वो सात दिन

1983 की बापू की फ़िल्म

वो सात दिन 1983 की हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इसका निर्देशन बापू ने किया है। सुरिन्द्र कपूर और बोनी कपूर द्वारा निर्मित, इसमें अनिल कपूर, पद्मिनी कोल्हापुरे और नसीरुद्दीन शाह हैं। यह अनिल कपूर की किसी हिन्दी फिल्म में पहली मुख्य भूमिका थी। संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने दिया था जबकि आनन्द बक्शी ने गीत लिखे थे।

वो सात दिन

वो सात दिन का पोस्टर
निर्देशक बापू
लेखक जैनेन्द्र जैन (संवाद)
निर्माता सुरिन्द्र कपूर
अभिनेता अनिल कपूर,
पदमिनी कोल्हापुरे,
नसीरुद्दीन शाह
संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
प्रदर्शन तिथियाँ
23 जून, 1983
देश भारत
भाषा हिन्दी

संक्षेप संपादित करें

माया (पद्मिनी कोल्हापुरे) अपनी शादी के दिन आत्महत्या का प्रयास करती है। माया का पति, डॉ. आनंद (नसीरुद्दीन शाह) उसका इलाज करता है और उसे पता चलता है कि उसने आत्महत्या का प्रयास किया था। जब माया को होश आता है, तो वह डॉ. आनंद को अपना रहस्य बताती है। वह ये शादी नहीं करना चाहती थी और उसे ऐसा करने के लिये मजबूर किया गया था।

कहानी पीछे चली जाती है, जहां एक नया गायक प्रेम (अनिल कपूर) और उसका साथी छोटू, माया के घर आते हैं। माया के लिए यह पहली नजर का प्यार है क्योंकि उसे भोले, मासूम प्रेम से प्यार हो जाता है। हालाँकि, प्रेम, एक सच्चा संगीतकार बनने की इच्छा रखते हुए, माया को अस्वीकार करता रहता है। वह माया से प्यार करता है लेकिन उसका मानना है कि वह उसके लायक नहीं है। बाद में वे एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार का इज़हार करते हैं और भागने की योजना बनाते हैं। उनके भागने के दिन, प्रेमियों को माया के माता-पिता पकड़ लेते हैं। परिणामस्वरूप, प्रेम और उसके साथी को घर से बाहर निकाल दिया जाता है और माया को डॉ. आनंद से शादी करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

कथानक वर्तमान की ओर आती है, जहां डॉ. आनंद उसे विश्वास दिलाते हैं कि उन्होंने केवल अपनी बीमार मां, सावित्री (दीना पाठक) के कारण उससे शादी की थी। डॉ. आनंद अपनी मां की मृत्यु के बाद दोनों प्रेमियों को एक करने का वादा करता है। अपने प्रवास के दौरान, माया डॉ. आनंद की बेटी (सुचित्रा त्रिवेदी) से भावनात्मक रूप से जुड़ जाती है। इस बीच, डॉ. आनंद प्रेम को खोजते हैं। जब उनकी मां की मृत्यु हो जाती है, तो डॉ. आनंद प्रेम और माया को फिर से मिलाते हैं। हालाँकि, उसकी कोशिशें बेकार चली जाती है क्योंकि माया डॉ. आनंद को छोड़ने से इंकार कर देती है। प्रेम डॉ. आनंद और माया को यह कहते हुए छोड़ देता है कि यह समाज की नज़र में ठीक नहीं है।

मुख्य कलाकार संपादित करें

संगीत संपादित करें

सभी गीत आनन्द बक्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."कंगना होये होये कंगना"शब्बीर कुमार, लता मंगेशकर6:33
2."अनाड़ी का खेलना"आशा भोंसले4:39
3."प्यार किया नहीं जाता"शब्बीर कुमार, लता मंगेशकर6:52
4."पायलिया झंकार मोरी"सुरेश वाडकर, कविता कृष्णमूर्ति2:00
5."मेरे दिल से दिल्लगी ना कर"किशोर कुमार, अनुराधा पौडवाल7:00

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें