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== माटी के मोती ==
 
माटी के मोती
 
मेरे जन्म से पहले मौत है तू,
जाने किसने लेख लिखा होगा।
मेरा दह ही मेरे चरण पड़े,
जाने कब संजोग मीला होगा।।
 
क्या पता आकाश में उड़ती थी,
या बीच समुंदर में मीन कहीं।
रहती थी धरा आलिंगन में,
धेनु सी धरकर धीर कहीं।।
 
क्या पता मानस की बेटी थी,
जाने किसकी सुता कहाती थी।
मेरे कड़वे वचन थे वाणी के,
या मीठे स्वर में गाती थी।।
 
मैं खून थी राजा शाहों का,
या धूरी थी दरबारों की।
क्या कहूं कभी भी सुलझी ना,
यह कड़ियां जन्म दीवारों की।।
 
मैं अपने घर का मान बनी,
या बनी कुल कलंक निशानी में।
मेरी माटी गंग की धार पड़ी,
या मिट गया नाम कहानी में।।
 
मेरी इच्छा नहीं अब जानू मैं,
जो बीता बीते जमाने में।
मैं तो चाहूं की जनसैलाब उठे,
जब निकलु अपने जनाजे में।।
 
मैं ऐसे कर्म प्रधान रखूं,
जो स्वर्ण रचेता नाम रहे।
इस जगत गुनहा कि आतीश मै,
उस शान्ति सिखर का मान रहे
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