रामस्वामी वेंकटरमण

भारत के सातवें उपराष्ट्रपति और भारत के 8 वें राष्ट्रपति
(रामास्वामी वेंकटरामण से अनुप्रेषित)

रामस्वामी वेंकटरमण, (रामास्वामी वेंकटरमन, रामास्वामी वेंकटरामण या रामास्वामी वेंकटरमण)(४ दिसंबर १९१०-२७ जनवरी २००९) भारत के ८वें राष्ट्रपति थे। वे १९८७ से १९९२ तक इस पद पर रहे। राष्ट्रपति बनने के पहले वे ४ वर्षों तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे। मंगलवार को २७ जनवरी को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। वे ९८ वर्ष के थे। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत देश भर के अनेक राजनेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने २:३० बजे दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में अंतिम साँस ली। उन्हें मूत्राशय में संक्रमण (यूरोसेप्सिस) की शिकायत के बाद विगत १२ जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे साँस संबंधी बीमारी से भी पीड़ित थे। उनका कार्यकाल १९८७ से १९९२ तक रहा। राष्ट्रपति पद पर आसीन होने से पूर्व वेंकटरमन करीब चार साल तक देश के उपराष्ट्रपति भी रहे।[1]

रामस्वामी वेंकटरमण
रामस्वामी वेंकटरमण


कार्य काल
२५ जुलाई १९८७ – २५ जुलाई १९९२
उप राष्ट्रपति   शंकर दयाल शर्मा
पूर्ववर्ती जैल सिंह
उत्तरावर्ती शंकर दयाल शर्मा

जन्म ४ दिसंबर १९१०
तंजौर, तमिलनाडु, भारत
मृत्यु २७ जनवरी २००९
नई दिल्ली, भारत
राजनैतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
जीवनसंगी जानकी वेंकटरमण
धर्म हिन्दू
हस्ताक्षर

प्रारंभिक जीवन

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वेंकटरमन का जन्‍म ४ दिसंबर, १९१० को तमिलनाडु में तंजौर के निकट पट्टुकोट्टय में हुआ था। उनकी ज्‍यादातर शिक्षा-दीक्षा राजधानी चेन्नई (तत्‍कालीन मद्रास) में ही हुई।[2] उन्होंने अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर उपाधि मद्रास विश्वविद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मद्रास के ही लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय में सन १९३५ से वकालत शुरू की और १९५१ से उन्होंने उच्चतम न्यायालय में वकालत शुरू की। वकालत के दौरान ही उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और १९४२ के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। स्वतंत्रता के बाद वकालत में उनकी श्रेष्ठता को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के उत्कृष्ट वकीलों की टीम में स्थान दिया। १९४७ से १९५० तक वे मद्रास प्रान्त की बार फेडरेशन के सचिव पद पर रहे। कानून की जानकारी और छात्र राजनीति में सक्रिय होने के कारण वे जल्द ही राजनीति में आ गए। सन १९५० में उन्हें आजाद भारत की अस्थायी संसद के लिए चुना गया। उसके बाद १९५२ से १९५७ तक वे देश की पहली संसद के सदस्य रहे। वे सन १९५३ से १९५४ तक कांग्रेस पार्टी में सचिव पद पर भी रहे।

राजनीतिक जीवन

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१९५७ में संसद के लिए चुने जाने के बावजूद रामस्वामी वेंकटरमन ने लोक सभा सीट से इस्तीफा देकर मद्रास सरकार में एक मंत्री का पद भार ग्रहण किया। इस दौरान उन्होंने उद्योगों, समाज, यातायात, अर्थव्यस्था व जनता की भलाई के लिए कई विकासपूर्ण कार्य किए। १९६७ में उन्हें योजना आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया और उन्हें उद्योग, यातायात व रेलवे जैसे प्रमुख विभागों का उत्तरदायित्व सौंपा गया। १९७७ में दक्षिण मद्रास की सीट से उन्हें लोकसभा का सदस्य चुना गया। जिसमें उन्होंने विपक्षी नेता की भूमिका निभाई। १९८० में वे लोकसभा का सदस्य चुने जाने के बाद इंदिरा गांधी की सरकार में उन्हें वित्त मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया और उसके बाद उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया। उन्होंने पश्चिमी और पूर्वी यूरोप के साथ ही सोवियत यूनियन, अमेरिका, कनाडा, दक्षिण पश्चिमी एशिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूगोस्लाविया और मॉरिशस की आधिकारिक यात्राएँ कीं। वे अगस्त १९८४ में देश के उप राष्ट्रपति बने। इसके साथ ही वे राज्यसभा के अध्यक्ष भी रहे। इस दौरान वे इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार व जवाहरलाल नेहरू अवार्ड फॉर इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग के निर्णायक पीठ के अध्यक्ष रहे। उन्होंने २५ जुलाई १९८७ को देश के आठवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।[3]

अंतिम समय

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केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन के सम्मान में देशमें सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस अवधि में कोई भी सरकारी मनोरंजन कार्यक्रम नहीं होगा और सभी सरकारी इमारतों पर तिरंगा आधा झुका रहेगा।[4] इसके साथ ही गणतंत्र दिवस समारोह के बाद होने वाले बीटिंग रट्रीट तथा राष्ट्रीय कैडेट कोर की प्रधानमंत्री रैली समेत सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए।[5] बुधवार २९ जनवरी को नई दिल्ली में एकता स्थल पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनकी अन्त्येष्टि की गई। उनके दामाद केबी वेंकट ने उन्हें मुखाग्नि दी। सर्वधर्म प्रार्थना और २१ तोपों की सलामी के बीच वेंकटरमन का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। इससे पहले राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उनको श्रद्धांजलि दी।[6] शुक्रवार ३० जनवरी को पूर्व राष्ट्रपति की अस्थियाँ हरिद्वार में गंगा नदी में प्रवाहित की गई। उनके दामाद डॉ॰ के वेंकटरमन और प्रोफेसर आर रामचंद्रन तथा पुत्री लक्ष्मी वी वेंकटेश्वर दिल्ली से उनकी अस्थियाँ लेकर यहाँ पहुँचे। विशिष्ट घाट पर उत्ताराखंड के शिक्षा मंत्री मदन कौशिक, हरिद्वार के जिलाधिकारी, शैलेश बागोली और एसएसपी संजय गुंज्याल भी उपस्थित थे। पूर्व राष्ट्रपति के परिवार के सदस्यों के साथ दिल्ली से आए पंडित सुंदर राघव शर्मा ने घाट पर पूजा-अर्चना की और बाद में नदी में अस्थियाँ प्रवाहित की गई। इससे पहले सेना की छठी आर्टिलरी ब्रिगेड के शीर्ष अधिकारियों ने पवित्र शहर के बाहरी ओर स्थित रायवाला क्षेत्र में वेंकटरमन के अस्थिकलश पर पुष्प माला अर्पित की।[7]

  1. http://newsinhindi.freshnews.in/?p=13839[मृत कड़ियाँ]
  2. http://aajtak.itgo.in/index.php?option=com_content&task=view&id=6622&Itemid=1&sectionid=13&secid=0
  3. "पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमण का निधन" (एचटीएमएल). भास्कर. मूल से 31 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३१ जनवरी २००९. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 29 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जनवरी 2009.
  5. http://www.rashtriyasahara.com/NewsDetailFrame.aspx?newsid=75858&catid=19&vcatname=%E0%A4%9F%E0%A5%89%E0%A4%AA_%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%80_[मृत कड़ियाँ]
  6. "संग्रहीत प्रति". मूल से 9 मार्च 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जनवरी 2009.
  7. http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_5196331/[मृत कड़ियाँ]