विकिपीडिया वार्ता:निर्वाचित लेख
प्रमुख लेख हेतु प्रकृति अभिप्रेरित निर्माण के निर्वाचन हेतु
संपादित करेंप्रकृति अभिप्रेरित निर्माण को प्रमुख लेख हेतु नामित कर रहा हूँ। आपके विचारों का स्वागत है। --आलोक मिश्र ०६:५९, १० मई २०१० (UTC)
लाखन पासी लखनऊ निर्माता
संपादित करेंयदि सत्ताधारियो को उर्दू या अरबी में बसाए नामावलियो से दिक्कत है तो उन्हें निराशा हाथ लगेगी उन्हे यह जान लेना चाहिए लखनऊ शब्द में किसी भी प्रकार से उर्दू या अरबी शब्द नही है राजा लाखन पासी से "लखन"और पासियो के बस्तियों "मऊ" शब्द से संबोधित किया जाता रहा है इसलिए यहां शुरुवाती नाम लखनमऊ था ,जो हिंदी भाषा शब्दावलियों में भी फिट बैठती है , लखनमऊ लखनऊ यह समयावधि में बदला नाम है जो यहीं के भाषा भाषी का है तो नाम से दिक्कत क्यों..?
लखनऊ में हैबतमऊ हैबत पासी द्वारा बसाया गया , अहिमामऊ, मवईया जितने भी मऊ शब्द से गांव दिखेंगे वहां आज भी पासी बिरादरी की बसाहट है लखनऊ के जीतने पुराने कस्बे जेसे संडीला मलिहाबाद, कन्समंडी हैबत मऊ पुराने कस्बे है सब पासी शाशको द्वारा कभी ना कभी शासित रहे है और उन्ही के ज़माने से वह नाम है
यदि यह लक्ष्मण के नाम से होता तो "लक्ष्मण मऊ" होना चाहिए था बल्कि ऐसा भी नही है बात गले से उतरे जो जबकि लक्ष्मण का संबध सुल्तानपुर के एक जगह लक्ष्मण पुर है वहां से भी बताया जाता हैं , जो तर्क देते है की लुटेरों द्वारा बदले गए नाम बदलेंगे ठिक है हमारा भी समर्थन पर
लखनऊ किसी भी प्रकार से लुटेरे या उर्दू अरबी शब्द नहीं है ना ही यह नाम किसी लुटेरे ने रखा है यह महाराज लाखन पासी के नाम से हैं यह पहले लखनमऊ हुआ करता था मऊ का मतलब पासियो के नगर,इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या और प्रयागराज किया कोई दिक्कत नही पर लखनऊ का नही बदलना चाहिए क्योंकि इस नाम कुछ भी ऐसा नही जो बदला जाए
( पुराना लखनऊ एक झलक ब्रिटिश चित्रकार ने बनाया था , शायद समय 1803 के आसपास )
The Pasi Landlords Dileeppasi (वार्ता) 14:21, 3 जुलाई 2024 (UTC)
Histroyसीतापुर (छितियापुर) _महाराजा_छीता पासी
संपादित करें#महाराजा_छीता_पासी_जयंती
सीतापुर का पुराना नाम छितया पुर था जिसे राजा छीता पासी ने बसाया था क्या आप जानते है ?
Ain-i-Akbari के "अनुसार इसका पुराना नाम छितिया पुर था" और लोकमत के अनुसार राजा छीता पासी ने अपने नाम से छितिया पुर नाम का एक नगर बसाया था जिसके ध्वंसवशेष टीले के रुप मे आज भी देखा जा सकता है जिसे पहले छीता पासी का टीला नाम से जाना जाता था "अवध गजेटियर" के अनुसार कालांतर में इसका नाम अपभ्रंश होकर सीतापुर हो गया । यानि राजा छीता पासी के नगर का हमे साहित्यिक स्रोत ain- i-akabri मिलता है जों हमे 16 वी सदी की यहां की भागौलिक इतिहास का बोध कराता है वहीं सीतापुर गजेटियर 1905 के अनुसार 11-12 सदी में पासी यहां बड़े हि शाक्तिशाली बने रहे जिनका अकबर के समय भी यहां स्वतंत्रता देखी गई थीं जो बाद में निरंतर हुऐ विदेशी आक्रमण से पासी जाति अपने मुख्य भूमि से विस्थापित हुए उससे पहले जब यहां फिरोज़ शाह तुगलक का शासन आया था उसने बहराइच में मसूद गाजी की कब्र तक यात्रा की और रास्ते में यहां पासियो को जीतकर तुगलकाबाद नगर आबाद किया । उसके 30 सालों बाद पासियो को अपनी शक्ति का पुन : आभास हुआ और 1398 ईस्वी मे राजा लहरी पासी के नेतृत्व में तुगलको को हराकर तुगलकाबाद का नाम बदल कर अपने नाम से लहरपुर रख दिया था और पासी सत्ता कायम की और (1398-1416 AD ) 18 वर्षो तक राज किया । लगभग 18 वर्षो तक इस जिले को तुगलको के आतंक से निजात दिलाई
आज भी लहरपुर के मुस्लिम समुदायों मे लहरी पासी को बड़ा क्रूर और अत्याचारी शासक के रुप मे स्वीकार करते है
सीतापुर का सबसे शाक्तिशाली राजा लहरी पासी था जिसे कहीं कहीं " लोहारी पासी" लिखा गया है राजा छीता पासी और सीतापुर का इतिहास
Ain-i-Akbari के "अनुसार इसका पुराना नाम छितिया पुर था" और लोकमत के अनुसार राजा छीता पासी ने अपने नाम से छितिया पुर नाम का एक नगर बसाया था जिसके ध्वंसवशेष टीले के रुप मे आज भी देखा जा सकता है जिसे पहले छीता पासी का टीला नाम से जाना जाता था "अवध गजेटियर" के अनुसार कालांतर में इसका नाम अपभ्रंश होकर सीतापुर हो गया ।
राजा छीता पासी का समयकाल 12 वी सदी माना जाता है राजा छीता पासी कन्नौज के राजा जयचन्द और आल्हा -ऊदल एवं लखनऊ बिजनौर के महाराजा बिजली पासी उन्नाव के राजा सातन पासी समकालीन थे , ऐसा मत है कि गांजर के कर वसूलने के प्रश्न को लेकर कन्नौज के राजा जयचन्द से बात बिगड़ गई थी और जयचंद ने गंजार का कर वसूलने के लिए गंजार पर चढ़ाई की थीं लेकिन असफल रहा लगातार 12 साल तक वह पासी राजाओं से कर वसूल नही कर पाया और वह पराजित भी हुआ गंजार के समस्त पासी राजाओं को लामबद्ध कर महाराजा बिजली पासी ने जयचंद से युद्ध के लिए मोर्चाबंदी की थी जिसमे राजा छीता पासी भी शमिल थे , जिनका किला वर्तमान सीतापुर में भग्नावशेष रुप संरक्षित है जिसमे राजा छीता पासी की आदमकद मूर्ती स्थापित है
सीतापुर के बारे मे एक किदवंती और भी है की रामायण के पात्र राजा राम की पत्नी सीता के नाम से इस क्षेत्र का नाम सीता पड़ा ।
सीतापुर में पासियो द्वारा शासित केंद्र - मोहाली , मितौली , सिधौली , बिसवां , लहरपुर , खैराबाद , मिश्रिख, मुहमदाबाद आदि था जिनके बारे में कहा जाता है अवध गजेटियर के अनुसार इनमें से मितौली का राजकुमार रजपासी हंसा बड़ा ही शाक्तिशाली था जिसका मोहाली के अहिबंस राजपूत राजा के बेटी के प्रश्न को लेकर विवाद हो गया था उस समय राजा हंसा बड़ा ही शक्तिशाली था जिसके सामने राजपूत राजा असहाय थे अन्ततः राजपूत अपनी बेटी की शादी राजपासी राजा हंसा से करने के लिए तैयार हो गए , परंतु राजपुतो ने छलपूर्वक बारात विदाई के समय राजा हंसा सहित सारे हजारों पासी सैनिकों के खाने में नशीला पदार्थ मिलाकर परोसा गया जब राजा हंसा सहित उसकी सेना बेहोशी की हालत मे पहुंचे तब मौका पाकर तुरंत अहिबंस राजपूतों ने धोखे से हमला कर बेहोश सैनिकों पर हमला कर सबको मार डाला इसी छल मे राजपासी हंसा वीरगति हुऐ । अवध गजेटियर और सीतापुर गजेटियर उस समय हुऐ इस भयानक कृत्य की पुष्टि करता है । जो कभी सीतापुर की धरती पर घटित हुई थी राजपूतों और मुसलमानों से पूर्व यहां पासी जाति का शासन था ।
dileeppasi Dileeppasi (वार्ता) 14:41, 3 जुलाई 2024 (UTC)