लाइकोपेन

रासायनिक यौगिक
लाइकोपेन
आईयूपीएसी नाम ψ,ψ-carotene
अन्य नाम (6E,​8E,​10E,​12E,​14E,​16E,​18E,​20E,​22E,​24E,​26E)-​2,​6,​10,​14,​19,​23,​27,​31-​octamethyldotriaconta-​2,​6,​8,​10,​12,​14,​16,​18,​20,​22,​24,​26,​30-​tridecaene
पहचान आइडेन्टिफायर्स
सी.ए.एस संख्या [502-65-8][CAS]
पबकैम 446925
EC संख्या 207-949-1
SMILES
गुण
रासायनिक सूत्र C40H56
मोलर द्रव्यमान 536.87 g mol−1
दिखावट Deep red solid
गलनांक

172–173 °C

जल में घुलनशीलता Insoluble
जहां दिया है वहां के अलावा,
ये आंकड़े पदार्थ की मानक स्थिति (२५ °से, १०० कि.पा के अनुसार हैं।
ज्ञानसन्दूक के संदर्भ


लाइकोपेन एक लाल चमकदार कैरोटीन और कैरोटीनॉयड रंगद्रव्य और फिटोकेमिकल है, जो टमाटर एवं अन्य लाल फलों और सब्जियों, जैसे लाल गाजर, तरबूज और पपीता (लेकिन स्ट्रॉबेरी या चेरी में नहीं) में पाया जाता है। हालांकि, रासायनिक दृष्टि से लाइकोपेन एक कैरोटीन है, पर इसमें कोई विटामिन ए गतिविधि नहीं होती है।

पौधों, शैवाल और अन्य प्रकाश संश्लेषक जैविक संरचनाओं में, लाइकोपेन पीले, नारंगी या लाल रंगद्रव्यों, प्रकाश संश्लेषण तथा प्रकाश संरक्षण के लिए जिम्मेदार बीटा कैरोटीन सहित अधिकांश कैरोटीनॉयड के जैविक संश्लेषण का एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ होता है। संरचनात्मक रूप से यह एक टेट्राटरपेन है, जो पूरी तरह कार्बन और हाइड्रोजन से बने आठ आइसोप्रेन इकाइयों का एक संगठित रूप है और यह पानी में अघुलनशील है। लाइकोपेन के ग्यारह संयुग्मित दुहरे जुडाव इसे इसका गहरा लाल रंग देते हैं और इसकी ऑक्सीकरण प्रतिरोधक गतिविधि के लिए जिम्मेदार है। अपने सशक्त रंग और गैर-विषाक्तता के कारण लाइकोपेन भोजन में प्रयुक्त होनेवाला एक उपयोगी रंग है।[1]

लाइकोपेन, मनुष्य के लिए आवश्यक पोषक तत्व नहीं है, लेकिन सामान्यतः यह आहार में, मुख्य रूप से टमाटर सॉस के साथ तैयार व्यंजनों में पाया जाता है। अमाशय में अवशोषित होने के बाद लाइकोपेन विभिन्न लिपो प्रोटीनों द्वारा रक्त में पहुंचाया है और यकृत, अधिवृक्क ग्रंथियों तथा वीर्यकोश में जमा हो जाता है।

प्रारंभिक अनुसंधान में टमाटर के उपभोग और कैंसर के खतरे में प्रतिकूल व्युत्क्रम दिखाए जाने की वजह से लाइकोपेन को कई प्रकार के कैंसर, विशेष रूप से प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम के लिए एक संभावित एजेंट माना गया है। हालांकि, अमेरिका के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा किसी स्वास्थ्य सम्बन्धी दावे के अनुमोदन के लिए इस क्षेत्र के अनुसंधान और प्रोस्टेट कैंसर के साथ इसके संबंध को अपर्याप्त सबूत समझा गया है (नीचे ऑक्सीकारक गुण और संभावित स्वास्थ्य लाभ के तहत देखें).

संरचना और भौतिक गुण संपादित करें

लाइकोपेन 8 आइसोप्रेन इकाइयों के एकत्रीकरण से सममित एक टेट्राटरपेन है। यह यौगिकों के कैरोटीनॉयड परिवार का एक सदस्य है और चूंकि यह पूरी तरह से कार्बन और हाइड्रोजन से बना होता हैं, इसलिए यह एक कैरोटीन भी है।[2] लाइकोपेन के विलगन प्रक्रिया की सूचना सबसे पहले 1910 में दी गयी थी और अणुओं की संरचना को 1931 में निर्धारित किया गया था। अपने प्राकृतिक, ऑल-ट्रान्स रूप में इसके अणु लम्बे और सीधे तथा अपनी ग्यारह संयुग्मित दुहरे जुड़ाव की प्रणाली से विवश होते हैं। इस विस्तारित π इलेक्ट्रॉन प्रणाली में प्रत्येक डबल बांड या दुहरा जुड़ाव अणुओं को उत्तरोत्तर लम्बे तरंग दैर्ध्य पर दृश्य प्रकाश को अवशोषित करने देकर उच्चतर ऊर्जा स्थितियों में इलेक्ट्रॉनों के संक्रमण के लिए आवश्यक ऊर्जा को कम करता है। लाइकोपेन दृश्यमान प्रकाश की सर्वाधिक लम्बी तरंग दैर्ध्य के अतिरिक्त सबका अवशोषण कर लेता है, अतएव यह लाल दिखाई देता है।[3]

पौधों और प्रकाश संश्लेषक जीवाणु (बैक्टीरिया) स्वाभाविक रूप से ऑल-ट्रान्स लाइकोपेन का उत्पादन करते हैं, लेकिन शुद्ध रूप से अणु के कुल 72 ज्यामितीय विलगन (आइसोमर) संभव हो रहे हैं।[4] गर्मी या प्रकाश के संस्पर्श से लाइकोपेन इन सिस -आइसोमरों के किसी भी एक संख्या के विलगन की प्रक्रिया के तहत जा सकता है, जिसका आकार सीधा न होकर उसमें एक मोड़ हो सकता है। अपनी आणविक ऊर्जा की वजह से विभिन्न विलगक (आइसोमर) अलग-अलग स्थिरता दर्शाते हैं (उच्चतम स्थिरता 5-cis ≥ all-trans ≥ 9-cis ≥ 13-cis > 15-cis > 7-cis > 11-cis: न्यूनतम).[5] मानव रक्त धारा में, कुल लाइकोपेन सघनता का 60 % से अधिक विभिन्न सिस -आइसोमर का है, लेकिन अलग-अलग आइसोमरों के जैविक प्रभाव की जांच नहीं की गयी है।[6]

लाइकोपेन पानी में अघुलनशील है और केवल जैव द्रावकों (सॉल्वेंट्स) तथा तेल में ही घोला जा सकता है। अपनी नॉन-पोलारिटी (अचुम्बकीय) की वजह से लाइकोपेन भोजन बनाते समय अधिकांश प्लास्टिकों सहित किसी भी पर्याप्त चुम्बकीय सामग्री पर दाग छोड़ सकता है। एक टमाटर का दाग किसी भी कपडे से बहुत ही आसानी से छुड़ाया जा सकता है (बशर्ते की दाग ताज़ा हो). जबकि लाइकोपेन प्लास्टिक में फ़ैल जाता है तथा दाग को गरम पानी और डिटर्जेंट से हटाना असंभव बना देता है। यदि लाइकोपीन को ऑक्सीकरण कर दिया जाये (उदहारण के लिए ब्लीचों या एसिड से प्रतिक्रिया द्वारा) तो कार्बन अणुओं के बीच के दुहरे जुड़ाव (डबल बोंड) विभाजित हो जायेंगे; संयुग्मित दुहरी जुड़ाव (डबल बांड) प्रणाली टूटकर इसके रंग (क्रोमोफोर) को गायब कर देगी.

प्रकाश संश्लेषण में भूमिका संपादित करें

 
लाइकोपेन अनेक कैरोटीनॉयड के जैवसंश्लेषण में एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ है।

लाइकोपेन जैसे व्यंजनों पौधों में पाए जानेवाले प्रकाश संश्लेषक रंगद्रव्य प्रोटीन परिसरों, प्रकाश संश्लेषक जीवाणुओं, फफूंदी और शैवाल में पाए जानेवाले महत्वपूर्ण रंगद्रव्य है। वे फलों और सब्जियों के चमकीले रंग के लिए जिम्मेदार हैं, प्रकाश संश्लेषण में विभिन्न कार्यों का निर्वाह करते हैं और अत्यधिक प्रकाश से होनेवाले नुकसान से प्रकाश संश्लेषक संरचनाओं की रक्षा करते हैं। लाइकोपेन बीटा-कैरोटीन और जेन्थोफिल्स जैसे अनेक महत्वपूर्ण कैरोटीनॉयड के जैविकसंश्लेषण का मुख्य माध्यम है।

जैवसंश्लेषण संपादित करें

यूकर्योटिक पौधों और प्रोकेरिओटिक सायनोबैक्टीरिया में लाइकोपेन का जैविकसंश्लेषण, सम्मिलित एंजाइमों की तरह समनुरूप है।[7] संश्लेषण मेवालोनिक एसिड के साथ आरंभ होता है, जो डिमिथाइलालिल पायरोफॉस्फेट में बदल जाता है। इसके बाद यह बीस कार्बन जेरानाइलजेरानाइल पायरोफॉस्फेट देने के लिए आइसोपेन्टेनाइल पायरोफॉस्फेट (डिमिथाइलालिल पायरोफॉस्फेट का एक आइसोमर) के तीन अणुओं सहित सघन हो जाता है। इसके बाद इस उत्पाद के दो अणु चालीस कार्बन फाइटॉन देने के लिए टेल-टू-टेल (एक छोर से दूसरे छोर तक) विन्यास में संघनित हो जाते हैं, जो कैरोटीनॉयड जैव संश्लेषण की ओर पहला कदम है। डिसैच्यूरेशन (सूखने) के कई चरणों के माध्यम से फाइटॉन लाइकोपेन में बदल जाता है। बीटा कैरोटीन के उत्पादन के लिए टर्मिनल (सीमावर्ती) आइसोप्रेन के दो समूहों को साइकलाइज्ड (चक्रीय) किया जा सकता है, जिसके बाद इसे जेन्थोफिल्स की विस्तृत विविधता में तब्दील किया जा सकता है।[8]

आहारीय स्रोत संपादित करें

लाइकोपेन का आहारीय स्रोत[9]
स्रोत μg/g नम वजन
गाक/गैक 2,000-2,300
कच्चा टमाटर 8.8-42
टमाटर का जूस 86-100
टमाटर की चटनी 63-131
टमाटर का केचप 124
तरबूज़ 23-72
गुलाबी अंगूर 3.6-34
गुलाबी अमरूद 54
पपीता 20-53
गुलाब के फल का गाढ़ा गूदा 7.8
खूबानी 0.1

जिन फल और सब्जियों में लाइकोपेन अधिक होता हैं उनमें गाक, टमाटर, तरबूज,गुलाबी अंगूर, गुलाबी अमरूद, पपीता, लाल गोल मिर्च, सीबकथ्रोन, वुल्फबेरी (गोजी, टमाटर जैसा एक बेर) और गुलाब का फल शामिल हैं हालांकि गाक (मॉमोर्डिका कोचिनेन्सिस स्प्रेंग) में लाइकोपेन की मात्रा किसी भी ज्ञात फल या सब्जी से अधिक है, उदहारण के लिए,[10] टमाटर से 70 गुणा अधिक है। पर गाक के इसके मूल क्षेत्र दक्षिण पूर्वी एशियाके बाहर दुर्लभ होने कि वजह से अधिकांश लोग लाइकोपीन के लिए आहार के मुख्य स्रोत के तौर पर अर्थात् 85% से अधिक टमाटर और टमाटर आधारित सॉस, जूस और केचप का सेवन करते हैं।[11] टमाटर में लाइकोपेन की मात्रा इसकी प्रजातियों पर निर्भर करती है और फल के पकने के साथ-साथ बढ़ जाती है।[12]

अन्य फलों और सब्जियों के विपरीत, जिनमें मौजूद विटामिन सीजैसी पोषण सामग्री खाना पकाने के दौरान घट जाती है, टमाटर को बनाने पर उसमें बायोअवेलेबल (मौजूद) लाइकोपेन की सघनता और बढ़ जाती है। ताजा टमाटर की तुलना में टमाटर के पेस्ट में लाइकोपेन चार गुना अधिक बायोअवेलेबल (मौजूद) है। इसलिए कच्चे टमाटर की तुलना में टमाटर सॉस एक पसंदीदा स्रोत है।

जहां अधिकांश हरी पत्तेदार सब्जियों और लाइकोपेन के अन्य स्रोतों में तेल और वसा कम होती है, वहीँ लाइकोपेन पानी में अघुलनशील है और सब्जी के रेशे से कसकर जुड़ा रहता है। टमाटर आधारित स्रोतों में टमाटर का संरक्षित रस, सूप, सॉस और केचप जैसे टमाटर के संसाधित उत्पाद सर्वोच्च बायोअवेलेबल (मौजूद) लाइकोपेन सांद्रता युक्त होते हैं।

पकाने और टमाटर को कुचलने की प्रक्रिया (डिब्बाबंदी के रूप में) तथा अधिक तेल वाले (स्पेगेटी सॉस या पिज्जा जैसे) व्यंजन में इनका सेवन पाचन तंत्र से खून में जाकर इसके समावेश को बढ़ाते हैं। लाइकोपेन वसा में घुलनशील है इसलिए इसे तेल के अवशोषण में सहायक माना जाता है। लाइकोपेन की उच्च सांद्रता और संतृप्त और असंतृप्त वसीय अम्ल युक्त[13]गाक एक उल्लेखनीय अपवाद है।

लाइकोपेन टमाटर जैसी सब्जियों और फलों से प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन कवक ब्लैकस्लीया ट्रिस्पोरा लाइकोपेन का एक अन्य स्रोत है। लाइकोपेन के शुद्धीकरण और निष्कर्षण के प्रयोजन से गाक एक आशाजनक वाणिज्यिक स्रोत है।

कुछ किस्मों के टमाटर में सिस-लाइकोपेन अधिक बायोअवेलेबल है।[14]

फार्मेकोकाइनेटिक्स (शरीर में औषधियों की क्रिया एवं उनके चयापचय का अध्ययन) संपादित करें

लाइकोपीन का वितरण[15]
ऊतक nmol/g गीला वजन
यकृत 1.28-5.72
गुर्दे 0.15-0.62
अधिवृक्क 1.9-21.6
वीर्यकोश 4.34-21.4
अंडाशय 0.25-0.28
चरबी/वसा 0.2-1.3
फेफड़ा 0.22-0.57
बृहदान्त्र/बड़ी आंत 0.31
स्तन 0.78
त्वचा 0.42

अंतर्ग्रहण के बाद, लाइकोपेन छोटी आंत में वसा मिसेल्स में शामिल हो जाती है। ये मिसेल्स आहार वसा और पित्त अम्लों से बनते हैं और हाइड्रोफ़ोबिक लाइकोपीन के घुलने में सहायक होते हैं तथा एक निष्क्रिय परिवहन व्यवस्था द्वारा इसे आंत की श्लेश्मक झिल्ली की कोशिकाओं में फैलने की अनुमति देते हैं। लाइकोपेन की यकृत चयापचय क्रिया के बारे में बहुत कम जानकारी है लेकिन अन्य कैरोटीनॉयड की तरह लाइकोपेन भी काइलोमाइक्रोंस में निगमित होता है और लिम्फेटिक सिस्टम में विमुक्त किया जाता है। अंततः लाइकोपेन रक्त प्लाज्मा में बहुत कम और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन अंशों में वितरित होता है।[16] लाइकोपीन मुख्य रूप से अधिवृक्क ग्रंथियों, यकृत और वीर्यकोष जैसे अंगों तथा वसा ऊतकों में वितरित होता है।

प्रतिकूल प्रभाव संपादित करें

लाइकोपेन विषाक्त नहीं है और सामान्यतः आहार में पाया जाता है, लेकिन अत्यधिक कैरोटीनॉयड के सेवन के मामलों की भी सूचना मिली है। एक प्रौढ़ महिला, जो लम्बे समय तक टमाटर के रस का अत्यधिक सेवन करती रही, उसकी त्वचा और यकृत नारंगी पीले रंग के हो गए थे तथा उसके खून में लाइकोपेन का स्तर भी काफी ऊंचा पाया गया। तीन सप्ताह तक लाइकोपेन मुक्त आहार लेने के बाद उसकी त्वचा का सामान्य रंग वापस आ गया।[16] त्वचा की यह विवर्णता लाइकोपेनोडर्मिया के रूप में जानी जाती है और यह विषैला नहीं होता। [17]

ऑक्सीकारकविरोधी गुण और संभावित स्वास्थ्य लाभ संपादित करें

लाइकोपेन सिंग्लेट ऑक्सीजन[18] को नष्ट करनेवाला सबसे शक्तिशाली कैरोटीनॉयड, जो सिंग्लेट ऑक्सीजन विनाशक परीक्षण की परखनलियों के अध्ययन में विटामिन ई की अपेक्षा 100 गुणा अधिक कुशल पाया गया, जो ग्लूटेथीन (पानी में घुलनशील) की तुलना में 125 गुणा कुशल है।[तथ्य वांछित] पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क में आने से उत्पन्न सिंग्लेट-ऑक्सीजन त्वचा की उम्र के बढ़ने का प्राथमिक कारण है।[19]

इसकी ऑक्सीकारकविरोधी संपत्तियों को देखते हुए लाइकोपेन के सेवन और सामान्य स्वास्थ्य के बीच एक संभव सहसंबंध के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक और नैदानिक अनुसंधान समर्पित किया गया है। प्रारंभिक अनुसंधान ने हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, ऑस्टियोपोरोसिस और यहां तक कि पुरुष बांझपन में कुछ सुधार के संकेत दिए हैं।[20]

लाइकोपेन की कैंसर- निरोधक सामग्री का विश्लेषण करने के लिए कई अध्ययन किये गए हैं, हालांकि प्रारंभिक अनुसंधान अनिर्णायक रहा है। फेफड़े, पेट और प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर के लिए लाइकोपेन के लाभ के सशक्त प्रमाण मिले हैं। लाइकोपेन शरीर में विटामिन ए में संशोधित नहीं है अतएव इसे ऑक्सीकरण प्रतिरोध जैसे अन्य लाभों के लिए सुलभ किया जा सकता है। लाइकोपेन के लिए बीटा-आयोनॉन रिंग संरचना का अभाव इसकी ऑक्सीकारकविरोधी क्रिया को बढ़ाता है। लाइकोपेन सबसे कुशल ऑक्सीजन और मुक्त कण नाशक तथा प्लाज्मा और अन्य ऊतकों में प्रधान कैरोटीनॉयड भी है। लाइकोपेन फेफड़ों के ऊतकों में भी पाया जाता है और फेफड़ों के कैंसर में पाई जानेवाली NO2 क्षति से लिम्पोसाइट्स की रक्षा करने में मूल्यवान है। लाइकोपेन से पेट में पाइलरी संक्रमण से उत्पन्न ऑक्सीकरणात्मक भार के प्रभाव को कम करने में भी मदद मिल सकती है। टमाटर से व्युत्पन्न कैरोटीनॉयड लाइकोपेन फेज II विषनिरोधक एंजाइम जैसे शरीर और कोशिकाओं से हानिकारक कार्सिनोजेन्स को दूर करनेवाले कैंसर निरोधक विशेष एंजाइमों को सक्रिय कर कैंसर के खतरे को कम कर सकता है।[21] मानव कैंसर कोशिका प्रसार के अवरोधक के रूप में किये गए लाइकोपेन के एक अध्ययन में यह पाया गया कि कैंसर की कोशिकाओं के विपरीत मानव फाइबरोब्लास्ट्स लाइकोपेन के प्रति कम संवेदनशील थे और कोशिकायें समय के साथ धीरे-धीरे विकास निरोधक सिद्ध हुयीं. एंडोमेट्रियल कैंसर कोशिका प्रसार पर इसके निरोधात्मक प्रभाव के अलावा लाइकोपेन इंसुलिन के वृद्धि कारक फैक्टर-। जैसे उत्तेजक विकास को दबाने में भी सहायक पाया गया। इंसुलिन जैसे विकास कारक स्तन और एंडोमेट्रियल कैंसर कोशिका विकास के प्रमुख ऑटोक्राइन/पैराक्राइन नियामक हैं। इसलिए इस ऑटोक्राइन/पैराक्राइन प्रणाली में लाइकोपीन का हस्तक्षेप एंडोमेट्रियल कैंसर और अन्य ट्यूमरों के नियमन में लाइकोपेन की भूमिका पर शोध के नए रास्ते खोल सकता है।[22] तथापि, विभिन्न अध्ययनॉ में लाइकोपेन में मोतियाबिंद के विकास[23] एवं स्तन तथा एंडोमेट्रियल कैंसर कोशिकाओं,[24] प्रोस्ट्रेट कार्सिनोमा कोशिकाओं,[21] बृहदान्त्र कैंसर की कोशिकाओं[25] सहित कई अलग-अलग प्रकार की कैंसर कोशिकाओं पर निरोधात्मक प्रभाव भी पाया गया है।[23]

व्यापक समीक्षा के बाद नवंबर 2005 में सूचना दी गयी कि संयुक्त राज्य अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने लाइकोपेन और प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम के बीच कोई सम्बन्ध न दिखाई देने की वजह से रोग के खतरे को कम करने की सम्भावना पर शक प्रकट किया है, हालांकि यह सुझाया गया है कि पूरा टमाटर खाने से लाभ मिल सकता है, क्योंकि शायद अभी तक अज्ञात यौगिक (लाइकोपेन के अलावा) फायदेमंद एजेंट है।[26] एफडीए की समीक्षा में एक अत्यंत सीमित योग्यता का दावा करने की अनुमति दी गयी है, जिसे लाइकोपेन युक्त टमाटर और टमाटर उत्पादों के लिए एक गाइड के तौर पर प्रयोग किया जाता है ताकि उपभोक्ताओं को गुमराह न किया जा सके, जो इस प्रकार है:

बहुत सीमित और प्रारंभिक वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि एक सप्ताह में आधे से एक कप टमाटर एवं/या टमाटर सॉस खाना प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। एफडीए ने निष्कर्ष निकाला है कि इस दावे का समर्थन करने के बहुत कम वैज्ञानिक प्रमाण हैं।

रोगियों के एक उपसमूह [[में संबंधित कैरोटीनॉयड ऑक्सीकारकविरोधी, बीटा कैरोटीन, से प्रोस्टेट कैंसर के मामलों की संख्या में बढ़त दिखाई है,|में संबंधित कैरोटीनॉयड ऑक्सीकारकविरोधी, बीटा कैरोटीन, से प्रोस्टेट कैंसर के मामलों की संख्या में बढ़त दिखाई है,[27]]] हालांकि इस क्षेत्र के अनुसंधान विवादास्पद हैं और अभी जारी हैं।

इन्हें भी देखें संपादित करें

टिप्पणियां और सन्दर्भ संपादित करें

टिप्पणियां संपादित करें

  1. 21 CFR 73.585
  2. ग्रॉसमैन और अन्य (2004) पृष्ठ 129
  3. राव और अन्य (2007) पृष्ठ 210
  4. सिद्धांततः 1054 इन्सोमर्स संभव हैं, लेकिन स्टेरिक बाधाओं की वजह से केवल 72 संभव हो रहे हैं। IARC हैंडबुक, (1998) पृष्ठ 25
  5. चेस और अन्य आणविक संरचना के जर्नल: THEOCHEM, खंड 571, नंबर 1, 27 अगस्त 2001, पीपी. 27-37 (11) [1]
  6. लाइकोपेन: रोग और मानव स्वास्थ्य में इसकी भूमिका, राव 'और अन्य', AGRO फ़ूड इंडस्ट्री हाई-टेक, जुलाई / अगस्त 2003 [2] Archived 2012-02-16 at the वेबैक मशीन
  7. कनिंघम (2007) पृष्ठ 533
  8. आर्मस्ट्रांग (1996) पृष्ठ 229
  9. राव एंड राव (2007) पीपी. 209-210
  10. गाक फल की कैरोटीनॉयड सामग्री पर उसदा अध्ययन
  11. राव (2007) पृष्ठ
  12. खान और अन्य (2008) पृष्ठ 495
  13. http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/14733508?ordinalpos=1&itool=EntrezSystem2.PEntrez.Pubmed.Pubmed_ResultsPanel.Pubmed_DefaultReportPanel.Pubmed_RVDocSum
  14. "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2010.
  15. स्टाहल (1996) पृष्ठ 7
  16. स्टाहल (1996) पृष्ठ 6
  17. चिकित्सा खाद्य एवं पोषण बोर्ड संस्थान बीटा-कैरोटीन और अन्य कैरोटीनॉयड. आहार में विटामिन सी, विटामिन ई, सेलेनियम और कैरोटीनॉयड के सेवन के सन्दर्भ. वाशिंगटन, डीसी: वॉशिंगटन नैशनल ऐकडमी प्रेस; 2000:325-400.
  18. डि मेसिओ (1989) पीपी. 532-538
  19. बेर्नबर्ग (1999) पीपी. 15345-15349
  20. गियोवान्नुकी (1995) पीपी. 1767-76
  21. गियोवान्नुकी और अन्य (2002) पृष्ठ 391-398
  22. लेवी और अन्य (1995) पृष्ठ 257-266
  23. पोलॉक और अन्य (1997) पृष्ठ 31-36
  24. नहूम और अन्य (2001) पृष्ठ 3428-3436
  25. नारिसावा और अन्य (1996) पृष्ठ 137-142
  26. स्वास्थ्य संबंधी प्रमाणित दावे: संबंधित पत्र टमाटर और प्रॉस्टेट कैंसर (लाइकोपेन हेल्थ क्लेम कॉलिशन) (डॉकेट सं. 2004Q-0201) US FDA/CFSAN नवम्बर 2005 [3] Archived 2009-05-13 at the वेबैक मशीन
  27. American Association for Cancer Research (May 17, 2007). "No Magic Tomato? Study Breaks Link between Lycopene and Prostate Cancer Prevention". Science Daily.

सन्दर्भ संपादित करें

  • (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
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  • Britton, George; Synnove Liaaen-Jensen; Hanspeter Pfander; (1996). Carotenoids : Synthesis (Carotenoids). Boston: Birkhauser. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 3-7643-5297-3.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link) सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
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  • IARC Working Group on the Evaluation of Cancer Preventive Agents (1998). IARC Handbooks of Cancer Prevention: Volume 2: Carotenoids (IARC Handbooks of Cancer Prevention). Oxford University Press, USA. पपृ॰ 25. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 92-832-3002-7.
  • (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  • (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
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