आनंद बख्शी
आनंद बख्शी (21 जुलाई 1930 — 30 मार्च 2002) लोकप्रिय भारतीय कवि और फ़िल्मी गीतकार थे। ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के रावलपिंडी (अब पाकिस्तान में है) में इनका जन्म हुआ था। 1947 में बटवारे में परिवार लखनऊ आ बसा।[1]
करियर
संपादित करेंउन्होंने रॉयल इंडियन नेवी में बतौर कैडेट काम किया था। लेकिन वह गायक बनने बम्बई पहुँचें। सबसे पहले उन्हें 1958 में भगवान दादा की फिल्म भला आदमी में गीत लिखने का मौका मिला। हालांकि उन्हें पहचान 1962 की मेहेंदी लगी मेरे हाथ से मिली।[2] फिर 1965 की फिल्म जब जब फूल खिले के सभी गाने सुपरहिट रहे थे। उसी साल की फिल्म हिमालय की गोद में का गीत ‘चांद सी महबूबा हो मेरी’ उस समय बहुत पसंद किया गया था। 1967 की मिलन के गीत ‘सावन का महीना पवन करे शोर’ के बाद वह सफल गीतकार बन गए।
1969 की आराधना के गीत भी उन्होंने लिखें थे। इसका 'मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू' को गायक किशोर कुमार, अभिनेता राजेश खन्ना और संगीतकार आर॰ डी॰ बर्मन की सफलता में बहुत श्रेय दिया जाता है। आगे चलकर इन लोगों की जुगलबंदी में कई और सदाबहार गीत निर्मित हुए।[3] इसके बाद वो 2002 में अपनी मृत्यु तक वो सक्रिय रूप से गीत लिखतें रहे। अपने 40 वर्षों से ऊपर के करियर में उन्होंने लगभग 600 फिल्मों के लिये 4 हजार से अधिक गीत लिखें।[4] उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिये 40 बार नामांकित किया गया जिसमें वो 4 बार विजयी रहे।
चुनिंदा फ़िल्मों की सूची
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सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "जन्मदिन विशेष: आनंद बख्शी के लिए बॉलीवुड का आज भी 'दिल तो पागल है'". फर्स्टपोस्ट. 21 जुलाई 2018. मूल से 15 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अगस्त 2018.
- ↑ "संगीत का जुनून सेना से मायानगरी ले गया, 40 में से 4 फिल्मफेयर झोली में, गाने भी गाए". जनसत्ता. 21 जुलाई 2018. मूल से 15 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अगस्त 2018.
- ↑ "गीतकार नहीं, गायक बनने की तमन्ना रखते थे आनंद बख्शी". पत्रिका. 21 जुलाई 2016. मूल से 15 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अगस्त 2018.
- ↑ "जब 6 साल फ्री में कंडक्टर के घर रहे आनंद बख्शी, दो बार छोड़ी फौज की नौकरी". जनसत्ता. 24 दिसम्बर 2017. मूल से 15 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अगस्त 2018.
बाहरी कड़ियाँ
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