इंग्लैंड की मैरी प्रथम

१५५३-१५५८ के दौरान इंग्लैंड तथा आयरलैंड की रानी

मैरी प्रथम (18 फरवरी 1516 – 17 नवंबर 1558), इंग्लैंड और आयरलैंड की जुलाई 1553 से अपनी मृत्यु तक रानी थीं। अपने शासनकाल में प्रोटेस्टैंटों को दी गई मौत की जघन्य सजाओं ने उन्हें खूनी मैरी यानि "Bloody Mary" के नाम से भी बदनाम कर दिया।[2]

मैरी प्रथम
मैरी का माथा उंचा, पतले ओंठ व आंखॉं के बीच में बाल थे।
एंटोनिस मोर द्वारा चित्रण, 1554
इंग्लैंड और आयरलैंड की रानी
शासनावधिजुलाई 1553[1] –
17 नवंबर 1558
राज्याभिषेक1 अक्टूबर 1553
पूर्ववर्तीजेन (विवादित) या एडवर्ड ६
उत्तरवर्तीएलिज़ाबेथ प्रथम
सह-शासकफिलिप
स्पेन की पटरानी
शासनकाल16 जनवरी 1556 –
17 नवंबर 1558
जन्म18 फ़रवरी 1516
प्लासेंटिया का महल, ग्रीनविच
निधन17 नवम्बर 1558(1558-11-17) (उम्र 42 वर्ष)
सेंट जेम्स का महल, लंदन
समाधि14 दिसम्बर 1558
जीवनसंगीस्पेन के फिलिप २
घरानाट्यूडर राजवंश
पिताहेनरी अष्टम
माताएरागॉन की कैथरीन
धर्मरोमन कैथोलिक
हस्ताक्षरमैरी प्रथम के हस्ताक्षर

बचपन पार कर युवा होने वाली मैरी हेनरी अष्टम और उनकी पहली पत्नी एरागॉन की कैथरीन की एकमात्र संतान थीं। उनसे छोटे सौतेले भाई एडवर्ड ६ (हेनरी और जेन सेमोर के पुत्र) अपने पिता के बाद 1547 में अंग्रेजी सिंहासन के उत्तराधिकारी बने। 1553 में एडवर्ड के बीमार पड़ने पर उसने मैरी को धार्मिक मतभिन्नता की वजह से सिंहासन के उत्तराधिकार सूची से हटाने की कोशिश की। उसकी मृत्यु पर पहले उसकी बुआ लेडी जेन ग्रे को सर्वप्रथम रानी घोषित किया गया। मैरी ने पूर्वी एंग्लिया में एक सैन्य बल इकट्ठा किया और जेन को सफलतापूर्वक हटा दिया और जिसे अंतत: मौत की सजा दे दी गई। जेन के शासन के विवादत दावों साम्राज्ञी मटिल्डा के अलावा— इंग्लैंड की पहली रानी शासक थीं। 1554 में मैरी ने स्पेन के फिलिप २ से शादी करके 1556 में हैब्स्बर्ग स्पेन की पटरानी भी बनीं।

ट्यूडर राजवंश के चौथे शासक के रूप में मैरी को इंग्लैंड में अपने सौतेले भाई और प्रोटेस्टैंट विचारों वाले एडवर्ड ६ के छोटे से शासनकाल के खत्म होने के बाद रोमन कैथोलिक धर्म की पुनर्स्थापना के लिये जाना जाता है। अपने पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान मैरी ने 280 प्रोटेस्टैंटों को जिंदा जलवा दिया। रोमन कैथोलिक धर्म का उनका पुनर्स्थापन उनकी सौतेली बहन और 1558 में उनकी मृत्यु के बाद इंग्लैंड पर राज करने वाली हेनरी व एन बोलिन की संतान एलिज़ाबेथ प्रथम ने पलट दिया।

धार्मिक नीतियाँ

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कांस्य पदक पर मैरी का चित्र, 1554
Mary in an ornate dress
हैंस एवर्थ द्वारा चित्रित मैरी, 1554। वह गलें में दो हीरों के बीच जड़ा हुआ मोती पहनती थी।

अपने राज्यारोहण के कुछ दिनों बाद मैरी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वो उनका धर्म नहीं मानने वालों का दमन नहीं करेंगी लेकिन सितम्बर के अंत तक प्रमुख प्रोटेस्टैँट जॉन ब्रैडफोर्ड, जॉन रोज़र्स, जॉन हूपर्स, हुघ लैटिमर और थॉमस क्रैनमर को बंदी बना लिया गया।[3] मैरी के नेतृत्व में गठित पहली संसदीय सभा जो अक्टूबर 1553 में बैठी थी ने मैरी के माता-पिता एरागॉन की कैथरीन और हेनरी के विवाह को पुन: वैध घोषित कर दिया, जिसे हेनरी ने क्रैनमर की सहायता से एन बोलिन से शादी करने के लिये अवैध घोषित करवा दिया था। संसद ने एडवर्ड के बनाये धार्मिक कानूनों को भी खत्म कर दिया। [4] गिरिजाघरों कि सत्ता को पुन: १५३९ ई० वाली अवस्था में कर दिया गया। विवाहित पादरियों को किसी भी तरह के शाही फायदों से वंचित कर दिया गया।[5]

मैरी ने अपने पिता हेनरी द्वारा रोम से पृथक्करण और भाई एडवर्ड और उसके अनुगामियों द्वारा प्रोटेस्टैंट शाखा से संबंधित विषय-वस्तुओं की स्थापना का सदैव विरोध किया था। फ़िलिप ने संसद से हेनरी के धार्मिक कानूनों को खत्म करने की मांग की और पुन: कैथोलिक रोम से जुड़ने की अनुशंसा की। नये अनुबंध को बनने में कई महीने लग गये और मैरी व पोप जुलियस तृतीय को कुछ बातों पर सम्झौता करना पड़ा। हेनरी के समय जब्त की गई कैथोलिक मठों की जमीनों को चर्च को वापस नहीं किया गया और वे अपने नए व प्रभावशाली मालिकों के पास ही रहीं। [6] १५५४ के अंत तक पोप ने नई संधि को मान्यता दे दी थी और हेयर्से के कानून का भी पुनर्गठन हुआ।[7]

हेअर्से के कानून के तहत बहुत सारे प्रोटेस्टेंटों को मैरियन दंड के तहत मौत के घाट उतार दिया गया। लगभग ८०० धनी व प्रभावशाली प्रोटेस्टेंटों ने देश छोड़ने का रास्ता चुना।[8] पहले मृत्युदंड फरवरी 1555 के पहले हफ्ते में हुए: जॉन रोजर्स को 4 फरवरी, लौरेंस सांडर्स को 8 फरवरी, रोलैंड टेलर और जॉन हूपर को 9 फरवरी को मृत्युदंड दिया गया। [9] जेल में बंद कैन्टरबरी के प्रमुखपादरी थॉमस क्रैनमर को पादरी निकोलस रिडली और ह्युघ लैटिमर को जलते हुए देखने के लिये मजबूर किया गया। क्रैनमर ने प्रोटेस्टैंट विचारधारा को त्याग दिया व फिर से कैथोलिक बन गया।[10] सामान्य कानूनी गतिविधि के अनुसार पश्चाताप करने वाले कैदी क्रैनमर को छोड़ दिया जाना चाहिये था लेकिन मैरी ने उसे माफ करने से इंकार कर दिया। मैरी उसके पश्चाताप को सही नहीं मानती थी और उसे स्वयं व अपनी माँ को हुई विभिन्न परेशानियों का कारण भी मानती थी। जब मैरी की माँ का हेनरी से विवाह अवैध और मैरी को अवैध संतान घोषित करके उसे अंग्रेजी शासन के उत्तराधिकार से वंचित कर दिया गया था तब क्रैनमर ही हेनरी का प्रमुख सलाहकार व इंग्लैंड का चांसलर था। जब क्रैनमर को जलाए जाने से पहले उसने नाटकीय ढंग से प्रोटेस्टैंट विचारधारा से अपना त्याग वापस ले लिया।[11] कुल 283 को मृत्युदंड की सजा दी गयी और अधिकतर को जला कर मारा गया।[12] जलाकार मारने की ये घटनाएँ बहुत अप्रसिध हुईं और स्वयं फिलिप के गिरिजाघर के एक कर्मचारी अलफोंसो डी कास्त्रो ने इसकी निंदा की।[13] एक अन्य सलाहकार साइमन रेनॉर्ड ने चेताया की ऐसी क्रूर जबर्दस्ती विद्रोह का कारण बन सकती है।[14] हालांकि मैरी अपनी नीतियों पर डटी रहीं और अपनी मृत्यु तक अंग्रेज लोगों में स्पैनिश व कैथोलिक विरोधी भावनाओं को खत्म करने में लगी रहीं।[15] इन अत्याचारों को झेलने वालों को बाद में शहीद का दर्ज़ा दिया गया।[16]

मैरी की मृत्युदंड प्राप्त शिक्षिका का बेटा रेगिनैल्ड पोल पोप के प्रतिनिधि के तौर पर नवंबर १५५४ में आया।[17] उसे पादरी और मार्च १५५६ में क्रैनमर की मृत्यु के बाद कैन्टरबरी का मुख्य पादरी नियुक्त कर दिया गया।[18][19]


विदेश नीति

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आयरलैंड पर ट्युडरों का आधिपत्य जारी रखते हुए मैरी ने अपने शासनकाल में आयरिश मध्यभूमियों में अपने उपनिवेश स्थापित किये। काउंटी लाओइस और काउंटी ओफ़ाले का गठन हुआ और उनमें खेती प्रारंभ की गयी।[20] Tइन नगरों को क्रमश: मैरीबोरो (अब पोर्टलुइस) और फ़िलिप्सटाउन (अब डैंगीन) का नाम दिया गया।

जनवरी 1556 में मैरी के ससुर ने गद्दी छोड़ी और फ़िलिप स्पेन के राजा बन गये, साथ ही मैरी स्पेन की पटरानी बनीं। वो अभी भी अलग थे; फ़िलिप को ब्रुसेल्स में राजा घोषित किया गया जबकि मैरी लंदन में ही रहीं। फिलिप ने फ्रांस से कुछ दिनों के लिये फरवरी 1556 में युद्धविराम के लिये बातचीत की। अगले महीने इंग्लैंड में फ्रेंच राजदूत एंटोनी डी नोइलेस को इंग्लैड में मैरी के विरुद्ध षडयंत्र के आरोप में गिरफ्तार किया। नॉर्थम्बरलैंड के मारे गये ड्यूक जॉन डुडली के रिश्ते का भाई हेनरी सुटन डुडली फ्रांस में एक विद्रोही सेना का गठन कर रहा था। डुडली षडयंत्र के नाम से जाना जाने वाली इस साजिश का पटाक्षेप हो गया और इंग्लैंड में डुडली के समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया। नोएलिस ने ब्रिटेन छोड़ दिया और डुडली फ्रांस में निर्वासन में रहा।[21]

फ़िलिप मार्च से जुलाई 1557 तक के लिये इंग्लैंड आ गये और इटली के खिलाफ़ होने वाले स्पेनी युद्ध में इंग्लैंड का समर्थन मांगा। मैरी इसके लिये तैयार थीं लेकिन उनके सलाहकारों ने फ्रांस से होने वाले व्यापार की दुहाई देते हुए ऐसा करने से मना किया। फ्रांस के खिलाफ़ युद्ध में साथ देने से फ्रांस से हुए शादी का अनुबंध टूट जाता और एडवर्ड के शासनकाल से मिली खराब आर्थिक विरासत, कई सालों से हो रही कम पैदावार से पहले से परेशान इंग्लैंड की जनता की फ्रांस से व्यापार खत्म होने की सूरत में परेशानियाँ और बढ़ जातीं।[22] युद्ध जून १५५७ में ही घोषित हुआ जब रेगिनल्ड पोल के भतीजे और विद्रोही थॉमस स्टैफोर्ड ने फ्रांस की सहायता से मैरी को पदच्युत करने के लिए इंग्लैंड पर चढाई की स्कारबोरो के किले पर कब्जा कर लिया। [23] युद्ध की वजह से इंग्लैंड और पोप के संबम्धों में तनावा आ गया क्योंकि पोप पॉल षष्टम फ्रांस के राजा हेनरी से साथ थे। [24] जनवरी १५५८ में फ्रांसीसी सेनाओं ने यूरोप की मुख्य भूमि पर इंग्लैंड के अधिकार वाले एकमात्र बचे कैलेइस को अपने नियम्त्रण में ले लिया। आर्थिक रूप से कमजोर नगर को हारने से कुछ नुकसान तो नहीं होना था लेकिन फिर भी वैचारिक रूप से यह मैरी की हार थी जिसने उनके प्रतिष्ठा व प्रभाव को ठेस पहुंचाई। [25] मैरी को इस हार से गहरा धक्का पहुंचा था।[26]

मैरी और फिलिप दोनों ही गॉंट का जॉन की अपनी पहली दो पत्नियों से होने वाली संतानों के वंशज थे। इन संबंधों को फिलिप को एक अंग्रेज राजा होने के समर्थन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। [27]

वंश वृक्ष

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एडवर्ड ६
 
 
 
जॉर्ज, क्लैरेंस का पहला ड्यूक
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
इसाबेल
 
फर्डीनंड
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
हेनरी ७, इंग्लैंड के राजा
 
यॉर्क की एलिज़ाबेथ
 
 
 
मार्गरेट पोल
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
जोन
 
एरॉगान की मारिया
 
एरागॉन की कैथरीन
 
 
 
 
 
हेनरी ८
 
 
 
मार्गरेट ट्यूडर
 
मैरी ट्यूडर
 
रेगिनाल्ड पोल
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
चार्ल्स पंचम, पवित्र रोमन सम्राट
 
पुर्तगाल की इसाबेल
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
जेम्स ५, स्कॉटलैंड का राजा
 
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स्पेन का फ़िलिप २
 
 
 
 
 
मैरी १
 
एलिज़ाबेथ प्रथम
 
एडवर्ड ६, इंग्लैंड का राजा
 
मैरी, स्कॉटलैंड की रानी
 
लेडी जेन ग्रे
 
 
 
 
 

टिप्पणियाँ

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  1. उनके सौतेले भाई की 6 जुलाई को हुई मृत्यु के बाद उन्हें लंदन में 19 जुलाई को उत्तराधिकारी चुना गया; उनके शासकीय वर्ष 24 जुलाई (वेएर, p. 160) से माने जाते हैं।
  2. "ब्लडी मैरी". मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जून 2018.
  3. टिटलर, pp. 23–24; व्हाइटलॉक, p. 187
  4. लोड्स, pp. 207–208; वैलर, p. 65; व्हाइटलॉक, p. 198
  5. पोर्टर, p. 241; व्हाइटलॉक, pp. 200–201
  6. पोर्टर, p. 331
  7. लोड्स, pp. 235–242
  8. वैलर, p. 113
  9. व्हाइटलॉक, p. 262
  10. लोड्स, p. 325; पोर्टर, pp. 355–356; वैलर, pp. 104–105
  11. लोड्स, p. 326; वैलर, pp. 104–105; व्हाइटलॉक, p. 274
  12. डुफी, p. 79; वैलर, p. 104
  13. पोर्टर, pp. 358–359; वैलर, p. 103; व्हाइटलॉक, p. 266
  14. वैलर, p. 102
  15. वैलर, pp. 101, 103, 105; व्हाइटलॉक, p. 266
  16. देखें [[:en:Oxford Martyrs|]]
  17. लोड्स, p. 238; वैलर, p. 94
  18. पोर्टर, p. 357
  19. Although he was in deacon's orders and prominent in the church, Pole was not ordained until the day before his consecration as archbishop (लोड्स, p. 319).
  20. टिटलर, p. 66
  21. पोर्टर, pp. 381–387
  22. व्हाइटलॉक, p. 288
  23. पोर्टर, p. 389; वैलर, p. 111; व्हाइटलॉक, p. 289
  24. व्हाइटलॉक, pp. 293–295
  25. लोड्स, pp. 295–297; पोर्टर, pp. 392–395; व्हाइटलॉक, pp. 291–292
  26. पोर्टर, p. 393
  27. Whitelock, p. 242
  28. Weir, p. 148
  29. Weir, p. 133
  30. Weir, p. 134
  31. Weir, p. 138
  32. Paget, p. 99
  33. Weir, pp. 99–101

संदर्भ ग्रंथ

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  • डफी एमोन (2009). Fires of Faith: Catholic England Under Mary Tudor. न्यू हैवेन, सीटी: याले विश्वविद्यालय प्रेस. ISBN 0-300-15216-7.
  • होएल, आर. डब्ल्यु. (2001). The Pilgrimage of Grace and the Politics of the 1530s. ऑक्स्फ़ोर्ड: ऑक्स्फ़ोर्ड विश्वविद्यालय प्रेस. ISBN 0-19-925906-2.
  • डेविड लोड्स (1989) Mary Tudor: A Life. ऑक्स्फ़ोर्ड: बैसिल ब्लैकवेल। ISBN 0-631-15453-1.
  • गेराल्ड पैगेट (1977). The Lineage & Ancestry of HRH Prince Charles, Prince of Wales. एडिनबर्ग व लंदन: चार्ल्स स्किलटन। OCLC 79311835.
  • लिंडा पोर्टर (2007) Mary Tudor: The First Queen. लंदन: लिटिल, ब्राउन. ISBN 978-0-7499-0982-6.
  • रॉबर्ट टिटलर (1991). The Reign of Mary I. दूसरा संस्करण. लंदन व न्यूयॉर्क: लॉंगमैन. ISBN 0-582-06107-5.
  • मौरीन वैलर (2006). Sovereign Ladies: The Six Reigning Queens of England. न्यूयॉर्क: सेंट मार्टिन्स प्रेस. ISBN 0-312-33801-5.
  • ऐन वेकिल (2004; ऑनलाइन संस्करण 2008). "Mary I (1516–1558)" Oxford Dictionary of National Biography में (subscription or UK public library membership required). ऑक्स्फ़ोर्ड विश्वविद्यालय प्रेस. doi:10.1093/ref:odnb/18245.
  • एलिसन वेयर (1996). Britain's Royal Families: The Complete Genealogy. लंदन: पिम्लिको. ISBN 0-7126-7448-9.
  • अन्ना व्हाइटलॉक (2009). Mary Tudor: England's First Queen. लंदन: ब्लूम्सबरी. ISBN 978-0-7475-9018-7.
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  • जैस्पर रिडली (2001). Bloody Mary's Martyrs: The Story of England's Terror. न्यूयॉर्क: कैरॉल & ग्रैफ़. ISBN 0-7867-0854-9.
  • वैळ्डमैन, मिल्टन (1972). The Lady Mary: a biography of Mary Tudor, 1516–1558. लंदन: कोलिन्स. ISBN 0-00-211486-0.

बाहरी कड़ियाँ

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  • "The Tudors: Mary I". द रोयल हाउसहोल्ड. मूल से 16 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अक्तूबर 2015.
  • Eakins, Lara E. "Mary I Queen of England". Tudor History Web Ring. मूल से 23 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अक्तूबर 2015.
  • "Queen Mary I". हिस्टोरिक रोयल पैलेसेज़. मूल से 11 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अक्तूबर 2015.
इंग्लैंड की मैरी प्रथम
जन्म: 18 फरवरी 1516 मृत्यु: 17 नवंबर 1558
राजसी उपाधियाँ
पूर्वाधिकारी
एडवर्ड ६ या जेन
इंग्लैंड और आयरलैंड की रानी
1553–1558
with फ़िलिप (1554–1558)
उत्तराधिकारी
एलिज़ाबेथ प्रथम
शाही पदवियाँ
खाली
Title last held by
पुर्तगाल की इसाबेल
नेपल्स की रानी
मिलान की डचेज़

1554–1558
खाली
Title next held by
फ्रांस की एलिज़ाबेथ
स्पेन की पटरानी, सार्डीनिया और सिसिली
बुर्गुन्डी की डचेज़

1556–1558