राजीव दीक्षित
राजीव दीक्षित (30 नवम्बर 1967 - 30 नवम्बर 2010) एक भारतीय वैज्ञानिक, प्रखर वक्ता थे।[1] बाबा रामदेव ने उन्हें भारत स्वाभिमान (ट्रस्ट) के राष्ट्रीय महासचिव[2] का दायित्व सौंपा था, जिस पद पर वे अपनी मृत्यु तक रहे। वे राजीव भाई के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे।
राजीव दीक्षित | |
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जन्म |
30 नवम्बर 1967 अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत |
मौत |
30 नवम्बर 2010 भिलाई, छत्तीसगढ़, भारत | (उम्र 43 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | एम टेक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर |
धर्म | हिन्दू |
जीवनसाथी | अविवाहित |
माता-पिता |
मिथिलेश कुमारी राधे श्याम दीक्षित |
वेबसाइट www.rajivdxt.in |
जीवन परिचय
संपादित करेंराजीव दीक्षित का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में राधेश्याम दीक्षित एवं मिथिलेश कुमारी के यहाँ 30 नवम्बर 1967 को हुआ था।उन्होने प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा फिरोजाबाद जिले के एक स्कूल से प्राप्त की !! इसके उपरान्त उन्होने इलाहाबाद शहर के जे.के इंस्टीटयूट से बी. टेक. और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology से एम. टेक. की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद राजीव भाई ने कुछ समय भारत CSIR (Council of Scientific and Industrial Research) मे कार्य किया। तत्पश्चात उन्होंने किसी Research Project मे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के साथ भी कार्य किया !!
फिरोजाबाद से इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने इलाहाबाद से बी० टेक० तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से एम० टेक० व फ्रांस से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने कुछ समय भारत के [[वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद सीएसआईआर तथा फ्रांस के टेलीकम्यूनीकेशन सेण्टर में काम भी किया। तत्पश्चात् वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम डॉ॰ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम के साथ जुड़ गये। इसी बीच उनकी प्रतिभा के कारण सीएसाअईआर [CSIR] में कुछ परियोजनाओ पर काम करने और विदेशो में शोध पत्र पढने का मौका भी मिला। वे आर्यसमाज के संस्थापक दयानन्द सरस्वती , पंडित राम प्रसाद 'बिस्मिल',भगतसिंह, उधमसिंह, और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों से प्रभावित रहे। उनकी मृत्यु कैसे हुईं आज भी एक रहस्य बना हुआ है। जो व्यक्ति अपना सारा जीवन आयुर्वेदिक औषधियों के ज्ञान का प्रचार प्रसार करने में लगा दिया वो कैसे दिल के दौरे से मर सकता ह राजीव दीक्षित ने हजारों व्याख्यान देश के लगभग सभी क्षेत्रों में घूम घूम कर दिए उनके व्याख्यान आपको यूट्यूब rajivdixitmp3 वेबसाइट पर देखने और सुनने को मिल जायें
गे ।
राजीव भाई को जब पता चला कि रासायनिक खाद बनाने वाली कंपनियो के बाद देश की सबसे अधिक हजारो करोड रुपए की लूट दवा बनाने वाली सैंकडों विदेशी कंपनियाँ कर रही है ! और इसके इलावा ये बडी बडी कंपनियाँ वो दवाये भारत मे बेच रहे है जो अमेरिका और यूरोप के बहुत से देशों मे बैन है और जिससे देश वासियो को भयंकर बीमारियाँ हो रही है तब राजीव भाई ने इन कंपनियो के खिलाफ भी आंदोलन शुरू कर दिया !! राजीव भाई ने आयुर्वेद का अध्ययन किया और 3500 वर्ष पूर्व महाऋषि चरक के शिष्य वागभट्ट जी को महीनो महीनो तक पढा !! और बहुत ज्ञान अर्जित किया ! फिर घूम घूम कर लोगो को आयुर्वेदिक चिकित्सा के बारे मे बताना शुरू किया की कैसे बिना दवा खाये आयुर्वेद के कुछ नियमो का पालन कर हम सब बिना डॉक्टर के स्वस्थ रह सकते है और जीवन जी सकते है इसके अलावा हर व्यक्ति अपने शरीर की 85% चिकित्सा स्वंय कर सकता है !! राजीव भाई खुद इन नियमो का पालन 15 वर्ष से लगातार कर रहे थे जिस कारण वे पूर्ण स्वस्थ थे 15 वर्ष तक किसी डॉक्टर के पास नहीं गए थे !! वो आयुर्वेद के इतने बडे ज्ञाता हो गए थे कि लोगो की गम्भीर से गम्भीर बीमारियाँ जैसे शुगर, बीपी, दमा, अस्थमा, हार्ट ब्लोकेज, कोलेस्ट्रोल आदि का इलाज करने लगे थे और लोगो को सबसे पहले बीमारी होने का असली कारण समझाते थे और फिर उसका समाधान बताते थे !! लोग उनके हेल्थ के लेक्चर सुनने के लिए दीवाने हो गए थे इसके इलावा वो होमोपैथी चिकित्सा के भी बडे ज्ञाता थे होमोपैथी चिकित्सा मे तो उन्हे डिग्री भी हासिल थी !!
एक बार उनको खबर मिली कि उनके गुरु धर्मपाल जी को लकवा का अटैक आ गया है और उनके कुछ शिष्य उनको अस्पताल ले गए थे ! राजीव भाई ने जाकर देखा तो उनकी आवाज पूरी जा चुकी थी हाथ पाँव चलने पूरे बंद हो गए थे ! अस्पताल मे उनको बांध कर रखा हुआ था ! राजीव भाई धर्मपाल जी को घर ले आए और उनको एक होमियोपैथी दवा दी मात्र 3 दिन उनकी आवाज वापिस आ गई और एक सप्ताह मे वो वैसे चलने फिरने लगे कि कोई देखने वाला मानने को तैयार नहीं था कि इनको कभी लकवा का अटैक आया था !! कर्नाटक राज्य में एक बार बहुत भयंकर चिकन-गुनिया फैल गया हजारो की संख्या मे लोग मरे ! राजीव भाई अपनी टीम के साथ वहाँ पहुँच कर हजारो हजारो लोगो को इलाज करके मृत्यु से बचाया ! ये देख कर कर्नाटक सरकार ने अपनी डॉक्टरों की टीम राजीव भाई के पास भेजी और कहा कि जाकर देखो कि वो किस ढंग से इलाज कर रहे हैं !
(अधिक जानकारी के लिए आप राजीव भाई के हेल्थ के लेक्चर सुन सकते हैं घंटो घंटो उन्होने स्वस्थ रहने और रोगो की चिकित्सा के व्याख्यान दिये है) ै।
[3] 2009 मे राजीव भाई बाबा रामदेव के संपर्क मे आए और बाबा रामदेव को देश की गंभीर समस्याओ और उनके समाधानो से परिचित करवाया और विदेशो मे जमा कालेधन आदि के विषय मे बताया और उनके साथ मिल कर आंदोलन को आगे बढाने का फैसला किया !! आजादी बचाओ के कुछ कार्यकर्ता राजीव भाई के इस निर्णय से सहमत नहीं थे !! फिर भी राजीव भाई ने 5 जनवरी 2009 को भारत स्वाभिमान आंदोलन की नीव रखी !! जिसका मुख्य उदेश्य लोगो को अपनी विचार धारा से जोडना, उनको देश की मुख्य समस्याओ का कारण और समाधान बताना !! योग और आयुर्वेद से लोगो को निरोगी बनाना और भारत स्वाभिमान आंदोलन के साथ जोड कर 2014 मे देश से अच्छे लोगो को आगे लाकर एक नई पार्टी का निर्माण करना था जिसका उदेश्य भारत मे चल रही अँग्रेजी व्यवस्थाओ को पूर्ण रूप से खत्म करना, विदेशो मे जमा काला धन वापिस लाना, गौ हत्या पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना, और एक वाक्य मे कहा जाए ये आंदोलन सम्पूर्ण आजादी को लाने के लिए शुरू किया गया था !!
राजीव भाई के व्याख्यान सुन कर मात्र ढाई महीने मे 6 लाख कार्यकर्ता पूरे देश मे प्रत्यक्ष रूप मे इस अंदोलन से जुड गए थे राजीव भाई पतंजलि मे भारत स्वाभिमान के कार्यकर्ताओ के बीच व्याख्यान दिया करते थे जो पतंजलि योगपीठ के आस्था चैनल पर के माध्यम से भारत के लोगो तक पहुंचा करते थे इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से भारत स्वाभिमान अंदोलन के साथ 3 से 4 करोड लोग जुड गए थे ! फिर राजीव भाई भारत स्वाभिमान आंदोलन के प्रतिनिधि बनकर पूरे भारत की यात्रा पर निकले गाँव-गाँव शहर-शहर जाया करते थे पहले की तरह व्याख्यान देकर लोगो को भारत स्वाभिमान से जुडने के लिए प्रेरित करते थे !
मृत्यु
संपादित करें30 नवम्बर 2010 को दीक्षित को अचानक दिल का दौरा पड़ने के बाद पहले भिलाई के सरकारी अस्पताल ले जाया गया उसके बाद अपोलो बी०एस०आर० अस्पताल में दाखिल कराया गया। उन्हें दिल्ली ले जाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन इसी दौरान स्थानीय डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डाक्टरों का कहना था कि उन्होंने ऍलोपैथिक इलाज से लगातार परहेज किया। चिकित्सकों का यह भी कहना था कि दीक्षित आयुर्वेदिक दवाओं के लिये अड़े हुए थे। अस्पताल में कुछ दवाएँ और इलाज से वे कुछ समय के लिये बेहतर भी हो गये थे मगर रात में एक बार फिर उनको गम्भीर दौरा पड़ा जो उनके लिये घातक सिद्ध हुआ।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Regular Activities | Arise, Awake!!". Vsmpantnagar.org. 2009-12-27. मूल से 23 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-08-06.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 23 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 मार्च 2015.