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17:13, 12 जून 2011 का अवतरण

आयो हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का तीसरा सब से बड़ा उपग्रह है और यह पूरे सौर मंडल का चौथा सब से बड़ा चन्द्रमा है। आयो का व्यास (डायामीटर) 3,642 किमी है। बृहस्पति के चार प्रमुख उपग्रहों (गैनिमीड, कलिस्टो, आयो और यूरोपा) में यह बृहस्पति की सब से क़रीबी कक्षा में परिक्रमा करने वाला चन्द्रमा है। बृहस्पति के इतना समीप होने की वजह से उस ग्रह के भयंकर गुरुत्वाकर्षण से पैदा होने वाला ज्वारभाटा बल आयो को गूंथता रहता है जिस से इस उपग्रह पर बहुत से ज्वालामुखी हैं। सन् 2010 तक आयो पर 400 से भी अधिक सक्रीय ज्वालामुखी गिने जा चुके थे। पूरे सौर मंडल में और कोई वस्तु नहीं जहाँ आयो से ज़्यादा भौगोलिक उथल-पुथल हो रही हो।[1][2] सौर मंडल के बाहरी चंद्रमाओं की बनावट में ज़्यादातर बर्फ़ की बहुतायत होती है लेकिन आयो पर ऐसा नहीं है। आयो अधिकतर पत्थरीले पदार्थों का बना हुआ है।

गैलिलेओ यान द्वारा ली गयी आयो की तस्वीर - केन्द्रीय बिंदु से बाएँ की और का काला बिंदु प्रोमीथियस नाम का फटता हुआ ज्वालामुखी है

अन्य भाषाओँ में

आयो को अंग्रेज़ी में "Io" लिखा जाता है। आयो प्राचीन यूनानी धार्मिक कथाओं में ज़्यूस की प्रेमिका थी। ज़्यूस का यूनानी धर्म में वही स्थान है जो भारत में बृहस्पति का है। "ज्यूपिटर" ज़्यूस का रोमन नाम है।

इन्हें भी देखें

बहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. Rosaly MC Lopes (2006). "Io: The Volcanic Moon". प्रकाशित Lucy-Ann McFadden, Paul R. Weissman, Torrence V. Johnson (संपा॰). Encyclopedia of the Solar System. Academic Press. पपृ॰ 419–431. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-12-088589-3.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: editors list (link)
  2. Lopes, R. M. C. (2004). "Lava lakes on Io: Observations of Io's volcanic activity from Galileo NIMS during the 2001 fly-bys". Icarus. 169 (1): 140–174. डीओआइ:10.1016/j.icarus.2003.11.013. बिबकोड:2004Icar..169..140L. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)