"कारलूक लोग": अवतरणों में अंतर

नया पृष्ठ: [[File:Asia 600ad.jpg|thumb|240px|६०० ईसवी के इस नक्शे में कारलूक क्षेत्र पश्चिमी [[गो...
 
पंक्ति 12:
 
कारलूकों के पश्चिम जाने से उन्होंने [[तुर्की भाषाओँ]] को [[मध्य एशिया]] के अधिक विस्तृत हिस्सों में फैलाया। ७५१ ईसवी में [[मुस्लिम]] अरब सेना मध्य एशिया में चीन के [[तंग राजवंश]] के साथ टकराई। पहले तो कारलूकों ने चीनियों का साथ दिया लेकिन फिर दल बदलकर अरबों के साथ हो गए जिस से चीनियों की हार हुई और मध्य एशिया का एक बड़ा भू-भाग चीनी प्रभाव से बहार हो गया। ७६६ में पूर्वी [[काज़ाख़स्तान]] में कारलूक राज्य की स्थापना हुई जिसकी पूर्व में [[उईग़ुर ख़ागानत]] से सीमा थी। जब ८४० के बाद उईग़ुर ख़ागानत ख़त्म होने लगी तो कारलूक राज्य पूर्व की और बढ़ा और कारलूकों ने बहुत से उईग़ुरों को साथ मिलकर अपनी नयी काराख़ानी ख़ानत (<small>Kara-Khanid Khanate</small>) स्थापित की। ९४३ में इसके शासक, सातुक बूग़रा ख़ान (<small>[[उईग़ुर भाषा]]: {{Nastaliq|ur|سۇتۇق بۇغراخان}}</small>), ने [[इस्लाम]] अपना लिया और उसके बाद यह इस [[ख़ानत]] का राजधर्म हो गया। १२वीं सदी के शुरू में सल्जूक तुर्कों ने काराख़ानीयों से [[आमू-पार क्षेत्र]] छीन लिए। ११३० में [[कारा-ख़ितान ख़ानत]] ने सेल्जूकों और काराख़ानीयों की मिली-जुली फ़ौज को हरा दिया। काराख़ानी फिर-भी किसी तरह अपनी पहचान बनाए रहे लेकिन १२११ में ख़्वारिज़मी राजवंश ने उन्हें हमेशा के लिए हरा दिया और काराख़ानी फिर कभी एक शक्ति के रूप में नहीं उभरे।<ref name="ref85qizag"/>
 
==इन्हें भी देखें==
*[[गोएकतुर्क]]
*[[उईग़ुर]]
*[[उईग़ुर ख़ागानत]]
 
==सन्दर्भ==
<small>{{reflist|2}}</small>
 
[[श्रेणी:तुर्की जातियाँ]]