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*१-२६. पीठिका, विविध ज्यौतिषोपयोगी विषय, ग्राहचारो ग्रहभुक्तिर्ग्र्हयुध्दम् इत्यादि ।
:: (१- परिचय , २- ज्योतिष, ३-आदित्यचार, ४-चन्द्रचार, ५-राहुचार, ६-भौमचार, ७-बुधचार, ८-बृहस्पतिचार, ९-शुक्रचार, १०-शनैश्चरचार, ११-केतु, १२-अगस्त्य, १३-सप्तर्षि, १४-कूर्मविभाग, १५-नक्षत्रव्यूह, १६-ग्रहभक्तियोग, १७-ग्रहयुद्ध, १८-शशिग्रहसमागम, १९-ग्रहवर्षाफल, २०-ग्रहशृंगाटक, २१-गर्भलक्षण, २२-गर्भधारण, २३-प्रवर्षण, २४-रोहिणीयोग, २५-स्वातियोग, २६-आषाढ़ीयोग)
 
*२७-वातचक्र,
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*६०. प्रतिमाप्रतिष्ठापन (मूर्ति की स्थापना)
*६१-६७ गो-श्व –कुक्कुट- कूर्म –च्छागा –श्व –गजानां लक्षणानि ।
*६८-पुरुषलक्षण
*६८-७०. स्त्रीपुरुषाणां लक्षणानि ।
*६९-पञ्चपुरुष या पञ्चमहापुरुष (पांच महान पुरुषों के लक्षण)
*७१. वस्त्रभङ्गे शकुनम् ।
*७०-कन्यालक्षण (स्त्रियों से सम्बन्धित)
*७२-७३. छत्रचामरयोर्लक्षणम् ।
*७१. वस्त्रछेदलक्षण (वस्त्र के फटने से सम्बन्धित शकुन)
*७४. स्त्रीप्रशंसा ।
*७२-चामरलक्षण (चामर से सम्बन्धित)
*७५. सौभाग्यकरणम् (personality development) |
*७३-छत्रलक्षण (छाते से सम्बन्धित)
*७६. वीर्यवृद्धि के उपाय
*७४. स्त्रीप्रशंसा
*७७. सुगन्धद्रव्यनिर्माणम् ।
*७५. सौभाग्यकरणम् (personality development) |
*७८ संभोगसंबध्दाः केचन विचाराः ।
*७६. कान्दर्पिका (वीर्यवृद्धि के उपाय आदि)
*७९. शय्यासनानां लक्षणम् ।
*७७. गन्धयुक्ति (सुगन्ध द्रव्य का निर्माण)
*७८- पुंस्त्रीसमायोग (संभोग से सम्बन्धित कुछ विचार)
*७९. शय्याशन (शय्या (बिस्तर) से सम्बन्धित)
*८०-८३ मुक्ता पद्मरागमरकतानां लक्षणम् ।
*८४. दीपलक्षणम् ।