बेरिऑन संख्या
कण भौतिकी में बेरिऑन संख्या निकाय की लगभग संरक्षित क्वान्टम संख्या है।
कण भौतिकी में फ्लेवर |
फ्लेवर क्वान्टम संख्या:
सम्बंधित क्वांटम संख्या:
संयुक्त:
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जहाँ nq क्वार्क की एक संख्या है और nq प्रतिक्वार्क की एक संख्या है। बेरिऑनों (तीन क्वार्क) की बेरिऑन संख्या +1, मेसॉनों (एक क्वार्क, एक प्रतिक्वार्क) की बेरिऑन संख्या 0 (शून्य) और प्रतिबेरिऑनों (तीन प्रतिक्वार्क) की बेरिऑन संख्या −1 होती है। इतर हैड्रॉन जैसे पेन्टाक्वार्क (चार क्वार्क, एक प्रति क्वार्क) और चतुष्क्वार्क (दो क्वार्क, दो प्रतिक्वार्क) को भी उनकी बेरिऑन संख्या के आधार पर बेरिऑनों एवं मेसॉनों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
बेरिऑन संख्या बनाम क्वार्क संख्या
संपादित करेंक्वार्क के पास केवल विद्युत आवेश ही नहीं होता, बल्कि अतिरिक्त कलर आवेश एवं दुर्बल समभारिक प्रचक्रण जैसे आवेश भी रखता है। कलर परिरोध परिकल्पना के कारण एक हेड्रॉन नैज कलर आवेश नहीं रख सकता; अर्थात किसी भी कण का कुल कलर आवेश शून्य (श्वेत) होना चाहिए। एक क्वार्क तीन तरह के कलर आवेश रख सकता है: "लाल", "हरा" और "नीला"। (ध्यान रहे ये कलर आवेश सामान्य वर्णों से किसी तरह का कोई संबंध नहीं रखते।)
एक सामान्य हैड्रॉन के लिए केवल श्वेत वर्ण सम्भव है जो निम्न तीन विधियों से प्राप्त किया जा सकता है:
- एक क्वार्क जिसका एक वर्ण है समान प्रतिक्वार्क जिसका कलर-आवेश प्रतिवर्ण है, एक मेसॉन का निर्माण कर सकते हैं जिसकी बेरिऑन संख्या शून्य (0) होती है।
- तीन क्वार्क जिनका वर्ण भिन्न है मिलकर एक बेरिऑन का निर्माण कर सकते हैं जिसकी बेरिऑन संख्या +1 होगी।
- तीन प्रतिक्वार्क मिलकर एक प्रतिक्वार्क का निर्माण करें जिसकी बेरिऑन संख्या −1 है।
बेरिऑन संख्या बहुत पूर्व ही परिभाषित की जा चुकी थी और क्वार्क मॉडल से पहले ही स्थापित किया जा चुका था, अतः परिभाषा बदलने के बजाय कण भौतिक विज्ञानीयों ने सामान्य रूप से सभी क्वार्कों को एक तिहाई बेरिऑन संख्या आवंटित की गई।
क्वार्करहित कण
संपादित करेंक्वार्करहित कण अर्थात जिन कणों का निर्माण क्वार्कों से मिलकर नहीं बना होता उनकी बेरिऑन संख्या शून्य होती है। इस तरह के कण लेप्टॉन (इलेक्ट्रॉन, म्यूऑन, टाऊ और इनके न्यूट्रिनो सहित) और गेज बोसॉन (फोटोन, W व Z बोसॉन और ग्लुओन); या परिकल्पित कण ग्रेविटोन हैं।
संरक्षण
संपादित करेंबेरिऑन संख्या मानक मॉडल की लगभग सभी क्रियाओं में संरक्षित रहती है। 'संरक्षित' का अर्थ क्रिया पूर्व कणों की कुल बेरिऑन संख्या उअर परिणामी कणों की कुल बेरिऑन संख्या के समान होने से है। इसका एक अपवाद काइरल विषमता है।