भारतीय युद्धकलाएँ
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इस लेख में 'भारतीय युद्धकला' से आशय 'भारतीय उपमहाद्वीप' की युद्धकलाओं से है।
संस्कृत तथा अन्य भारतीय भाषाओं में युद्धकलाओं के अनेक प्रकार और नाम मिलते हैं-
- युद्धकला
- आयुध विद्या
- वीर विद्या
- शस्त्र विद्या
- धनुर्वेद
- तड़काप्पुक कलै (தற்காப்புக் கலை) -- स्व-रक्षा की कला
भारतीय युद्ध कला में मराठा युद्ध कला बहुत ही प्रसिद्ध युद्ध कलाओं का एक प्रकार है जहाँ मराठाओं की अपनी ही एक विशिष्ट प्रकार की युद्ध नीति होती थी बाद में शिवाजी महाराज ने इसमें बदलाव करते हुए कम से कम सैन्य बल का प्रयोग करते हुए बड़े से बड़े सैन्य बल को परास्त करने के लिए एक युद्ध नीति का विकास किया जिसे गनिमी कावा के नाम से जाना जाता है शिवाजी महाराज द्वारा विकसित की गई गनिमी कावा बहुत ही प्रसिद्ध युद्ध नीति है आज के दौर में मराठाओं के इस युद्ध कला को आधुनिक रूप देते हुए सेल्फ डिफेंस के लिए फाइट साइंस अकेडमी द्वारा चलाया जा रहा है।
महर्षि वाल्मीकि द्वारा जनित युद्ध कला बहुत ही श्रेष्ठ युद्ध कलाओं में से एक थी। इसकी श्रेष्ठता का अनुमान आप इसी बात से लगा सकते है कि महर्षि वाल्मीकि के दो विद्यार्थी लव तथा कुश को श्री राम और उनके महान योद्धा भी युद्ध में हरा नही पाये थे जबकि ये वही योद्धा थे जो रावण तथा उसकी महान सेना को परास्त कर चुके थे परन्तु दो बालको से हार गए थे।
इन्हें भी देखें
संपादित करें- युद्ध कलाएँ (मार्शल आर्ट्स)
- कटार
बाहरी कड़ियाँ
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