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"काशी का पंचनद महात्म्य "-सुखमंगल सिंह

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"काशी का पंचनद महात्म्य " पुष्पसलिला गंगा में यूं तो सर्वत्र स्नान मात्र से ब्रह्म ह्त्या जैसे पापों से मनुष्य मुक्त हो जाता है परन्तु अविमुक्त क्षेत्र काशी में उत्तर वाहिनी गंगा में, कार्तिक और माघ मॉस में स्नान करने से मनुष्य महा पातकों और महापापों से मुक्त हो जाता है |

धर्मनद कुंड भी धर्म स्वरुप प्रकट होकर पाप का नाश करता है परन्तु हमारे भाव उत्तम परमार्थी होने चाहिए | 

शैव मतावलम्बी काशी में रहकर कठिन तपस्या करते थे जब की यहाँ उन दिनों बौद्ध अनुयायी काम थे ,ये हीं सम्प्रदाय के अनुयायी थे ऐसा ह्वेनसांग जो चीनी यात्री था और भारत आया था उसने जो देखा उसे ही कलमबद्ध किया है | यह चीनी यात्री सारनाथ का वृहद् वर्णन किया है | --- काशी में , धूतपाता पुण्यसलिला सरस्वती,किरणा, गंगा और यमुना पांचो नदियाँ एकत्र बनायी गई हैं | कहा जाता है इनसे पंचगंगा तीर्थ प्रकट हुआ है | शास्त्र वर्णन में, कि प्रयाग में माघ में स्नान से जो फल प्राप्त होता है वह काशी में पंचगंगा में एक दिन स्नान करने से वही फल प्राप्त हो जाता है | 'पंचनद ' को सतयुग में धर्मनद , त्रेता में 'धूतपाता ',द्वापर में 'विन्दुतीर्थ ' और कलयुग में यह पंचनद के नाम से प्रसिद्द हुआ है | काशी का एक नाम ब्रह्मवढ़ढन (ब्रह्मवर्धन ) भी है इसके, ज्ञानपुर होने का साक्षी है| द्वितीय ई पू मनुस्मृति में भारत का, पवित्रतम प्रदेश ब्रह्मावर्त कहा गया है | यह महादेव की नगरी है महादेव ही पूर्णज्ञान के प्रतिनिधि देव् हैं | जब की काशी आये सातवी सदी में ह्वेनसांग ने ३२ मीटर ऊँची महेश्वर देव् की मूर्ती का उल्लेख किया जिसका भागवत पुराण में भी उल्लेख किया गया प्रमाण रूप प्राप्त होता है | पंचनद के एक बूँद पंचामृत का एक सौ आठ कलशों से भी तुलना नहीं की जा सकती | पंचगंगा को पीने से जो शरीर की शुद्धि होती है वही शुद्धि पंचगंगा का जल श्रद्धा से पीने से मिलती है | अविमुक्त क्षेत्र के पंचनद पाठ का श्रवण - काम, मोक्ष, धर्म ,अर्थ प्रदान करने वाला और समस्त पातकों को दूर करने वाला है | परन्तु ध्यान रहे ,कि काशी में किया गया पाप बज्र के सामान हो जाता है | (ना.पु.) भक्त बाबा भूतनाथ मंडल ने काशी का कुछ इस प्रकार वर्णन किया है- काशी में विश्वनाथ विराजत,नन्दी ब्रह्मचारी | नित उठ लगावत ,महिमा अतिभारी || बाबा विश्वनाथ मंदिर में अनेकानेक शिवलिंग में प्रमुख शोव्लिंग राजराजेश्वर लिंग विराजमान है | मंदिर के मंडप में ८७५ सेर सोना लगकर और शिव मंदिर की शोभा बढ़ा देता है | सम्बत २०६२ में मंदिर को और सुन्दर बनाने का कार्य किया गया परन्तु वास्तुविदों ने कुछ परिवर्तन पर अपनी प्रतिक्रया की उनका कहना था परिवर्तन से अशुभ हो सकता है | सन २०१४ में मोदी नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से ही विश्वनाथ मंदिर सहित सम्पूर्ण काशी का शास्त्र ज्ञाताओं की राय से अभूत पूर्व परिवर्तन किया जाने लगा है | मंदिरों ,प्राचीन धरोहर सहित सड़क ,गली ,गंगा ,वरुणा ,अस्सी पर जोरों से कार्य प्रगति कर गतिवान हुआ है | काशी के पंचगंगा में एक वर्ष स्नान करके मंगलागौरी की विधिवत विधि पूर्वक पूजन जो स्त्री करती है वह अवश्य पुत्रवती होने का सौभाग्य प्राप्त करती है | - सुखमंगल सिंह ,अवध निवासीSukhmangal (वार्ता) 07:25, 2 दिसम्बर 2019 (UTC)उत्तर दें

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