रुपे (अंग्रेज़ी: RuPay) भारत की स्वदेशी भुगतान प्रणाली नेटवर्क है। इसका उपयोग क्रेडिट, डेबिट और प्रीपैड कार्ड द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन लेनदेन करने में किया जाता है। भारत के अलावा यह कई अन्य देशों में भी उपलब्ध है। कई कंपनियों के साथ कार्ड के समझौते के कारण इसका इस्तेमाल कई अन्य नेटवर्क के साथ भी किया जा सकता है।

RuPay
RuPay
उत्पाद प्रकार
स्वामित्वभारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम
मूल देशभारत
पेशकशमार्च 2012; 12 वर्ष पूर्व (2012-03)
बाज़ार
टैगलाइनONE LIFE. ONE RuPay.
जालस्थलrupay.co.in


2009-12 के विज़न डॉक्युमेंट में भारतीय रिजर्व बैंक ने स्वदेशी भुगतान प्रणाली की आवश्यकता के बारे में लिखा। उस समय पूरे देश में अमेरिकी कंपनी वीजा और मास्टर कार्ड के ही कार्ड उपलब्ध थे। ये दोनों कंपनियों द्वारा पूरे भारत के बाजार पर कब्जा था, इसके अलावा यह अपनी सेवा प्रदान करने हेतु सदस्यता शुल्क लेने के साथ साथ ही हर लेनदेन में कुछ प्रतिशत का शुल्क भी ले लेते हैं। इस तरह से यह शुल्क का बोझ बैंकों को अपने ग्राहकों पर डालना पड़ जाता है। इसके अलावा एक बहुत बड़ी समस्या यह उत्पन्न हुई कि गरीब और गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों के लिए बैंक खाते कैसे खोलें? क्योंकि इनके खातों के खुलने पर कार्ड या तो वीजा अथवा मास्टरकार्ड का देना होता, और इस तरह से बैंक बिना शुल्क लिए ऐसी सुविधा प्रदान कर ही नहीं सकते थे। इसके साथ ही जब ग्राहक किसी दुकानदार या कंपनी से कुछ लेनदेन करता है तो भी 2% से 3% तक शुल्क लग जाता है। इस कारण छोटे दुकानदार अथवा कंपनियाँ इस तरह के कार्ड सेवा देना पसंद नहीं करते हैं।

इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने 2009 में भारतीय बैंक संघ से गैर-लाभकारी कंपनी शुरू करने और वीजा तथा मास्टर कार्ड की तरह घरेलू स्तर पर एक कार्ड डिजाइन करने को कहा था। इसकी योजना, कार्यविधि और लागू करने की प्रक्रिया पर साल भर कार्य करने के बाद इस कार्य का दायित्व एनपीसीआई (भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम) को दिया गया और इस कार्ड को शुरू में "इंडिया पे" कहा जाता था, पर बाद में इसका नाम "रुपे" रखा गया। इसमें "रु" को "रुपये" से और "पे" को "पेमेंट" से लिया गया है। इसके लोगो में रंगों को भारतीय ध्वज के रंगों से लिया गया। एनसीपीआई ने इसे वीजा और मास्टर कार्ड के विकल्प के रूप में बनाया।

8 मई 2014 को भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने भारत का अपना भुगतान कार्ड ‘रुपे’ राष्ट्र को समर्पित किया। एनपीसीआई ने रुपे सेवा को अप्रैल 2013 में ही शुरू कर दिया था जबकि कार्ड भुगतान नेटवर्क को पूरी तरह कार्य रूप देने में सामान्यत: पाँच से सात वर्ष लग जाते हैं। उक्त तिथि तक इस नेटवर्क में 70 लाख कार्ड जारी किए जा चुके थे। रुपे कार्ड परियोजना में 17 बैंकों ने सहयोग दिया है।[1]

बाजार में हिस्सा

संपादित करें

रुपे कार्ड देश के सभी (1.60 लाख से भी ज्‍यादा) एटीएम, 9.45 लाख से भी ज्‍यादा पीओएस टर्मिनल और अधिकतर ई-कॉमर्स टर्मिनलों में स्‍वीकार किए जाएंगे। इस कार्ड का एक स्‍वरूप ‘किसान कार्ड’ इस समय सभी सरकारी बैंकों द्वारा जारी किया जा रहा है। इसके साथ ही 43 बैंकों के डेबिट कार्ड में भी इसका उपयोग किया जा रहा है। सरकारी कंपनी आईआरसीटीसी शीघ्र ही प्रीपेड रु पे कार्ड जारी करने वाली है।

इस समय देश में 150 से भी ज्‍यादा सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक रु पे एटीएम कार्ड जारी कर रहे हैं। इस समय 17 मिलियन कार्ड जारी हो चुके हैं जबकि हर महीने करीब 3 मिलियन कार्ड जारी हो रहे हैं। यह कार्ड बैंकिंग क्षेत्र में भारत की क्षमता भी दर्शाता है। इससे अंतर्राष्‍ट्रीय कार्डो पर निर्भरता भी कम होगी

  1. "राष्ट्रपति ने भुगतान कार्ड 'रुपे' राष्ट्र को समर्पित किया". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 8 मई 2014. मूल से 9 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मई 2014.

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें