मेव
मेव उत्तर-पश्चिमी भारत का एक मुस्लिम समुदाय है। मेव प्राचीन वैदिक इंडो आर्यन क्षत्रियों के वंशज है। इन्होंने लगभग 11वी शताब्दी के आस पास इस्लामिक सूफियों से प्रभावित होकर इस्लाम अपनाया। मगर इन्होंने इस्लाम के साथ साथ अपने आर्यन क्षत्रिय परंपराओं और रीति रिवाजों को भी अपनाए रखा। मेवो मै 12 पाल यानि खापें और 52 गोत्र हैं। मेव एक वैदिक क्षत्रिय कोम है । इनके रीति रिवाज आज भी क्षत्रिय वाले है। इनमें चंद्रवंशी, सूर्यवंशी और अग्निवंशी क्षत्रियो के कई कुल है। और ये खुद को श्री कृष्ण और राम के वंशज मानते है। इन्होंने हमेशा बाहरी आक्रमणकारियों से इस देश की रक्षा की। इन्होंने समय समय पर अरब ,तुर्क, अफ़ग़ान ,मुगल, अंग्रेज सबसे लोहा लिया है।और कभी किसी के सामने घुटने नहीं टेके। जिस कारण कई बार इनको अपने क्षेत्र और कई रियासतें खोनी पड़ी थीं। इन्होंने दिल्ली के शासकों के साथ कई संघर्ष किए जिसके कारण मेव लोगों को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसी कारण की वजह से उस समय के इतिहासकारों ने इन वीर मेवो को डाकू वे लुटेरा कहा। क्योंकि उनसे और उनके शासकों से मेवो के संघर्ष होते थे। इसी कारण आज किसी भी ऐतिहासिक दस्तावेजों मै इस वीर और साहसी कोम के इतिहास के बारे में बहुत कम देखने को मिलता है।उन्होंने इनके इतिहास के साथ छेड़छाड़ की। आज के समय में ये वीर मेव हरियाणा के नूह और पलवल की हथीन तहसील और राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिलों मै भारी संख्या में रहते है। इसके अलावा पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी ये रहते है। और आज इनको मेव या मेवाती के नाम से जाना जाता है।[1]
परम्परा
संपादित करेंमेव आम तौर पर मुसलमान है।मगर वो मुस्लिम होने के साथ साथ अपने क्षत्रिय परंपराओं और रीति रिवाजों का भी पालन करते है। इसी लिए वो आज भी अपनी जाती के बाहर विवाह नहीं करते और अपना गोत्र बचाकर विवाह करते है। और क्षत्रिय परंपराओं का सख्ती के साथ पालन करते है।यही बात उनको बाकी मुस्लिम से अलग बनाती है।[2]
इतिहास
संपादित करेंमेव मेवात के निवासी हैं, एक ऐसा क्षेत्र जिसमें हरियाणा का नूह और राजस्थान के भरतपुर और अलवर शामिल हैं। उत्तर प्रदेश का भी मथुरा जिले का कुछ भाग शामिल हैं , जहां मेव सदियों से रहते आ रहे हैं। मेव प्राचीन वैदिक आर्यन क्षत्रियों की संताने है। जो 11वी शताब्दी के बीच इस्लाम में परिवर्तित हो गए। मेव इतिहास मे एक बहादुर कौम रही है। इतिहास में तारीख ए फिरोजशाही मे मिलता है की मेवों के डर से दिल्ली के शासको ने दिल्ली के चारो तरफ के मार्ग बंद कर दिए थे। मुगल बादशाह बाबर से खानवा और पानीपत के प्रथम युद्ध मै लड़ने वाला राजा हसन खान मेवाती एक मेव थे। महाराणा प्रताप को जब हल्दीघाटी से भागना पड़ा तब मेवो ने उनको अरावली की पहाड़ियों मै शरण दी। गयासुद्दीन बलबन से मेवो ने 3 प्रमुख युद्ध लड़े जिसमें लाखो मेव ने अपनी जान दी। वीर सावलिया मेव ने अपनी छापामार युद्ध पद्धति से औरंगजेब की सेना को भारी शिकस्त दी थीं। छत्रपति शिवाजी महाराज को औरंगजेब की कैद से छुड़वाने मै मेवो का बड़ा हाथ रहा।वीर मेव राव बाहड जो मेवो के मान सम्मान को बचाने के लिए अकबर जैसे बादशाह से भीड़ गए। सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में सबसे ज्यादा कुर्बानियां मेवो ने दी थीं। मेवो ने अंग्रेजी सेनाओं को गुरुग्राम और गांव रूपराका और रेवासन मै बुरी तरह हराया। सन् 1947 मै जब देश का विभाजन हुआ तब सांप्रदायिक दंगों मै लाखो मेव शहीद हुए। और जो बच गए उनमें से आधे पाकिस्तान चले गए और बाकी भारत मै ही रुके। उस समय स्वयं महात्मा गांधी ने मेव को पाकिस्तान जाने से रोका और उन्हें देश की रीढ़ की हड्डी कहा और सत्यमेव जयते का नारा दिया। आज भी ये कोम अपने देश के लिए मरने मिटने को तैयार है। हर भारतीय को मेव क्षत्रियो का सम्मान करना चाहिए और उनके द्वारा दी गई देश सेवा और कुर्बानियां का सम्मान करना चाहिए। राव बाहड़ मेव,हतिया मेव, राजा हसनखा मेवाती ,राजा नाहर खां मेवाती , , इकराम खा मेव, सदरुद्दीन मेव, राजा काकूराणा बालोत, मलखा मेव जैसे इतिहास मै कई वीर और साहसी मेव योद्धा वे राजा हुए है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Sharma, Mukesh Kumar (2017-07-12). "नंदकिशोर आचार्य के काव्य का भाषिक और साहित्यिक वैशिष्ट्य : नई सदी के विशेष संदर्भ में". RIVISTA. 1 (1): 25–34. डीओआई:10.26476/rivista.2017.01.25-34. आईएसएसएन 2529-7953.
- ↑ Ali, Hashim Amir; Khan, Mohammad Rafiq; Kumar, Om Prakash; Committee, India Planning Commission Research Programmes (1970). The Meos of Mewat: Old Neighbours of New Delhi (अंग्रेज़ी भाषा में). Oxford & IBH Publishing Company.
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