरन के द्वारा "साहित्य निपुण पुरस्कारम" प्रदान किया गया। 1987 में प्रकाशित "निवेद्यम" उनकी कविताओं का चर्चित संग्रह है। कवि एन॰ नारायण मेनन की मौत पर शोकगीत के रूप में उनका एक संग्रह "लोकांठरांगलील" नाम से आया था।[1]
↑Bālāmaṇiyamma (1950(2d ed)). Mother [[हिन्दी]]: माँ (अंग्रेज़ी में). Bombay, International Book House. मूल से 14 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020. |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद); URL–wikilink conflict (मदद)
↑बालमणि अम्मा (2012 (जून)). ബാലാമണിഅമ്മയുടെ കവിതകള് ['बालमणिअम्मायूडे कविथाकाल' (सम्पूर्ण सम्हारम)] (सजिल्द) (मलयालम में). माथरुभूमि बुक्स. पृ॰ 760. मूल से 14 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2014. |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)