"साइबेरिया": अवतरणों में अंतर

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19वी शताब्दी के अंत तक साइबेरिया एक पिछड़ा और बहुत ही कम जनसँख्या वाला क्षेत्र रहा। यहाँ रूस की शाही सरकार अपने राजनैतिक क़ैदी भेजा करती थी, क्योंकि यहाँ हज़ारों मील तक फैले बर्फ़ीले मैदान को कोई भगा हुआ क़ैदी भी पार नहीं कर सकता था। 1891-1916 के काल में ट्रांस-साइबेरियाई रेलमार्ग बना जिसने रूस के औद्योगिकी-पूर्ण पश्चिमी भाग से साइबेरिया का नाता जोड़ा। समय के साथ-साथ साइबेरिया की आबादी बढ़ती गयी। यहाँ का सबसे बड़ा आर्थिक व्यवसाय धरती से धातुओं, कोयला और अन्य पदार्थों का निकालना था।
 
सोवियत संघ के ज़माने में यहाँ कैदियों को रखने के लिए बड़े अड्डे बनाए गए, जिन्हें "गुलाग" कहा जाता था।<ref>"''[http://books.google.com/books?id=gG6cPY2RpzUC&pg=PA3 The unknown gulag: the lost world of Stalin's special settlements]''". Lynne Viola (2007). Oxford University Press US. p.3. ISBN 0195187695</ref> अनुमान किया गया है कि इन गुलागों में लगभग 1।41.4 करोड़ लोगों को भेजा गया। [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] के दौरान खाना कम पड़ने से 5 लाख से अधिक कैदियों ने इन गुलागों में अपना दम तोड़ दिया।<ref>Zemskov, ''Gulag'', Sociologičeskije issledovanija, 1991, No. 6, pp. 14-15.</ref> सोवियत नीति के अनुसार अगर सोवियत संघ के किसी भाग में कोई राष्ट्रिय समुदाय शक़ की नज़र से देखा जाने लगे तो कभी-कभी पूरे समुदायों को देश-निकला देकर साइबेरिया भेज दिया जाता था।<ref>''Victims of Stalinism: A Comment.'' Robert Conquest. Europe-Asia Studies, Vol. 49, No. 7 (Nov., 1997), pp. 1317-1319:"We are all inclined to accept the Zemskov totals (even if not as complete) with their 14 million intake to Gulag 'camps' alone, to which must be added 4-5 million going to Gulag 'colonies', to say nothing of the 3.5 million already in, or sent to, 'labour settlements'. However taken, these are surely 'high' figures."</ref>
 
==मौसम==