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[[चित्र:Vetal.jpg|thumb|right|विक्रम और बेताल]]
'''बैतालबेताल पचीसी''' (वेताल पचीसी या बेताल पच्चीसी ; [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] : ''बेतालपञ्चविंशतिकावेतालपञ्चविंशतिः'') पच्चीस कथाओं से युक्त एक कथा ग्रन्थ है। इसके रचयिता '''बेताल भट्टराव''' थे।थे जो न्याय के लिये प्रसिद्ध [[विक्रमादित्य|राजा विक्रम]] के नौ रत्नों में से एक थे। ये कथाएं राजा विक्रम की [[न्यायशास्त्र|न्याय-शक्ति]] का बोध कराती हैं। बेताल प्रतिदिन एक कहानी सुनाता है और अन्त में राजा से ऐसा प्रश्न कर देता है कि राजा को उसका उत्तर देना ही पड़ता है। उसने शर्त लगा रखी है कि अगर राजा बोलेगा तो वह उससे रूठकर फिर से पेड़ पर जा लटकेगा। लेकिन यह जानते हुए भी सवाल सामने आने पर राजा से चुप नहीं रहा जाता।
 
== परिचय ==
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* [https://web.archive.org/web/20180618022249/http://www.sacred-texts.com/goth/vav/index.htm '''Vikram and The Vampire'''] English translation by Sir Richard R. Burton
* [https://web.archive.org/web/20181111012842/http://gretil.sub.uni-goettingen.de/gretil/1_sanskr/5_poetry/4_narr/soksvppu.htm सोमदेव : कथासरित्सागर, वेतालपञ्चविंशतिका] (GRETIL)
* [https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.545996/page/n3/mode/2up वेतालपञ्चविंशतिः] (दामोदर झा साहित्याचार्य द्वारा हिन्दी व्याख्या सहित)
 
[[श्रेणी:साहित्य]]