बीजगणित (संस्कृत ग्रन्थ)

बीजगणित, भास्कर द्वितीय की रचना है और सिद्धान्तशिरोमणि का द्वितीय भाग है। सिद्धान्तशिरोमणि के अन्य भाग हैं - लीलावती, ग्रहगणित तथा गोलाध्याय

इस ग्रन्थ में भास्कराचार्य ने अनेक विषयों की चर्चा की है जो संक्षेप में नीचे दिए गए हैं। इसमें अनिर्धार्य द्विघात समीकरणों के हल की चक्रवाल विधि दी है। यह विधि जयदेव की विधि का भी परिष्कृत रूप है। जयदेव ने ब्रह्मगुप्त द्वारा दी गयी अनिर्धार्य द्विघात समीकरणों के हल की विधि का सामान्यीकरण किया था।

यह विश्व की पहली पुस्तक है जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि धनात्मक संख्याओं के दो वर्गमूल होते हैं।

इसमें बारह अध्याय हैं।

इस ग्रन्थ मे निम्नलिखित उपविषय हैं-

  • धनात्मक एवं ऋणात्मक संख्याएँ
  • शून्य
  • अज्ञात राशि एवं उसका मान निकालना
  • करणी एवं करणियों का मान निकालना
  • कुट्टक (अनिर्धार्य समीकरण (Indeterminate equations) तथा डायोफैण्टाइन समीकरण)
  • साधारण समीकरण (द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ घात के अनिर्धार्य समीकरण)
  • एक से अधिक अज्ञात राशि वाले सरल समीकरण
  • अनिर्धार्य वर्ग समीकरण (ax² + b = y² की तरह के)।
  • द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ घात के अनिर्धार्य समीकरणों के हल
  • वर्ग समीकरण
  • एक से अधिक अज्ञात राशि वाले वर्ग समीकरण
  • बहुत से अज्ञात राशियों के गुणनफल वाली संक्रियाएँ

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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