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[[चित्र:Aquarius_constellation_map.png|300px|right|thumb|शतभिषा]]
'''शतभिषा''', नक्षत्रों में 24वाँ [[नक्षत्र]] है। इस नक्षत्र का स्वामी [[राहु]] है, इसकी दशा में 18 वर्ष है व [[कुंभ राशि]] के अंतर्गत आता है। जहाँ नक्षत्र स्वामी राहु है वहीं राशि स्वामी शनि है। राहु का प्रभाव लगभग शनि वृत ही पड़ता है। कुछ ज्योतिषियों ने इसकी दृष्टि मानी है, लेकिन जब आकाश मंडल में इसका अस्तित्व ही नहीं है तो दृष्टि कैसी? यदि राहु मेष लग्न में उच्च का हो तो इसके परिणाम भी शुभ मिलते हैं।
 
मेष का राहु हो तो ऐसे जातक प्रबल रूप से शत्रुहंता होता है। गुप्त विद्या में सफलता मिलती है। संतान के मामलों में बाधा भी आती है। राहु मेष लग्न में षष्ठभाव में हो तो शत्रुहंता होगा।
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वृषभ लग्न में राहु हो तो ऐसे जातक पर स्त्री गामी भी होते हैं। द्वितीय भाव में होता वाणी में चतुरता होती है। सिंह, कन्या, मकर, कुंभ में हो तो उत्तम परिणाम देता है। अष्टम में हो तो गुप्त विद्या का जानकार बना देता है। वही ऐसे जातक भी सेक्सी होते हैं। यदि शनि का उच्च का स्वराशि का या मित्र राशि का हो तो ऐसे जातक निश्चित अपनी विद्या के बल पर उच्च सफलता पाते हैं।
 
 
मिथुन लग्न में नक्षत्र स्वामी राहु लग्न में ऐसे हो तो राजनीति में उत्तम सफलता पाते हैं। वकालत में भी सफल होते हैं। चतुर्थ भाव में हो तो स्थानीय राजनीति में उत्तम सफलता मिलती है। तृतीय भाव में हो तो शत्रुहंता होगा। शनि की स्थिति में शनि में लग्न, चतुर्थ, नवम, पंचम में हो तो उत्तम सफलता पाने वाला होगा।
 
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कुंभ लग्न में राहु चतुर्थ, पंचम, लग्न, नवम, षष्ठ में शुभफलदायी रहेगा। कुंभ लग्न में राहु चतुर्थ, पंचम, सप्तम में शुभफलदायी रहेगा। शनि लग्न, चतुर्थ, पंचम, नवम में ठीक फल देगा।
 
== देखिये ==
* [[नक्षत्र|नक्षत्र सूची]]
 
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