"न्यूट्रिनो": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
सही वर्तनी का प्रयोग |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1:
'''न्यूट्रिनो''' (Neutrino) यह एक नया [[कण]] (Particle) है जिसका सर्वप्रथम
== गुण ==
न्यूट्रिनो के
(क) आवेशरहित
(ख) न्यूनतम भार - लागर एवं मौफात ने सन् १९५२ में भार का अनुमान लगाया और बतलाया कि
(ग) भ्रमि (स्पिन Spin) १/२ (1/p) है।
पंक्ति 12:
(घ) [[फर्मी-डिराक सांख्यिकी]] (स्टाटिस्टिक्स statistics) का अनुसरण करता है।
(ङ) द्विध्रुवाघूर्ण (डाइपोल मोमेंट dipole moments) यदि है, तो
उन अभिक्रियाओं की, जिनसे बीटा किरणें मिलती है, जाँच करते समय यह देखा गया कि निकले हुए कणों का ऊर्जा वर्णक्रम (Spectrum) ऐल्फ़ा किरण के ऊर्जा वर्णक्रम से भिन्न है। ऐल्फ़ा किरणें पृथक् रेखा वर्णक्रम के अनुसार मिलती हैं, पर बीटा किरणें उनसे पूर्णत: भिन्न प्रकार के संतत वर्णक्रम का अनुकरण करती हैं। रेडियम-ई (Radium E) के लिये प्राप्त बीटा किरण का ऊर्जा वर्णक्रम चित्र में दिखाया गया है। बीटा किरणों की ऊर्जा का शून्य से लेकर अधिकतम मान ई अ के बीच कोई भी मान हो सकता है। ऐसा ही संतत वर्णक्रम उन अभिक्रियाओं में भी मिलता है जिनसे पॉज़िट्रान प्राप्त होते हैं।
बीटा किरणों द्वारा दिए संतत वर्णक्रम का सैद्धांतिक आधार स्थिर करना बहुत समय तक कठिन समस्या बना रहा। मान लिया जाय कि किसी नाभिक क से, जो एक विशेष ऊर्जा के तल पर है, एक बीटा किरण निकलती है और इस अभिक्रया द्वारा एक दूसरा नाभिक ख बनता है, जो पुन: एक विशेष ऊर्जा के तल पर है। पुज एवं ऊर्जास्थिरता के सिद्धांत: के अनुसार, निकले हुए बीटा कण की ऊर्जा नाभिक क एवं ख के ऊर्जातलों क अंतर के बराबर होनी चाहिए। यह ऊर्जा सिद्धांत सर्वदा E=mc
इस समस्या को फर्मी ने बीटा किरण के बाद वाली अपनी
जब एक नाभिक से बीटा किरण प्राप्त होती है, तब नाभिक के आवेश का इकाई द्वारा परिवर्तन होती है, तब नाभिक के आवेश का इकाई द्वारा परिवर्तन होता है, भार अपरिवर्तित रहता है। यदि एक इलेक्ट्रान प्राप्त हो, तो नाभिक के प्रोटान की संख्या में इकाई की वृद्धि होती है तथा क्लीबाणु इकाई द्वारा संख्या इकाई द्वारा कम हो जाती है। उसी भाँति यदि बीटा किरण अभिक्रिया में एक पॉजिट्रॉन प्राप्त हो तो प्रोटान संख्या इकाई द्वारा कम तथा क्लीबान संख्या में इकाई की वृद्धि होती है। इन बीटा रूपांतरों को निम्नलिखित ढंग से स्पष्ट किया जा सकता है:
'''बीटा
'''बीटा + उत्सर्जन''' : प्रोटान न्यूट्रान + पॉज़िट्रान +
इन अभिक्रियाओं में न्यूट्रान को प्रोटान, इलेक्ट्रान एवं
(क) एवं (ख) समीकरणों द्वारा
मेसॉन के अपक्षय की समस्याओं को हल करने के लिये भी
म्यू-मेसॉन - बीटा कण + दो
उसी प्रकार ऐल्फ़ा-मेसॉन अपक्षय निम्नलिखित समीकरण द्वारा दिखलाया जा सकता है।
ऐल्फा मेसान म्यू मेसॉन +
(ग) एवं (घ) समीकरणों के विरूद्ध कोई संपरिक्षीय साक्ष्य नहीं है
इस भाँति
== बाहरी कड़ियाँ ==
|