भूख हड़ताल
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भूख हड़ताल एक अहिंसक प्रतिरोध या दबाव की एक विधि है जिसमें प्रतिभागियों उपवास कर विरोध करते हैं। मूलतः यह विरोध राजनीतिक होते हैं या दूसरों में अपराध की भावना को भड़काने के लिए किये जाते हैं। आमतौर पर नीति परिवर्तन के रूप में एक विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के साथ किये जाते हैं। अधिकांश भूख हड़ताली तरल पदार्थ ग्रहण करते हैं लेकिन ठोस पदार्थों का सेवन नहीं किया जाता।
आमतौर पर राज्य या वह इकाई जिसके खिलाफ यह भूख हड़ताल की जाती है भूख हड़ताली की हिरासत प्राप्त करने में सक्षम रहते हैं और अक्सर भूख हड़ताल बल के प्रयोग के माध्यम से संस्था द्वारा इच्छा के विरुद्ध खाना खिला कर ख़तम होती है।इतना ही नहीं बल्कि हड़ताल को राजनितिक चश्मे से देखा जाता है चाहे वो भले ही कितनी भी तार्किक एवं समाज के लिए आवश्यक हो परन्तु चंद राजनितिक स्वार्थ में सिमट कर हड़ताल का बालबध हो जाता है !
----सम्पादकीय:-अखिल मिश्र 'पागल'
ऐतिहासिक उदाहरण
संपादित करें- महात्मा गाँधी ने उपवास को आँदोलन का एक शक्तिशाली अस्त्र बना दिया था।
- भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त ने जेल में भूख हड़ताल की थी।
- भारतीय क्रांतिकारी यतीन्द्रनाथ दास की बोर्स्टल जेल लाहौर में लगातार भूख हड़ताल करने से मृत्यु हो गयी थी।
आधुनिक समय में भूख हड़ताल
संपादित करें- अन्ना हज़ारे द्वारा जन लोकपाल विधेयक आंदोलन
- इरोम शर्मिला द्वारा अफ्स्पा का विरोध
- मिस्र के एक राजनीतिक कार्यकर्ता माइकल नबील सनद ने 2011 में उन्होंने भूख हड़ताल की जिसके दौरान वे दो बार कोमा में गए।
इन्हें भी देखें
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