"भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी": अवतरणों में अंतर
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=== स्वतंत्रता पूर्व ===
'''१८वीं शताब्दी''' : [[भरतपुर राज्य]] तथा पूर्वी राजस्थान के कई राजवाड़े हिन्दी ([[ब्रजभाषा]]) में कार्य कर रहे थे।<ref>[https://books.google.co.in/books?id=8bqEzPPp8xIC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false Empire and Information: Intelligence Gathering and Social Communication in India 1780-1870, पृष्ठ २९९] By Christopher Alan Bayly, C. A. Bayly</ref>
'''1826''' : हिन्दी के पहले समाचारपत्र [[उदन्त मार्तण्ड]] का [[कलकत्ता]] से प्रकाशन, पण्डित युगलकिशोर शुक्ल द्वारा
'''1929''' : [[राजा राममोहन राय]] द्वारा '[[बंगदूत]]' का प्रकाशन [[हिन्दी]] सहित [[बांग्ला]], [[फ़ारसी]] और [[अंग्रेज़ी]] में छपता था।
'''1833-86''' : [[गुजराती भाषा|गुजराती]] के महान कवि श्री [[नर्मद]] (1833-86) ने हिन्दी को [[राष्ट्रभाषा]] बनाने का विचार रखा।
'''1872''' : [[आर्य समाज]] के संस्थापक [[दयानन्द सरस्वती|महार्षि दयानंद सरस्वती जी]] [[कोलकाता|कलकत्ता]] में [[केशवचन्द्र सेन]] से मिले तो उन्होने स्वामी जी को यह सलाह दे डाली कि आप [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] छोड़कर हिन्दी बोलना आरम्भ कर दें तो [[भारत]] का असीम कल्याण हो। तभी से स्वामी जी के व्याख्यानों की भाषा हिन्दी हो गयी और शायद इसी कारण स्वामी जी ने [[सत्यार्थ प्रकाश]] की भाषा भी हिन्दी ही रखी। (देखें, [
'''1873''': महेन्द्र भट्टाचार्य द्वारा हिन्दी में '''पदार्थ विज्ञान''' (material science) की रचना
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