विश्व का आर्थिक इतिहास
प्रागैतिहासिक काल
संपादित करेंइस काल में शिकार करना, औजार बनाना, वस्त्र तथा मकान निर्माण आदि मानव की मुख्य आर्थिक गतिविधियाँ हुआ करती थीं।
कांस्य/लौह युग
संपादित करेंमध्य काल
संपादित करेंआधुनिक विश्व का आर्थिक इतिहास
संपादित करेंद्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमरीका और सोवियत संघ में शीत युद्ध छिड़ गया। ये कोई युद्ध नहीं था पर इससे सारा विश्व दो केन्द्रों में बँट गया।
शीत युद्ध के दौरान अमरीका, इंग्लैंड, जर्मनी (पश्चिम), ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा, स्पेन एक तरफ थे। ये सभी लोकतांत्रिक देश थे और यहाँ पर खुली अर्थव्यवस्था की नीति को अपनाया गया था। लोगों को व्यापार करने की खुली छूट थी। शेयर बाज़ार मे पैसा लगाने की छूट थी। इन देशों में काफी सारी बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ बनीं। इन कम्पनियों में नयी-नयी रिसर्च होती थी। विश्वविद्यालय, सूचना प्रौद्योगिकी, इंजिनियरी उद्योग, बैंक आदि सभी क्षेत्रों मे जम कर तरक्की हुई। ये सभी देश एक दूसरे देशों के मध्य व्यापार को बढ़ावा देते थे। 1945 के बाद से इन सभी देशों ने खूब तरक्की की।
दूसरी तरफ रूस, चीन, म्यांमार, पूर्वी जर्मनी समेत कई और देश थे। ये वे देश थे जहाँ पर समाजवाद की आर्थिक नीति अपनायी गयी थी। यहाँ पर ज्यादातर उद्योगों पर कड़ा सरकारी नियंत्रण होता था। उद्योगो से होने वाले मुनाफे पर सरकारी हक होता था। आम तौर पर ये देश दूसरे लोकतांत्रिक देशों के साथ ज्यादा व्यापर नहीं करते थे। इस तरह की आर्थिक नीति के कारण यहाँ के उद्योगो मे ज्यादा प्रतिस्पर्धा नहीं होती थी। आम लोगो को भी मुनाफा कमाने पर कोई प्रोत्साहन नहीं होता था। इन कारणों से इन देशों में बहुत ज्यादा तरक्की नहीं हुई। 3-अक्टूबर-1990 मे पूर्व जर्मनी और पश्चिम जर्मनी का विलय हुआ। संयुक्त जर्मनी ने तरक्कीशुदा पश्चिमी जर्मनी की तरह खुली अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र को अपनाया। फिर 1991 मे सोवियत रूस का विखंडन हुआ। रूस समेत 15 देशों का जन्म हुआ। रूस ने भी समाजवाद को छोड़ के खुली अर्थ्व्यवस्था को अपनाया। चीन ने समाजवाद को पूरी तरह तो नही छोड़ा पर 1970 के अंत से उदार नीतियों को अपनाया और अगले 3 सालों मे बेशुमार तरक्की की। चेकोस्लोवाकिआ भी समाजवादी देश था। 1-जनवरी-1993 को इसका चेक रिपब्लिक और स्लोवाकिया मे विखंडन हुआ। इन देशों ने भी समाजवाद छोड़ कर लोकतंत्र और खुली अर्थव्यवस्था को अपनाया।
विश्व के आर्थिक इतिहास की प्रमुख घटनाएँ
संपादित करें- 1 ई॰ : विश्व अर्थव्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था का हिसा 52.9% था जो एक कीर्तिमान है।[1]
- 1000 ई॰ : विश्व अर्थव्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था का हिस्सा ३३% था, जो संसार में सबसे अधिक हिस्सा है।[2]
- 1407 ई॰: यूरोप का प्रथम आधुनिक बैंक 'Casa delle compere e dei banchi di San Giorgio', स्थापित
- 1492 ई॰: कोलम्बस ने अमेरिका की खोज की; इसके बाद यूरोप द्वारा अमेरिका का उपनिवेशीकरण आरम्भ
- 1497-1498: वास्को द गामा ने यूरोप से भारत पहुँचने के लिए 'केप ऑफ गुड होप' से होकर एक जलमार्ग की खोज की। इसके तुरन्त बाद भारतीय उपमहाद्वीप का उपनिवेशीकरण आरम्भ हो गया।
- 1545: बोलिविया में 'पोटोसी सिल्वर माउण्टेन' की खोज; धातु की आपूर्ति के लिए यह वैश्विक महत्व की घटना थी।
- 1602: एम्सटर्डम (Amsterdam) में पहला संगठित स्टॉक-एक्सचेंज शुरू
- 1656: स्टॉकहोम बैंक ने यूरोप में पहली बार कागज के नोट जारी किए।
- 1668: स्टॉकहोम बैंक दिवालिया हुआ ; स्वीडन की संसद ने विश्व का प्रथम 'केन्द्रीय बैंक' स्थापित किया। इसे आजकल 'बैंक ऑफ स्वीडन' के नाम से जाना जाता है।
- 1694: बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना
- 1704: रूस में दशमलव पद्धति पर आधारित मुद्राप्रणाली आरम्भ की गई।
- 1756-1763: सप्तवर्षीय युद्ध जिसके कारण फ्रांस के अधिकांश उपनिवेश हाथ से निकल गए।
- 1760-1830: ब्रिटेन की औद्योगिक क्रान्ति
- 1789-1815: फ्रांस में क्रान्ति तथा अत्यधिक मुद्रास्फीति ; नैपोलियन का उदय ; यूरोप तथा यूरोपीय उपनिवेशों में बारंबार युद्ध
- 1810: नैपोलीयन युद्धों के कारण अमेरिका के स्पेन के उपनिवेश उससे अलग होने शुरू हुए। स्वतंत्र राज्यों ने अपनी स्वयं की मुद्रा जारी की।
- 1836-1837: इंग्लैण्ड और यूनाइटेड स्टेट्स में वित्तीय संकट
- 1844: टेलीग्राफ का पहली बार प्रयोग
- 1847-1848: इंग्लैण्ड और यूनाइटेड स्टेट्स में वित्तीय संकट ; उसके बाद यूरोप के अन्य देशों में भी क्रान्ति तथा वित्तीय उथल-पुथल
- 1861: अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान यू॰एस॰ ने गोल्ड स्टैण्डर्ड का परित्याग कर दिया।
- 1873: जर्मनी रजत मानक से स्वर्ण मानक में परिवर्तित
- 1885: बर्लिन संगोष्ठी (Conference of Berlin) के सामान्य अधिनियम के आधार पर अफ्रीका बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, पुर्तगाल, स्पेन तथा युनाइटेड किंगडम के बीच बँट गया।
- 1886: दक्षिण अफ्रीका में स्वर्ण-भण्डार का पता चला।
- 1913: हेनरी फोर्ड ने मोटरकार निर्माण के लिए 'असेंबली लाइन' की संकल्पना शुरू की।
- 1914-1918: प्रथम विश्वयुद्ध ; अमेरिकी डॉलर का अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में उदय
- 1917: रूस की क्रान्ति ; एक नए प्रकार की अर्थव्यवस्था का उदय जो केन्द्र से आयोजित (centrally planned) थी।
- 1926: यूनाइटेड किंगडम की पुनः स्वर्ण मानक में वापसी ; शीघ्र ही अन्य देशों ने भी स्वर्ण मानक को अपना लिया।
- 1929: विश्वव्यापी महामन्दी ; अर्जेन्टीना, ऑस्ट्रेलिया, उरुग्वे ने स्वर्ण मानक का त्याग किया। १९३६ तक लगभग सभी स्वर्ण मानक देशों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वर्ण मानक का त्याग कर दिया।
- 1935: भारत के केन्द्रीय बैंक 'भारतीय रिजर्व बैंक' की स्थापना
- 1939-1945: द्वितीय विश्वयुद्ध ; युद्ध के परिणामस्वरूप पाउण्ड स्टर्लिंग, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कम महत्व की मुद्रा बन गई।
- 1946: यूनाइटेड स्टेट्स ने फिलीपींस को स्वतंत्र कर दिया। अगले तीस वर्षों में ब्रिटेन, फ्रांस, डेनमार्क, पुर्तगाल आदि के औपनिवेशिक साम्राज्य का अन्त हो गया।
- 1947: भारत स्वतंत्र ; अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने काम करना आरम्भ किया।
- 1960: फ्रांस ने अपने लगभग सभी अफ्रीकी उपनिवेशों को स्वतंत्र कर दिया।
- 2008-2009: यू॰एस॰ में पैदा हुए वित्तीय संकट से विश्व अर्थव्यवस्था दशकों बाद सिकुड़ी। इससे यू॰एस॰ के साथ-साथ यूरोप के देशों में भी वित्तीय संकट दिखा।
- 2010-2011: यूरो-क्षेत्र के परिधीय देशों में ऋण-संकट
- २०१६ : जनमत-संग्रह में २३ जून २०१६ को ब्रिटेन के लोगों ने यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने के पक्ष में मत दिया। (ब्रेक्जिट देखें)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ The World Economy: Historical Statistics, Angus Maddison
- ↑ Angus Maddison (2001). The World Economy: A Millennial Perspective Archived 2009-01-23 at the वेबैक मशीन, OECD, Paris
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
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